- सीआई के खिलाफ महिला ने दुष्कर्म का मामला करणी विहार थाने में दर्ज करवाया था
- आरोपी ने रेप के दौरान उसके फोटो निकाले व वीडियो भी बना लिया
- पीड़िता ने सुप्रीम कोर्ट में आरोपी की गिरफ्तारी के लिए एक रिट दाखिल की
Jaipur Rape Case: राजधानी जयपुर में सीआई केपी सिंह को महिला से रेप मामले में गिरफ्तार किया गया है। आरोपी सीआई को जयपुर की करणी विहार पुलिस ने गिरफ्तार किया है। सीआई के खिलाफ वर्ष 2020 में उनकी एक परिचित महिला ने मारपीट व दुष्कर्म का मामला करणी विहार थाने में दर्ज करवाया था। उस दौरान आरोपी केपी सिंह झुंझुनूं जिले में मानव तस्करी विरोधी इकाई के प्रभारी के तौर पर तैनात था।
महिला की शिकायत पर दर्ज मामले की जांच पहले सीआई ने की फिर एडिशनल डीसीपी पश्चिम बजरंग सिंह को दी गई थी। इस दौरान पुलिस ने आरोपी को अरेस्ट नहीं किया था। इसके बाद सीआई ने हाईकोर्ट से अग्रिम बेल ले ली थी। पीड़िता को न्याय नहीं मिला तो वह सर्वोच्च न्यायालय की शरण में पहुंची गई। जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने गत 13 जुलाई को सीआई की गिरफ्तारी को लेकर जयपुर पुलिस को आरोपी को गिरफ्तार करने के आदेश दिए थे।
ये था सीआई केपी सिंह पर आरोप
पुलिस ने बताया कि वर्ष 2020 में 20 मई को सीआई ने पीड़िता के साथ दुष्कर्म किया था। बाद में सीआई 29 मई को पीड़िता के घर पहुंचा व उसके साथ मारपीट की। इस बीच सीआई ने महिला का मोबाइल भी तोड़ दिया। इसके बाद में महिला को मोबाइल दिलाने के बहाने एक मॉल में ले गया। इस दौरान कार में सीआई ने दोबारा महिला से झगड़ा किया और उसे एक सुनसान स्थान पर ले जाकर मारपीट की। इस घटनाक्रम के बाद पीड़िता ने वर्ष 2020 में 3 जून को सीआई के खिलाफ जयपुर के करणी विहार थाने में रेप व मारपीट का मामला दर्ज करवाया।
पीड़िता पहुंची सर्वोच्च न्यायालय की शरण में
पीड़िता ने सुप्रीम कोर्ट में आरोपी सीआई की गिरफ्तारी के लिए एक रिट दाखिल की। जिस में पीड़िता ने कोर्ट को बताया कि, उसकी बहन का झुंझुनूं जिला मुख्यालय के महिला थाने में एक मामला दर्ज था। जिस के सभी कागजात तत्कालीन सीआई केपी सिंह के पास थे। पीड़िता ने जब सीआई से कागजात मांगे तो उसे जयपुर बुलाया गया। जयपुर में उसे सीआई ने पेय पदार्थ में नशा मिलाकर पिला दिया। इसके बाद उसके साथ आरोपी ने रेप किया। आरोपी ने रेप के दौरान उसके फोटो निकाले व वीडियो भी बना लिया। पीड़िता ने आरोपी के खिलाफ मामला दर्ज करवाया। मगर सीआई ने गिरफ्तारी से बचने के लिए उच्च न्यायालय से एडवांस बेल ले ली। वहीं आरोपी उस पर मामला विड्रोल करने का लगातार दबाव बना रहा था।