- कानपुर सेंट्रल बैंक के लॉकर से 30 लाख के जेवर गायब
- घटना की शिकायत पर फॉरेंसिक टीम जांच करने पहुंची
- महिला ने बैंक कर्मचारियों पर जेवर गायब करने के लगाए आरोप
Kanpur Central Bank: कानपुर सेंट्रल बैंक के लॉकर से 30 लाख रुपये के जेवर गायब होने की सूचना मिली। सूचना मिलते ही पर मौके पर पहुंची फॉरेंसिक टीम जांच पड़ताल में जुट गई। घटना की जांच कर रही फॉरेंसिक टीम बैंक के विभिन्न पहलुओं की बारीकी से छानबीन कर रही है। महिला ने जेवरात गायब होने पर बैंक के कर्मचारियों पर इसका आरोप लगाया है। फॉरेंसिक टीम घटना से जुड़े साक्ष्य जुटाने शुरू कर दिए हैं।
मिली जानकारी के अनुसार, कानपुर में सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया की कराचीखाना शाखा के लॉकर से एक वृद्धा ने 30 लाख रुपये के जेवरात जमा किये थे। जहां से ये जेवर गायब हो गए। वृद्धा का आरोप है कि, सोमवार को जब वह लॉकर मे रखे गहनों की जांच करने पहुंची तब उसे चोरी की जानकारी हुई। इसके बाद तत्काल उन्होंने स्थानीय पुलिस को इसकी सूचना दी तहरीर मिलते ही पुलिस ने घटना की जांच पड़ताल शुरू कर दी। फोरेंसिक टीम ने घटनास्थल से कुछ साक्ष्य जुटाए हैं।
कौन है मंजू भट्टाचार्य
फीलखाना निवासी मंजू भट्टाचार्या अकेले रहती हैं। उनके पति का डेढ़ दशक पहले निधन हो गया था। बेटी मुंबई में परिवार के साथ रहती है। उनके दामाद मुंबई में स्क्रिप्ट राइटर हैं। मंजू के अनुसार, सेंट्रल बैंक की कराचीखाना शाखा में उनका काफी समय से एक लॉकर है, जिसमें उनके पूरे जेवरात रखे थे।
18 अक्टूबर तक बैंक में थे रखे जेवर, सोमवार को लॉकर में नहीं थे जेवर
18 अक्तूबर 2021 को जब मंजू भट्टाचार्य बैंक गईं थीं, तो लॉकर में जेवरात सुरक्षित थे। मंजू का दावा है कि, सोमवार को वह बैंक पहुंचीं तो लॉकर में जेवरात नहीं मिले। इसकी सूचना उन्होंने पुलिस को दी। मंजू का आरोप है कि, बैंक कर्मियों ने जेवरात गायब किए हैं। हालांकि, बैंक अफसर इससे इनकार कर रहे हैं। उनकी तहरीर पर पुलिस ने जांच शुरू कर दी है। पुलिस ने बैंक कर्मचारियों से लेकर, बैंक मैनेजर व शिकायतकर्ता से काफी देर तक बातचीत की।
नहीं खुल रहा था लॉकर, चोरी की आशंका
लॉकर की एक चाभी मंजू और दूसरी बैंक अफसरों के पास थी। मंजू के मुताबिक, सोमवार को जब लॉकर खोलने पहुंची, तो लॉकर में चाबी लगाने के कई प्रयास के बाद भी लॉकर नहीं खुला, जिसके बाद उन्होंने बैंक कर्मचारियों से मदद मांगी। लॉकर नहीं खुलने पर स्थानीय कर्मचारियों ने उनकी मदद की। बहुत प्रयास के बाद लॉकर खुला। इसे लेकर उनका कहना है कि लॉकर से छेड़छाड़ कर जेवरात गायब किए गए हैं।
सीसीटीवी से खुल सकता है राज
बैंक और लॉकर रूम सीसीटीवी कैमरों से लैस है। इसलिए पुलिस ने बैंक अफसरों से पिछले कई महीनों के फुटेज मांगे हैं। लॉकर कंपनी के कर्मचारी को भी पूछताछ के लिए बुलाया है। फुटेज से पता किया जाएगा कि, लॉकर रूम में कब कौन गया। लॉकर कंपनी और बैंक के कर्मचारी संदेह के घेरे में हैं।
लॉकर से छेड़छाड़ के सुबूत नहीं, एक संदिग्ध कैद
फोरेंसिक टीम की जांच में चोरी के सुबूत नहीं मिले हैं। न ही लॉकर से किसी तरह की छेड़छाड़ का साक्ष्य मिला है। यह भी स्पष्ट हुआ कि, उस पर कोई फिंगर प्रिंट नहीं है। ऐसे में आरोप पर सवाल उठ रहे हैं। हालांकि, एक संदिग्ध सीसीटीवी में कैद हुआ है। पुलिस ने जब बैंक के अफसरों से इस बारे में पूछा तो उन्होंने बताया कि, वह लॉकर कंपनी का कर्मचारी है। वही सबसे बड़ा संदिग्ध है।
इस तरह खोला जाता है लॉकर
पुलिस ने बैंक से मिली जानकारी, के आधार पर बताया कि, लॉकर खोलने के लिए तय नियम हैं, जो हर ग्राहक के लिए एक जैसे हैं। लॉकर की दो चाभियां होती हैं। इनमें से एक ग्राहक के पास और दूसरी बैंक में रहता है। दोनों चाभी एक साथ लगती हैं, तभी लॉकर खुलता है। लॉकर खोलने के लिए जो भी जाता है, तो उसकी बाकायदा इंट्री होती है। कर्मचारी अपनी चाभी लगाकर लौट जाता है। उसके बाद ग्राहक अपनी चाभी लगाकर उसे खोलता है।
मामले की विस्तृत जांच कराई जा रही है। पुख्ता सुबूत जुटाने के बाद एफआईआर दर्ज की जाएगी। इस दौरान जो लोग शक के दायरे में हैं, उनसे पूछताछ की जा रही है। - प्रमोद कुमार, डीसीपी पूर्वी
लॉकर की चाभी ग्राहक के पास होती है। लॉकर से जेवरात गायब होना संभव नहीं है। ग्राहक को कोई भ्रम हुआ है। बाकी जांच की जा रही है। ग्राहक ने बैंक प्रबंधन को कोई भी लिखित शिकायत नहीं दी है। - विजय सिंह, क्षेत्रीय प्रबंधक, सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया