- हैलट में प्लास्टिक सर्जन होने के बाद भी रोगिया को नहीं मिल रहा लाभ
- बर्न रोगियों को परिजन ले जाते निजी अस्पताल, पड़ता आर्थिक बोझ
- भवन भी बनकर तैयार, फर्नीचर, उपकरण और स्टाफ तैनात नहीं हुआ
Kanpur News: कोरोना काल के चक्कर में हैलट का नया बर्न वार्ड शुरू नहीं हो पाया है। वहीं, हैलट के सर्जरी वार्ड नंबर एक के पास बना पुराना बर्न वार्ड कोरोना काल में बंद कर दिया गया था। इस वजह से रोगियों को उर्सला या निजी अस्पताल जाना पड़ रहा है। उर्सला में बर्न रोगियों के लिए आईसीयू की
सुविधा नहीं है। हैलट में न्यूरो साइंसेस विभाग के पास नए बर्न वार्ड को बीते साल चालू होना था। इसका भवन भी बनकर तैयार हो गया। लेकिन कोरोना की दूसरी-तीसरी लहर में फर्नीचर, उपकरण और स्टाफ तैनात होने की प्रक्रिया बीच में ही अटक गई।
इससे यहां रोगियों के लिए सुविधा चालू नहीं हुई है। नया बर्न वार्ड 26 बेड का है। इनमें 10 बेड महिला और 10 बेड पुरुष रोगियों के लिए है। इसके अलावा छह बेड आईसीयू के हैं, बर्न वार्ड में दो ऑपरेशन थिएटर भी हैं। इनमें माइनर और मेजर दोनों तरह के आपरेशन किए जाएंगे।
जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ. संजय काला ने बताया कि बर्न वार्ड के लिए प्रस्ताव भेज दिए हैं। स्टाफ और उपकरण मिलते ही बर्न वार्ड को चालू कर दिया जाएगा।
हैलट में दो दिन नहीं होंगे रूटीन ऑपरेशन
हैलट के सर्जरी विभाग में दो दिन रूटीन ऑपरेशन नहीं होंगे। मॉड्यूलर ओटी का कार्य होने की वजह से ओटी शिफ्ट की जा रही। विभाग के निचले तल पर मॉड्यूलर ओटी का काम शुरू होगा। सर्जरी विभागाध्यक्ष डॉ. जीड़ी यादव ने बताया कि इस दौरान इमरजेंसी ऑपरेशन चालू रहेंगे।
नेत्र रोग विभाग को मिले उपकरण
जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज को डायबिटिक रेटिनोपैथी के इलाज के लिए गोल्डी मसाले की ओर से दो उपकरण दान में मिले हैं। नेत्र रोग विभागाध्यक्ष डॉ. परवेज खान ने बताया कि एक एंजियोग्राफी का और एक लेजर उपकरण मिला है। इससे रेटिनोपैथी के रोगियों के इलाज में आसानी हो जाएगी।
थायराइड पीटीएनआर, एबीजी जांच की शुरू
हैलट की पैथोलॉजी में थायराइड, पीटीएनआर और एबीजी की जांचें शुरू हो गई हैं। केमिकल खत्म हो जाने के कारण कुछ दिन पहले ये जांचें बंद हो गई थीं। पीटीएनआर में खून की जांच से थक्के के संबंध में पता चलता है। एबीजी जांच में शरीर में ऑक्सीजन और कार्बन डाई ऑक्साइड का प्रेशर देखा जाता है। जीएसवीएम कॉलेज की पैथोलॉजी विभागाध्यक्ष डॉ. सुमनलता वर्मा ने बताया कि हैलट और संबद्ध अस्पतालों में भर्ती होने वाले रोगियों की हार्मोस और कैंसर मार्कर जांचें भी कराई जा रही हैं। शासन से इनकी फीस तय होने के बाद बाहर के रोगियों की जांच भी शुरू कर दी जाएगी।