- गैंगस्टर विकास दुबे 10 जुलाई को पुलिस के साथ मुठभेड़ में मारा गया था
- विकास दुबे को एसटीएफ और यूपी पुलिस की एक टीम उज्जैन से कानपुर ला रही थी
- फॉरेंसिक टीम के सदस्य मुठभेड़ स्थल पर पहुंचे और नाट्य रूपांतरण के जरिए किया घटनाक्रम को समझने का प्रयास
कानपुर: फॉरेंसिक टीम शनिवार को यहां मुठभेड स्थल पहुंची, जहां दस जुलाई को गैंगस्टर विकास दुबे मारा गया था। विकास दुबे भागने के प्रयास में पुलिस के हाथों मुठभेड में मारा गया था । उसे मध्य प्रदेश के उज्जैन से लेकर आ रहा वाहन भारी बारिश के कारण दुर्घटनाग्रस्त हो गया था, जिसके बाद उसने भागने का प्रयास किया था।एक वरिष्ठ फॉरेसिंक अधिकारी ने नाम सार्वजनिक न करने की शर्त पर बताया कि वरिष्ठ फॉरेंसिक विशेषज्ञ और टीम के अन्य सदस्य मुठभेड स्थल पर पहुंचे । उनके साथ उत्तर प्रदेश पुलिस के एसटीएफ (स्पेशल टास्क फोर्स) के सदस्य भी थे।
किया नाट्य रूपांतरण
उन्होंने बताया कि उत्तर प्रदेश एसटीएफ और स्थानीय पुलिस की मुठभेड की 'थ्योरी' की पडताल के लिए वे यहां आये हैं। एसटीएफ के सामने फॉरेंसिक विशेषज्ञों ने गोलीबारी के दृश्य को पुन: प्रस्तुत कर नाट्य रूपांतरण के जरिए घटनाक्रम को समझने का प्रयास किया। अधिकारी ने बताया कि मुठभेड में शामिल रहे एसटीएफ कानपुर इकाई के क्षेत्राधिकारी टी बी सिंह और कानपुर पुलिस के अधिकांश अधिकारी इस दौरान घटनास्थल पर फोरेंसिक टीम के साथ मौजूद रहे।
12 जगहों पर लगाए झंडे
फॉरेंसिक विशेषज्ञों ने 12 जगहों पर झंडे लगाये और एसटीएफ के कर्मियों को उसी तरह पोजीशन लेने को कहा, जैसी उन्होंने मुठभेड के दिन ली थी। दृश्य के पुन: प्रस्तुतिकरण में एक पुलिसकर्मी से कहा गया कि वह उस जगह बैठे, जहां पुलिस का वाहन पलटा था। बाद में उत्तर प्रदेश एसटीएफ के कर्मियों ने सांकेतिक रूप से विकास दुबे को आत्मसमर्पण करने को कहा लेकिन उसने इंकार कर दिया और पुलिस पर फायर कर दिया। एसटीएफ के जवानों ने आत्मरक्षा में फायरिंग की। एक गोली विकास के सीने को चीरती हुई निकल गयी । उसके बाद तीन गोलियां और लगीं।
वरिष्ठ फॉरेंसिक अधिकारी ए के श्रीवास्तव ने मीडियाकर्मियों को बताया कि हमने उस दृश्य को पुन: जीवंत किया और फोरेंसिक निष्कर्ष सरकार को जल्द से जल्द सौंप दिये जाएंगे।