- हैंड हेल्ड टर्मिनल मशीनें वेटिंग वाले रेल यात्रियों के लिए बनीं वरदान
- ट्रेनों में वेटिंग टिकट का कन्फर्मेशन सौ गुना बढ़ गया
- 22 दिन में 876 यात्रियों को मिली सुविधा
Indian Railway: रेल यात्रियों के लिए राहत भरी खबर है। हैंड हेल्ड टर्मिनल मशीनें यात्रियों के लिए 'वरदान' साबित हो रही हैं। मशीनों से ट्रेनों में वेटिंग कंफर्म हो रही हैं। दरअसल, यूपी के कानपुर सेंट्रल रेलवे स्टेशन से चलने या फिर होकर जाने वाली श्रम शक्ति, शताब्दी समेत 26 ट्रेनों में 22 दिन में ऐसे 876 वेटिंग टिकट धारियों की सीटें इसके जरिए अपने आप कन्फर्म हो गईं। ये मशीनें टीटीई को पांच जुलाई को सौंपी गई थीं। इसके साथ ही टीटीई की मनमानी पर लगाम लगी है। इसके अलावा टीटीई को हैंड हेल्ड टर्मिनल मशीन देने से कई तरह की परेशानी भी दूर हो गई हैं।
आपको बता दें कि पहले व्यवस्था में श्रम शक्ति से लेकर बर्फानी एक्सप्रेस तक, प्रमुख ट्रेनों में चार्टिंग के बाद थ्री एसी और स्लीपर कोचों की वेटिंग, आरएसी सीटें तक टीटीई कन्फर्म नहीं करते थे। लेकिन जब से रेलवे ने टीटीई को हैंड हेल्ड टर्मिनल मशीनें दी हैं, तब से सबसे ज्यादा स्लीपर और थ्री एसी कूपे की 10 से 20 नंबर तक की वेटिंग कन्फर्म हो जा रही है।
अब केवल टीटीई के चार्ट पर टिक करने से नहीं होगा काम
गौरतलब है कि रेलवे काउंटर से जारी आरक्षित वेटिंग टिकट पर कोचों में यात्रा की छूट होती है। यह व्यवस्था इसलिए बनी है कि टीटीई अपने पास उपलब्ध चार्ट के हिसाब से यात्रियों के टिकट चेक करने के बाद किसी यात्री के न आने पर उसकी सीट आरएसी और वेटिंग वाले यात्रियों को अलॉट करें। लेकिन टीटीई इस नियम का पालन नहीं करते थे, वह खाली हुई सीट को मर्जी से किसी को भी अलॉट कर देते थे, इससे सीट के असली हकदार को भी इसका पता नहीं चलता था। नई व्यवस्था के अनुसार टीटीई के केवल चार्ट पर टिक करने से काम नहीं होगा। अब एचएचटी से यात्रियों की उपस्थिति दर्ज होती है। किसी पैसेंजर के न आने पर जो सीट खाली होगी, कंप्यूटर प्राथमिकता से पर वेटिंग टिकट वाले को वह सीट अलॉट कर देता है।
सीट खाली होते ही हो जाती है फीडिंग
एचएचटी की कनेक्टिविटी सीधे रेलवे के रिजर्वेशन सर्वर से है किसी स्टार्टिंग स्टेशन से ट्रेन चलने के दो मिनट पहले तक का अपडेट इस मशीन में होता है। कोई सीट खाली होती है तो उसकी फीडिंग भी होती है। वहीं, अगर अगले स्टॉपेज पर भी चार्टिंग की व्यवस्था है तो उसकी यथास्थिति भी इसमें अपडेट हो जाती है। यानी जैसे-जैसे सीटें खाली होती हैं, वैसे-वैसे यात्रियों को अलॉट होती जाती हैं। कानपुर सेंट्रल के एसीएम संतोष कुमार त्रिपाठी ने कहा कि टीटीई को हैंड हेल्ड टर्मिनल मशीन देने से कई तरह की परेशानी खत्म हो गई हैं। चेकिंग दल पर आरोप लगता था कि वह अपने चहेतों को सीट देता है। अब ऐसा नहीं है। अब सीट खाली होने पर उसके असली हकदार यानी कि वेटिंग वाले को आवंटित करना टीटीई की मजबूरी है।