UP Crime Politics: यूपी में विधानसभा चुनाव से पहले बीएसपी सुप्रीमो मायावती ने ये कहकर नई बहस छेड़ दी है कि वो इस बार बाहुबलियों को टिकट नहीं देंगी। क्या मायावती की इस पहल को बाकी पार्टियां फॉलो करेंगी और मायावती की कोई मजबूरी है
या वो वाकई साफ-सुथरी राजनीति करना चाहती हैं। यूपी की सियासत में बाहुबलियों-माफियाओं के गठजोड़ का लंबा इतिहास रहा है। दागी नेता पार्टियों के लिए जिताऊ उम्मीदवार रहे, वो पैसा, विरोधियों पर दबाव बनाने का हथियार साबित होते रहे हैं। हत्या से लेकर कई गंभीर मामलों के आरोपी बाहुबलियों में से कुछ को तो रॉबिन हुड की तरह पेश किया गया। और ऐसा नहीं है कि इन बाहुबलियों के ऊपर किसी एक पार्टी का हाथ रहा हो। सबने इनका इस्तेमाल किया इन बाहुबलियों ने भी सबका। 2017 के यूपी चुनाव में हर पार्टी ने दागियों को टिकट दिया... किस पार्टी ने किस दागी को टिकट दिया... ये आपको बताते हैं
दागियों पर दांव
यूपी 2017 विधानसभा चुनाव
18% उम्मीदवार दागी (4,853 में से 859),15 % उम्मीदवार गंभीर क्रिमिनल रिकॉर्ड वाले हैं।
दागियों पर दांव (2017)
पार्टी उम्मीदवार और आपराधिक केस
बीएसपी 38% (400 में से 150)
एसपी 37% (307 में से 113)
बीजेपी 36% (383 में से 137)
कांग्रेस 32% (114 में से 36 )
आरएलडी 20% (276 में से 56)
निर्दलीय 10% (1,453 में से 150 )
दागियों पर दांव (2017)
जिन पर गंभीर आपराधिक केस
बीएसपी 31% (400 में से 123)
एसपी 29% (307 में से 88)
बीजेपी 26% (383 में से 100)
कांग्रेस 22% ( 114 में से 25)
आरएलडी 17% ( 276 में से 48)
निर्दलीय 9% ( 1,453 में से 134)
यूपी में 2012 विधानसभा चुनाव
19 % दागी उम्मीदवार, 8 %गंभीर क्रिमिनल रिकॉर्ड वाले हैं। तीन राज्य जिसमें सबसे ज्यादा दागी नेता हैं... इसमें पहले नंबर पर यूपी और दूसरे नंबर पर बिहार है...
दागी नेताओं वाले , टॉप- 3 राज्य
उत्तर प्रदेश
सांसद 14 (21% )
मंत्री 2 (50 %)
बिहार
सांसद 9 (13%)
मंत्री 1 (25%)
तमिलनाडु
सांसद 8 (12%)
मंत्री 0 (0 %)
मायावती के इस बयान को अलग नजरिए से देखा जा रहा है कि लेकिन सवाल यह है कि क्या उनका बयान सिर्फ बयान तक ही सीमित रह पाएगा। उन्होंने कहा कि है कि अक्टूबर के मध्य तक 2022 में विधानसभा चुनाव के लिए प्रत्याशियों के नामों का ऐलान करेंगी। दरअसल वही उनके बयान का लिटमस टेस्ट होगी कि क्या वो वास्तव में दागियों से छुटकारा चाहती हैं, या सिर्फ खुद को लाइमलाइट में रहने के लिए सिर्फ एक बयान।