- आईआईटी कानपुर की तकनीक से साइबर हमले रोकने का करेंगे काम
- इस तकनीक से भविष्य में साइबर अटैकर्स को खोजने में मिलेगी मदद
- अनमैंड एयर व्हीकल को साइबर सुरक्षा देने पर हो रहा शोध
Kanpur News: आईआईटी कानपुर के 16 स्टार्टअप वाली तकनीक अब साइबर हमले को रोक सकेगी। बता दें कि यह तकनीक अटैकर को भी खोज निकालेगी। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान ने साइबर अटैकर्स का पता लगाने के लिए कई तकनीकों को चिह्नित कर लिया है। जिसके आधार पर स्टार्टअप की तकनीक ने अपना शोध भी शुरू कर दिया है। संस्थान की अत्याधुनिक कंप्यूटर लैब सीथ्रीआई में इन स्टार्टअप्स को और बेहतर बनाने के लिए वैज्ञानिक मदद को आगे आए हैं।
इसके साथ ही केंद्र सरकार के प्रमुख वैज्ञानिक सलाहकार, डिपार्टमेंट ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी और राष्ट्रीय साइबर सुरक्षा के अधिकारी भी मदद करेंगे। बता दें कि देश इस समय साइबर अपराधों के जूझ रहा है। आए दिन ऑनलाइन ठगी, साइबर फ्राॅड लोगों के साथ हो रहे हैं। आने वाले दिनों में इनके और बढ़ने की आशंका को देखते हुए इसपर रोक लगाने के लिए आईआईटी कानपुर में नई तकनीक इजाद की गई है।
साइबर अटैक से बचाव के लिए तैयारी शुरू
मिली जानकारी के अनुसार देश को साइबर हमलों से सुरक्षित रखने के लिए आईआईटी के वैज्ञानिक लगातार कई तरह के शोध कर रहे हैं। साइबर अटैक से बचाने के साथ ही अब हमला करने वाले साइबर क्रिमनल का भी पता लगाने के लिए वैज्ञानिकों ने नई तकनीक पर काम लगभग पूरा कर लिया है। इसमें क्रिप्टोग्राफी, ब्लॉकचेन, यूएवी सुरक्षा, घुसपैठ का पता लगाने जैसी कई चीजें शामिल हैं। वैज्ञानिक नई तकनीक के साथ जुड़कर उन समस्याओं का समाधान करने की तैयारी में हैं, जिन समस्याओं से अभी या भविष्य में कंपनियों को खतरा होगा। खास तौर पर भविष्य में साइबर अटैक ही सबसे बड़ा नुकसान पहुंचा सकता है। इसलिए इससे बचाव की तैयारी भी नई तकनीकों की सहायता से शुरू हो गई है।
हाईटेक ड्रोन को भी साइबर सुरक्षा देने पर रिसर्च
जानकारी के लिए बता दें कि आईआईटी के वैज्ञानिक प्रो. संदीप शुक्ला ने बताया है कि भविष्य में यूएवी (अनमैंड एयर व्हीकल) बड़ी जरूरत साबित होगा। चाहे वह रक्षा सेक्टर हो या फिर मेडिकल के सेक्टर में । यूएवी से ही दूरस्थ इलाकों में दवा और राहत सामग्री पहुंचाई जा सकेगी। इसलिए जरूरी ये है कि यूएवी की साइबर सुरक्षा को और मजबूत किया जाए।