अलवर : फर्जी ई-वे बिल बनाकर ओडिशा से गांजा तस्करी कर पश्चिमी यूपी एवं राजस्थान मे सप्लाई करने वाले गिरोह के 05 सदस्यों को अलवर डीएसटी व लखनऊ एसटीएफ की टीम ने नाकाबन्दी में गिरफ्तार कर 98 बोरियों में भरा 5 करोड़ मूल्य का 25 क्विंटल गांजा बरामद किया है। गांजा को छुपाने के लिए ट्रक में ऊपर से 17 हजार खाली जूट की बोरियां रखी हुई थीं। इसके साथ ही ट्रक को एस्कोर्ट कर रही ब्रेजा कार और आरोपियों से 9 मोबाइल फोन, 17000 रुपए नकद व अन्य दस्तावेज जब्त किए गए है।
अलवर एसपी तेजस्वनी गौतम ने बताया कि गिरफ्तार अभियुक्त राकेश कुमार यादव निवासी जनपद मधुबनी, बिहार, प्रमोद सिंह निवासी जनपद मथुरा, अखिलेश शर्मा उर्फ पण्डित निवासी जनपद मथुरा, रिंकू सिंह निवासी जनपद गाजियाबाद एवं लाखन सिंह निवासी जनपद गौतमबुद्ध नगर है। पूछताछ में राकेश यादव तथा प्रमोद सिंह ने बताया कि वे काफी समय से गांजा की तस्करी में लिप्त है, अखिलेश शर्मा उर्फ पण्डित भी इस कार्य मे सहयोग करता है। ट्रक का चालक रिंकू सिहं व लाखन सिंह से गांजा मंगाकर जनपद आगरा व मथुरा तथा राजस्थान के सीमावर्ती राज्यों में सप्लाई करता है। एक फेरी का चालक को 01 लाख रुपए तथा क्लीनर को 25 हजार रुपए देते है। ओडिशा मे गांजा 2500 से 3500 प्रति किलो के हिसाब से मिलता है, जिसे हम लोग 15-20 हजार रुपए प्रति किलो की दर से बेच लेते है। इस माल की सप्लाई अलवर में करनी थी।
एसपी तेजस्वनी गौतम ने बताया कि उन्हें एसटीएफ, उत्तर प्रदेश से सूचना प्राप्त हुई कि एक एमपी नम्बर का ट्रक एवं उसे एस्कोर्ट कर रही यूपी नम्बर की ब्रिजा कार में मादक पदार्थ तस्करी कर अलवर की तरफ आ रहा है। सूचना पर डीएसटी टीम अलवर एवं थाना अरावली विहार अलवर की एक विशेष टीम का गठन किया गया। सूचना के अनुसार दोनों गाड़ियों का एसटीएफ, उत्तर प्रदेश द्वारा भी पीछा किया जा रहा था।
जिस पर थानाधिकारी अरावली विहार जहीर अब्बास के नेतृत्व में गठित विशेष टीम द्वारा एसटीएफ उत्तर प्रदेश से समन्वय रखते हुए ग्राम समोला के पास में नाकाबन्दी की गई। नाकाबन्दी में दोनों गाड़ियों को रोक लिया गया। ट्रक के रूकते ही उसमे बैठे हुये लोग एवं चालक ने भागने का प्रयास किया , जिन्हे विशेष टीम ने घेरा देकर पकड़ लिया। ट्रक की तलाशी में 98 बोरियों मे 25 क्विंटल गांजा व अन्य सामान बरामद कर गिरफ्तार अभियुक्तों के विरूद्व थाना अरावली बिहार मे एनडीपीएस एक्ट व अन्य आईपीसी में मुकदमा दर्ज कर अनुसंधान किया जा रहा है।