- महाराष्ट्र में एकनाथ शिंदे की शिवसेना से बगावत निर्णायक मोड़ पर पहुंचती दिख रही है
- गुवाहाटी के एक होटल में हैं शिंदे, दावा है कि उनके पास करीब 52 विधायकों समर्थन है
- एनसीपी के सूत्रों का कहना है कि इस बगावत के पीछे उद्धव ठाकरे हैं, शिंदे केवल मोहरा हैं
Maharashtra Political Crisis : एकनाथ शिंद के बागवती तेवर के बाद महाराष्ट्र की राजनीति में घमासान मचा हुआ है। गुवाहाटी के होटल से अघाड़ी सरकार के खिलाफ मोर्चा खोलने वाले शिंदे का दावा है कि उनके पास 52 विधायकों का समर्थन है जिनमें से 40 से ज्यादा विधायक शिवसेना के हैं। शिंदे का कहना है कि महाराष्ट्र की उद्धव सरकार अल्पमत में आ गई है। उन्होंने इस बारे में राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी को पत्र लिखा है। शिंदे गुट अपनी बगावत के पीछे की वजहों को पत्र लिखकर बता चुका है लेकिन महाविकास अघाड़ी के प्रमुख दल राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) को दाल में कुछ काला नजर आ रहा है।
सारा 'खेल' उद्धव के कहने पर हो रहा है-सूत्र
एनसीपी के सूत्रों का कहना है कि महाराष्ट्र में ये सारा 'खेल' उद्धव ठाकरे के कहने पर हो रहा है। सूत्रों के मुताबिक एनसीपी नेता यह मान रहे हैं कि बगावत की यह सारी स्क्रिप्ट उद्धव ने लिखी है क्योंकि ढाई साल बाद वह गठबंधन से अलग होना चाहते हैं। पार्टी में हुई इस बगावत को गठबंधन तोड़ने को एक तरह से सही ठहराने की कोशिश की है। सूत्रों का कहना है कि शिवसेना ढाई साल बाद भारतीय जनता पार्टी से सुलह करना चाहती है। उसे गठबंधन से अलग होने के लिए एक ठोस वजह चाहिए, इस पूरे प्रकरण में शिंदे को केवल मोहरा बनाया गया है। शिवसेना में फूट की उद्धव की एक चाल है।
Exclusive: मेरे पास हैं शिवसेना के 40 से ज्यादा और 12 निर्दलीय विधायक, हम किसी से डरने वाले नहीं हैं- शिंदे
एनसीपी प्रमुख भी उठा चुके हैं सवाल
एनसीपी नेता महेश तापसे ने भी टाइम्स नाउ नवभात से इसी तरह की बात कही है। उन्होंने कहा कि शिंदे पर अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है। यह सबकुछ इतनी आसानी से क्यों हो रहा है। कुछ न कुछ दाल में काला है। एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने भी सवाल उठाए कि इतनी बड़ी संख्या में विधायक राज्य से निकल गए और पार्टी को इस बात की भनक क्यों नहीं लगी। पवार का इशारा शिवसेना की मंशा की तरफ था। बहरहाल, महाराष्ट्र में बगावत की लड़ाई का अंत किस रूप में होगा अभी इसके बारे में निश्चित रूप से कुछ नहीं कहा जा सकता लेकिन इतना तो तय है कि राज्य की सियासत में कोई बड़ा घटनाक्रम जरूर होगा।