Sawal Public Ka : महान दार्शनिक अरस्तू की एक मशहूर लाइन है - He who has never learned to obey cannot be a good commander. यानी जिसने आदेश मानना नहीं सीखा वो अच्छा कमांडर नहीं बन सकता। क्या भारत के विपक्ष में कमांडर तो सभी बनना चाहते हैं लेकिन आपस में एक दूसरे को ही सुनना नहीं चाहते ? हम आज 2 विपरीत सच्चाइयां आपके सामने रख रहे हैं। पिछले हफ्ते Morning Consult नाम की एजेंसी ने पीएम नरेंद्र मोदी की अप्रूवल रेटिंग 75% बतायी है। जो दुनिया के नेताओं में टॉप पर हैं। तो दूसरी ओर मोदी के मुकाबले में कौन है, ये देश की जनता नहीं जानती। दावे बहुत हैं..लेकिन हर दूसरे दिन नया दावा इसमें जुड़ता जा रहा।
पटना में जेडीयू दफ्तर के बाहर नीतीश की तस्वीर के साथ पोस्टर लगता है कि "प्रदेश में दिखा, देश में दिखेगा" लेकिन नीतीश PM पद को लेकर अपनी दावेदारी कबूल नहीं करेंगे। ये उनकी ही पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष कह रहे हैं। कांग्रेस 7 सितंबर से भारत जोड़ो यात्रा शुरू कर रही है, लेकिन कांग्रेस को जोड़े रखने में ही पार्टी के सामने संकट खड़ा हो रहा है।
2024 में पूरे देश में खेला होने का दम भर चुकीं ममता बनर्जी को अब लगने लगा है कि RSS में भी कुछ अच्छे लोग हैं जो एक दिन BJP के खिलाफ चुप्पी तोड़ेंगे। सवाल पब्लिक का है कि क्या बंटा हुआ और दिशाहीन विपक्ष 2024 में फिर पीएम मोदी की ताकत बनेगा? क्या RSS की तारीफ करने को मजबूर हुईं ममता बनर्जी को हिंदू वोटों की चिंता सताने लगी है? और क्या मोदी की लोकप्रियता के आगे विपक्ष के सारे तीर खाली हो गए हैं?
RSS पर ममता बनर्जी ने बयान एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में दिया। Kolkata TV के CEO Kaustav Roy के ठिकानों पर ED की रेड को लेकर पूछे गए सवाल पर ममता बनर्जी को RSS के कुछ नेताओं में अच्छाई के दर्शन हो गए। सुनिए ममता बनर्जी ने क्या कहा था। RSS के लोगों पर ममता बनर्जी का हृदय परिवर्तन हैरान करने वाला है। RSS को लेकर ममता बनर्जी ने कैसे-कैसे बयान पहले दिए हैं, ये आपको सुनवाना चाहते हैं। हमें नहीं लगता RSS में हाल-फिलहाल कोई बड़ा परिवर्तन हुआ है। लेकिन ममता बनर्जी का ह्दय परिवर्तन जरूर हुआ है। याद कीजिए पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के लिए विपक्ष कहता था- इंसान अच्छे हैं, गलत पार्टी में हैं।
क्या मोदी से मुकाबले में ममता बनर्जी को सच्चाई का अहसास हो गया है और वो RSS को भी उनसे बेहतर बताने का दांव चल रही हैं ताकि सिर्फ मोदी को कटघरे में खड़ा किया जा सके? या मोदी की रेटिंग लगातार हाई रहने, देश में एंटी इंकबेंसी जैसा फिलहाल कुछ नहीं दिखने के बाद ममता नई रणनीति पर काम कर रही हैं। लेकिन फिलहाल मोदी से सीधे ममता टक्कर लें ये दूर की कौड़ी है। और संयुक्त विपक्ष जैसा फिलहाल कुछ नहीं दिखता । क्योंकि मोदी से मुकाबले में कई चेहरे हैं, और सबकी अपनी ढपली अपना राग है।
इसी हफ्ते तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव पटना गए थे। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से बड़ी अच्छी मुलाकात हुई। लेकिन प्रेस कॉन्फ्रेंस में विपक्षी एकता की पोल खुल गई। एक अजीब की उठक-बैठक होने लगी। जैसे ही 2024 में नेता की बात पूछी गई। नीतीश भी असहज हो गए, केसीआए भी असहज दिखे। एक बार फिर देखिए क्या हुआ?
हम आपको ऊपर ही पटना के JDU दफ्तर में नीतीश कुमार का वो पोस्टर दिखा चुके हैं जिसमें 2024 का संदेश छिपा है। नीतीश कुमार की मौजूदगी में JDU कार्यकर्ता नारा क्या लगा रहे हैं, ये भी सुन लीजिए। लेकिन इस सब के बावजूद PM पद की दावेदारी को लेकर नीतीश कुमार का जवाब क्या है आपको दिखाते हैं। ममता, KCR, नीतीश जैसे क्षेत्रीय दलों के नेता पीएम मोदी से मुकाबला करना तो चाहते हैं लेकिन उनके सुर-ताल ही नहीं मिल रहे।
इस सब के बीच कांग्रेस का हाल क्या है, ये सवाल बड़ा है? 2024 के पहले कांग्रेस ने भारत जोड़ो नाम से अपना सबसे बड़ा राजनीतिक आंदोलन शुरू करने का फैसला किया है। 7 सितंबर से कांग्रेस 150 दिनों की पदयात्रा निकालेगी। कश्मीर से कन्याकुमारी तक राहुल गांधी समेत कांग्रेस के तमाम नेता पदयात्रा करेंगे। लेकिन कांग्रेस में कैसी उठापटक मची है इसे समझना मुश्किल नहीं। अध्यक्ष पद के चुनाव की मतदाता सूची उजागर हो या नहीं, इसी पर तकरार ठनी है।
हरियाणा के पूर्व CM भूपिंदर सिंह हुड्डा पार्टी छोड़ने वाले गुलाम नबी आजाद से क्यों मिले, इसे लेकर पूर्व केंद्रीय मंत्री शेलजा कुमारी ने हुड्डा के खिलाफ मोर्चा खोला हुआ है। मोदी सरकार के खिलाफ सबसे बड़ा मुद्दा क्या हो, महंगाई या ED-CBI के छापे या उद्योगपति मित्र, कांग्रेस यही तय नहीं कर पा रही है। इन हालात में क्षेत्रीय दलों से लेकर कांग्रेस तक मोदी से मुकाबला करेगा कौन। लड़ाई लड़ेगा कौन। इस पर कन्फ्यूजन है। भारी कन्फ्यूजन है।
सवाल पब्लिक का
1. क्या RSS को लेकर ममता बनर्जी का बयान 2024 चुनाव को लेकर उनकी कमजोरी दिखाता है?
2. ममता, नीतीश, KCR जैसे नेताओं का एकजुट ना होना मोदी की सबसे बड़ी ताकत है ?
3. क्या भारत जोड़ो से पहले कांग्रेस जोड़ो के चैलेंज में कांग्रेस फंस कर रह गई है ?