नई दिल्ली: त्रिवेंद्र सिंह रावत ने मंगलवार को उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया। उनके इस्तीफे की अटकलों के बीच कहा जा रहा है कि राज्य के भाजपा नेताओं का एक वर्ग उनकी कार्यशैली से नाखुश था और इसी वजह से केंद्रीय कमान को उन्हें हटाने का फैसला करना पड़ा। उत्तराखंड की राज्यपाल बेबी रानी मौर्य को अपना इस्तीफा सौंपने के बाद त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि वह भाजपा के आभारी है क्योंकि पार्टी ने 4 साल तक उन्हें राज्य की सेवा करने का मौका दिया।
रावत ने पार्टी का आभार जताया
मीडिया से बात करते हुए रावत ने कहा कि विगत 4 वर्षों से BJP ने मुझे CM के रूप में उत्तराखंड में सेवा करने का मौका दिया। ये मेरा सौभाग्य रहा है। मैंने कभी कल्पना भी नहीं की थी कि पार्टी मुझे इतना बड़ा सम्मान देगी। पार्टी ने संयुक्त रूप से ये निर्णय लिया कि मुझे अब किसी और को ये मौका देना चाहिए। मैंने अभी अपना त्याग पत्र राज्यपाल को सौंप कर आया हूं। कल BJP मुख्यालय पर 10 बजे पार्टी विधानमंडल दल की बैठक है। सभी विधायक वहां मौजूद रहेंगे।
'वजह के लिए दिल्ली जाना होगा'
लेकिन जब उनसे पूछा गया कि उन्होंने पद से इस्तीफा क्यों दिया और इसकी वजह क्या है तो त्रिवेंद्र सिंह रावत ने संवाददाताओं से कहा कि उन्हें यह सवाल दिल्ली में भाजपा के शीर्ष नेतृत्व से पूछना होगा।
रावत ने कहा, 'पार्टी में सभी निर्णय सामूहिक रूप से लिए जाते हैं। पार्टी ने सामूहिक रूप से फैसला किया है कि मेरी जगह अब किसी और को होना चाहिए। इसके बहुत अच्छे जवाब के लिए आपको दिल्ली जाना होगा।'
रावत के खिलाफ थी नाराजगी
सूत्रों के अनुसार, उत्तराखंड के कई मंत्रियों और विधायकों ने कथित तौर पर रावत की कार्यशैली को लेकर शीर्ष भाजपा नेतृत्व से आशंका व्यक्त की थी। कहा ये भी जा रहा है कि कुछ मंत्रियों ने पर्यवेक्षकों भाजपा उपाध्यक्ष रमन सिंह और महासचिव दुष्यंत सिंह गौतम को अल्टीमेटम दिया था कि अगर सीएम रावत को नहीं हटाया गया तो वे इस्तीफा दे देंगे। रमन सिंह और दुष्यंत सिंह गौतम द्वारा रिपोर्ट पेश करने के बाद त्रिवेंद्र सिंह रावत को दिल्ली बुलाया गया। सोमवार को रावत ने केंद्रीय भाजपा नेतृत्व के साथ बैठक की और अगले दिन अपना इस्तीफा दे दिया।