- गांव मोटूका बास में लेपर्ड घुस गया
- लेपर्ड के हमले में 5 लोग घायल हुए
- रेस्कयू टीम ने 4 घंटे की मेहनत के बाद काबू में किया
Jaipur Leopard Attack: तेजी से सिकुड़ रहे जंगलों की जद में अब शहर आने लगे हैं। कॉक्रीट के जंगल खड़े होने के चलते वन्यजीवन प्रभावित हो रहा है तो जानवरों के हमले इंसानी जीवन को खतरे में डाल रहे हैं। इसकी एक बानगी जयपुर के चंदवाजी इलाके में देखने को मिली। जिसमें एक लेपर्ड के हमले में 5 लोग गंभीर घायल हो गए। दहशत और गुस्से में लेपर्ड और भी हिंसक हो गया। उसने एक शख्स का हाथ नोच डाला, जिसके कारण पीड़ित के हाथ की हड्डियां तक दिखने लगी। सूचना के बाद मौके पर आई वन विभाग की रेस्कयू टीम ने 4 घंटे की कड़ी मशक्कत के बाद आदमखोर तेंदुए को काबू में किया।
इस दौरान इलाके में लोग दहशत के मारे सहमे रहे। फोरेस्ट महकमे की रेस्कयू टीम ने बताया कि गुरुवार को अल सुबह जयपुर के निकट चंदवाजी इलाके में एक तेदुंए के आने की सूचना मिली थी। तेंदुए ने कुल 5 लोगों पर अटैक कर जख्मी कर दिया था, जिसमें एक 10 वर्षीय बालक भी शामिल है। विभागीय टीम के मुताबिक घायलों को निजी व एसएमएस अस्पताल में भर्ती करवाया गया है। वहीं करीब 4 घंटे की कड़ी मेहनत के बाद लेपर्ड को काबू किया गया।
इन इलाकों में मचाया तेंदुए ने उत्पात
फोरेस्ट रेस्कयू टीम ने जानकारी दी कि, तेंदुआ सबसे पहले गांव मोटूका बास ढाणी में देखा गया। यहां पर एक परिवार पर सोते समय अटैक कर दिया। जिसमें सबसे पहले डेविड मीणा (10) पर हमला किया। तेंदुए के हमले के कारण बालक बेहोश हो गया। उसे बचाने आए पिता रामफूल(44) व मां सजना (38) पर भी अटैक कर दिया। तेंदुए ने रामफूल का हाथ इस कदर चबाया कि उसकी हड्डियां दिखने लगीं। वहीं सजना के सिर पर पंजे से वार कर उसे जख्मी कर दिया। इसके बाद ग्रामीणों के शोर से घबराया तेंदुआ और हिंसक हो गया। सुबह 5 बजे एक विश्वविद्यालय में घुस गया। जहां पर चौकीदार सहित एक अन्य पर हमला कर घायल कर दिया।
लेपर्ड पहले भी मचा चुके तांडव
रेस्कयू टीम में शामिल वन विभाग के चिकित्सक अरविंद माथुर के मुताबिक इलाके में कुल 14 लेपर्ड मौजूद हैं। इन इलाकों में पूर्व में भी आबादी क्षेत्र में तेंदुए के प्रवेश व लोगों पर हमला करने की कई घटनाएं हो चुकी हैं। उन्होंने बताया कि इलाके के विश्वविद्यालय में निर्माण कार्य चल रहा था। जिसके कारण लेपर्ड तीसरे तल में जाकर छिप गया था। इसके बाद जब वह नीचे आया तो उसे काबू किया गया। अब लेपर्ड को नाहरगढ़ के जैविक उद्यान में लाया गया है। यहां इंजर्ड लेपर्ड का इलाज कर उसे वापिस जंगल में छोड़ दिया जाएगा।