कानपुर (उत्तर प्रदेश) : कोविड-19 के प्रकोप के चलते कानपुर में नाव बनाने वाले कारीगरों की आजीविका पर संकट आ गया है। महामारी के प्रकोप के चलते कानपुर का सरसैया घाट सूना पड़ा है, यहां नाव खरीदने के लिए लोग नहीं आ रहे हैं। नाव बनाने वाले कारीगर प्रदीप कुमार निषाद का कहना है, 'लोग नाव खरीदने के लिए नहीं आ रहे हैं जिसके चलते हम लोगों को भारी नुकसान हुआ है। इस कारोबार पर यहां 80 से 90 परिवार आश्रित हैं। दो महीने के लॉकडाउन में सबका कारोबार चौपट हो गया है। अब मानसून का सीजन भी आ गया है। कोरोना वायरस के प्रकोप से हम लोग बुरी तरह प्रभावित हुए हैं। नाव बनाने के लिए हमें गुणवत्ता युक्त सामग्री नहीं मिल पा रही है।'
नाव बनाने वाले एक दूसरे कारीगर राकेश कुमार ने कहा, 'यहां के कारीगरों द्वारा बनाई गई नाव पूरे देश में भेजी जाती है। एक नाव बनाने में करीब तीन दिनों का समय लगता है। एक नाव पर 7000 रुपए की लागत आती है और हम उसे 8000 रुपए में बेचते हैं।'