नई दिल्ली: उत्तराखंड के चमोली जिले में ग्लेशियर के टूटने से भारी तबाही आई। आईटीबीपी के प्रवक्ता ने उत्तराखंड त्रासदी पर कहा कि तपोवन ऊर्जा संयंत्र के परियोजना स्थल प्रभारी के मुताबिक 150 से अधिक श्रमिकों की मौत की आशंका है। रैणी गांव के निकट एक पुल ढहने के कारण कुछ सीमा चौकियों पर संपर्क पूरी तरह टूट गया है। बचाव काम में आईटीबीपी के 250 से अधिक जवान लगे।
आईटीबीपी के जवानों ने उन सभी 16 लोगों को बचाया, जो तपोवन के पास सुरंग में फंसे थे। सुरंग में से लोगों को बाहर निकालने का एक वीडियो सामने आया है। इसमें देखा जा सकता है कि जब एक शख्स को बाहर निकाला जाता है तो वह खुशी से झूम उठता है। देखकर कहा जा सकता है कि जान बचने से वह कितना खुश है। वहीं ITBP के जवान जब लोगों को बाहर निकालते हैं तो वह कहते हैं कि 'जोर लगाके हइसा'।
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि चमोली आपदा में सवा सौ के आसपास लोग लापता हो सकते हैं। हालांकि सरकार की तरफ से कहा गया है कि नीचे की ओर बाढ़ का कोई खतरा नहीं है, जलस्तर में बढ़ोतरी को रोक लिया गया है, गांवों, पनबिजली परियोजनाओं को कोई खतरा नहीं। ग्लेशियर टूटने से अलकनंदा की सहायक नदी धौली गंगा पर तपोवन के पास एनटीपीसी की पनबिजली परियोजना भी प्रभावित हुई। उत्तराखंड में ग्लेशियर फटने से 13.2 मेगावाट की छोटी ऋषिगंगा पनबिजली परियोजना बह गई।
मुख्यमंत्री ने कहा, 'हमने एरियल सर्वे के साथ स्थलीय निरीक्षण भी किया। आर्मी के तीन हेलीकाप्टर सहित बरेली से एक वायुसेना का हेलीकाप्टर भी मौके पर पहुंचे हैं। चमोली में ग्लेशियर टूटने की घटना क्यों हुई, अभी इसका कारण पता नहीं चल सका है। यह काम विशेषज्ञों का है और वही पता लगाएंगे, अभी सरकार की प्राथमिकता राहत एवं बचाव कार्य पर है। ऋषि गंगा पावर प्रोजेक्ट था। इसमें लगभग 35 लोग काम करते थे, दो पुलिस जवान भी मिसिंग हैं। इससे पांच किलोमीटर दूरी पर एनटीपीसी का निर्माणाधीन प्रोजेक्ट था। यहां काफी संख्या में मजदूर काम कर रहे थे। 176 मजदूर अपनी ड्यूटी के लिए निकले थे। वहां पर दो टनल हैं। दूसरी टनल में मलबा घुस जाने से मजदूर फंस गए हैं। आईटीबीपी के जवान बचाव कार्य कर रहे हैं। अभी जवान टनल में डेढ़ सौ मीटर तक पहुंच पाए हैं। सेना के लोग वहां पर पहुंच गए हैं। एनडीआरएफ की टीम दिल्ली से पहुंची है।'