- प्रदेश में अब एक बार फिर से टाइगर के शिकार का मामला चर्चा में है
- जयपुर-दिल्ली में 3 तस्करों से मिले बाघ व पैंथर के 26 नाखून
- वन्यजीवों की सुरक्षा को लेकर फॉरेस्ट महकमा अब सवालों के घेरे में
Jaipur News: राजधानी जयपुर सहित दिल्ली में 3 वन्यजीव तस्कर इस बार सीबीआई के हत्थे चढ़े हैं। जयपुर में पकड़े गए तस्करों से टाइगर व पैंथर के 7 नाखून बरामद हुए हैं। वहीं तस्करी में शामिल दिल्ली के शख्स से 19 नाखून बरामद हुए हैं। सीबीआई की इस कार्रवाई से जंगलों की सुरक्षा का जिम्मा संभालने वाले वन-विभाग में हड़कंप है। वन्यजीवों की सुरक्षा पर करोड़ों खर्च होने के बाद भी फॉरेस्ट महकमा अब सवालों के घेरे में है। इस कार्रवाई के बाद वाइल्ड लाइफ लवर वन विभाग व सरकार पर लुप्त हो रहे टाइगर की सुरक्षा में लापरवाही बरतने के आरोप लगा रहे हैं।
प्रदेश में बाघों के शिकार का मामला फिर से गरमाया
प्रदेश में अब एक बार फिर से टाइगर के शिकार का मामला चर्चा में है। इस बार सीबीआई ने दिल्ली में वाइल्ड लाइफ स्मगलर परमजीत सिंह को दबोचा है तो एक अंतरराज्यीय वन्यजीव तस्करी के गैंग का पर्दाफाश हुआ है। सीबीआई ने आरोपी की निशानदेही पर जयपुर से वन्यजीवों की तस्करी से जुड़े पिटर पटेल व अशोक पारेख को अरेस्ट किया है। सीबीआई के मुताबिक, दिल्ली में बैठे वन्यजीव तस्कर परमजीत से 19 टाइगर व पैंथर के नाखून बरामद किए हैं। वहीं जयपुर के पिंटर व अशोक से बाघों व तेंदुए के 7 नख बरामद किए गए हैं। सीबीआई ने तीनों आरोपियों को कोर्ट में पेश किया। इसके बाद दिल्ली कोर्ट ने तीनों को सीबीआई को रिमांड पर सौंपा है। सीबीआई के अधिकारी अब तीनों से आगे की पूछताछ कर रहे हैं।
लापता हुए टाइगरों का लगाएगी पता
सीबीआई के मुताबिक, प्रदेश के जंगलों से आए दिन गायब होने वाले बाघों व अन्य जंगली जीवों के बारे में आरोपियों से पूछताछ कर पता लगाया जाएगा। सीबीआई के अधिकारी अब आरोपियों के संपर्कों के बारे में भी जानकारी जुटा रही है। इनके पास से मिले वन्यजीवों के अंगों के बारे में पूछताछ कर पता लगाएगी कि, ये इन्हें कहां सप्लाई करने वाले थे। वहीं इनके इंटरनेशनल स्तर पर तार कहां-कहां जुड़े हैं इसका भी पता लगाया जाएगा। आपको बता दें कि, वन विभाग के आंकड़ों के मुताबिक विगत 3 सालों में प्रदेश के रणथम्भौर टाइगर रिजर्व से 13 मेल व फिमेल टाइगर लापता हुए हैं। इधर, मुकंदरा टाइगर रिजर्व से पिछले पांच सालों में 5 बाघ गायब हो गए। गौरतलब है कि, प्रदेश सरकार बाघों की सुरक्षा, संवर्धन व संरक्षण को लेकर हर साल करोड़ों खर्च करती है। इसके बाद भी आंखें मूंदे बैठा फॉरेस्ट महकमा गायब हुए बाघों का पता लगाने में नाकामयाब रहा है। सरिस्का टाइगर रिजर्व से तो शिकारियों ने बाघों की दहाड़ ही मिटा दी थी। राजस्थान के जंगलों में टाइगरों की संख्या में कुछ इजाफा होने के आंकड़ों के बाद अब शिकारी फिर से एक्टिव हो गए हैं।