- कानपुर में चल रहा था खून की दलाली का खेल
- मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य ने दो कर्मचारियों को बर्खास्त और एक को किया निलंबित
- कॉलेज टीम ने आरोपी कर्मचारी से पूछताछ की तो हुआ बड़ा खुलासा
Kanpur Medical College Case: उत्तर प्रदेश के कानपुर जनपद में खून की दलाली का पर्दाफाश हुआ है। यहां मेडिकल कॉलेज के हैलट ब्लड बैंक में खून की दलाली का बड़ा खेल चल रहा था। अस्पताल का एक कर्मचारी ब्लड की कालाबाजारी करते हुए रंगे हाथ पकड़ा गया। इस मामले में मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ. संजय काला ने बड़ी कार्रवाई की है। उन्होंने लैब सहायक योगेंद्र कुमार को निलंबित कर दिया है, जबकि आउटसोर्सिंग के दो कर्मचारियों को बर्खास्त किया गया है।
यही नहीं प्रमुख चिकित्सा अधीक्षक के नेतृत्व में जांच कमेटी भी गठित की गई है। दरअसल, कानपुर मेडिकल कॉलेज (जीएसवीएम) में खून की कालाबाजारी की सूचना मिली थी। इसके बाद इमरजेंसी मेडिकल अफसर (ईएमओ) डॉ. अनुराग रजौरिया ने सुरक्षा गार्डों की मदद से हैलट ब्लड बैंक के एक कर्मचारी को खून बेचते हुए रंगे हाथ दबोच लिया। वहीं आरोपी से पूछताछ की गई तो पूरे मामले का खुलासा हो गया।
कर्मचारी चार हजार में बेचता था एक यूनिट ब्लड
मेडिकल कॉलेज की टीम ने आरोपी कर्मचारी से पूछताछ की तो उसने चौकाने वाला खुलासा किया। उसने बताया कि वह चार हजार रुपये में एक यूनिट खून बेचता था। वहीं उसके साथ अन्य कर्मचारियों के लिप्त होने की भी आशंका जताई गई है। इसी को देखते हुए हैलट ब्लड बैंक में सतर्कता बढ़ा दी गई है। बताया गया कि योगेंद्र कुमार मेडिकल कॉलेज से संबद्ध मेटरनिटी विंग में कोरोना की जांच के लिए लगी ट्रूनेट मशीन में लैब सहायक के पद पर कार्यरत है। उसने 21 जुलाई की रात को हैलट के वार्ड नंबर 16 में भर्ती फूलमती के तीमारदार से किसी दलाल को ब्लड के नाम पर चार हजार रुपये दिलाए थे।
ऐसे खुला खून की दलाली का राज
शक होने पर योगेंद्र कुमार को पकड़ लिया गया और पूछताछ की गई। वहीं पूछताछ में उसने पूरे मामले का खुलासा कर दिया। इस मामले में योगेंद्र कुमार को निलंबित और आउटसोर्सिंग के दो कर्मचारियों संजय और आफताब को बर्खास्त कर दिया गया है। वहीं जांच कमेटी का भी गठन किया गया है, जिसमें हैलट के प्रमुख चिकित्सा अधीक्षक डॉ. आरके. मौर्या, मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डॉ. शुभ्रांशु शुक्ला और डॉक्टर नम्रता शामिल हैं।