- कानपुर आईआईटी की नई पहल
- स्वास्थ्य व पर्यावरण संबंधी समस्याओं का करेगा निस्तारण
- न्यूयॉर्क यूनिवर्सिटी के साथ मिलकर काम करेगा आईआईटी कानपुर
Kanpur IIT News: यूनिवर्सिटी ऑफ बुफेलो और यूनिवर्सिटी ऑफ न्यूयार्क के विशेषज्ञों के साथ आईआईटी कानपुर स्वास्थ्य व पर्यावरण संबंधी चुनौतियों से जुड़ी समस्याओं के निस्तारण पर काम करेगा। इन समस्याओं को लेकर आईआईटी कानपुर ने इन दोनों यूनिवर्सिटी से हाथ मिलाया है। इसके तहत नैनो सामग्री, जैव प्रौद्योगिकी, क्वांटम प्रौद्योगिकी, नैनो प्रौद्योगिकी, उन्नत सेंसर, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस व फोटोनिक्स समेत साइबर-भौतिक प्रणाली जैसे क्षेत्रों में भी काम किया जाएगा। गौरतलब है कि आईआईटी का प्रतिनिधिमंडल सात मई को अमेरिका के दौरे पर निकला है। इस प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व प्रो. अभय करंदीकर कर रहे हैं।
भ्रमण के दौरान अमेरिका की यूनिवर्सिटी ऑफ बुफेलो के साथ करार हुआ है। इस करार में आईआईटी कानपुर, आईआईटी बीएचयू, बांबे, जोधपुर और अशोका विश्वविद्यालय विभिन्न मुद्दों पर अमेरिकी यूनिवर्सिटी के विशेषज्ञों के साथ शोध करेंगे।
2027 तक के कार्यक्रमों की रूपरेखा पेश की
भ्रमण के दौरान प्रतिनिधिमंडल ने इलेक्ट्रॉनिक्स, फोटोनिक्स और जैव प्रौद्योगिकी के लिए नैनो सामग्री के डिजाइन, संश्लेषण और डेटा-संचालित अनुसंधान को बढ़ावा देने पर बातचीत की गई। इस दौरान 2027 तक के कार्यक्रमों की रूपरेखा भी पेश की गई। इसके तहत सभी संस्थान मिलकर सामाजिक, औद्योगिक, सांस्कृतिक, वैज्ञानिक और शैक्षणिक हितों और जरूरतों पर ध्यान देंगे। आपको बता दें कि न्यूयॉर्क यूनिवर्सिटी के सहयोग से विभिन्न मुद्दों और समस्याओं के निस्तारण में अहम कामयाबी मिलेगी। स्वास्थ्य और पर्यावरण के क्षेत्र में शोध को बढ़ावा मिलेगा।
तकनीकी खराबी का भी जल्द पता चल सकेगा
वहीं, आईआईटी कानुपर में बिजली सप्लाई में एडवांस सिस्टम पर शोध चल रहा है। भविष्य में सभी सब स्टेशन, सब डिवीजन के उपकरण स्मार्ट होंगे, जिससे फाल्ट व अन्य गड़बड़ियां जल्द पता चल जाएंगी। आईआईटी भी कई सेंसर विकसित कर रहा है, जिससे बिजली आपूर्ति कम बाधित होगी। यह जानकारी आईआईटी में इंटेलीजेंट पावर ट्रांसमिशन एंड डिस्ट्रीब्यूशन सिस्टम पर हुई कार्यशाला में ट्रेनिंग कोआर्डिनेटर प्रो.अंकुश शर्मा ने केस्को, स्काडा समेत विभिन्न बिजली कंपनियों के प्रतिनिधियों को दी। प्रो. शर्मा ने कहा कि लोड अधिक या कम का आकलन आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस व मशीन लर्निंग से किया जा सकेगा। तकनीकी खराबी का भी जल्द पता चल सकेगा।