- कानपुर में 25 करोड़ रुपये से बनेगी स्टेम सेल लैब
- जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज बनेगा प्रदेश का पहला हब
- प्रोजेक्ट तैयार, सात करोड़ रुपये के खरीदे जाएंगे उपकरण
GSVM Kanpur: कानपुर में स्टेम सेल के दायरे को बढ़ाने और रोगियों को इसका लाभ पहुंचाने के लिए जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज ने 25 करोड़ रुपये का प्रस्ताव तैयार कर लिया है। प्रदेश के राजकीय मेडिकल कॉलेजों में स्टेम सेल थेरेपी का हब बनने वाला जीएसवीएम पहला कॉलेज होगा। अभी रोगियों को स्टेम सेल थेरेपी के लिए दूसरी लैबों की मदद ली जाती है। अब कॉलेज में ही स्टेम सेल की चार लैब बनेंगी। स्टेम सेल थेरेपी का विभाग और लैब हैलट परिसर स्थित ब्लड बैंक के ऊपरी तलों पर बनाए जाने का प्रस्ताव है। प्रस्ताव के मुताबिक, सात करोड़ रुपये के उपकरण खरीदे जाने हैं।
रोगियों को थेरेपी देने के लिए स्टेम सेल को कल्चर करने और दूसरे प्रक्रिया अपनाने के लिए बाहरी एजेंसियों की मदद ली जा रही थी। लेकिन अब मेडिकल कॉलेज खुद अपनी सेल कलेक्शन लैब, वॉशिंग लैब, स्टेम सेल प्रिजर्वेशन लैब और स्टेम सेल बैंक तैयार करेगा।
खरीदे जाएंगे सात करोड़ के उपकरण
ज्यादा खर्च इन्हीं लैब को तैयार करने में आएगा। इनके लिए सात करोड़ के उपकरण खरीदे जाएंगे। स्टेम सेल का अलग विभाग हो जाने और ये सारी सुविधाएं उपलब्ध होने के बाद मेडिकल कॉलेज जेनेटिक इंजीनियरिंग की दिशा में काम करेगा। कॉलेज के प्राचार्य संजय काला ने बताया कि, प्रोजेक्ट तैयार कर लिया गया। स्थान भी तय हो गया है। स्टेम सेल थेरेपी तो लगातार चल ही रही है, व्यवस्था बनाने की प्रक्रिया आगे बढ़ाई जाएगी।
हब स्पोक मॉडल बनेगा जीएसवीएम
जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज हब स्पोक मॉडल बनेगा। आसपास के जिलों के ग्रामीण अंचलों में मेडिकल कॉलेज के विशेषज्ञ सुविधाएं उपलब्ध कराएंगे। शासन की योजना के तहत यह व्यवस्था बनाई गई है। ग्रामीण अंचलों के स्वास्थ्य केंद्रों पर वेब कैम लगेंगे। साथ ही हैलट में 20 बेड का आईसीयू बनाया जा रहा है। हब स्पोक मॉडल से खासतौर पर बच्चों और गर्भवती महिलाओं को सुविधा उपलब्ध कराई जाएगी।
मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ. संजय काला ने इस संबंध में शनिवार को विभागाध्यक्षों और विशेषज्ञों के साथ बैठक की। उन्होंने बताया कि, सुदूर अंचलों के बहुत से गंभीर रोगियों की डायग्नोसिस नहीं बन पाती है। इससे समय से इलाज नहीं मिलता। इस व्यवस्था से रोगी की स्थिति पता करके उसे तुरंत सुविधा दिलाई जाएगी। गंभीर रोगी को हैलट बुलाकर आईसीयू में भर्ती कर उपचार किया जाएगा। उन्होंने बताया कि, मेडिकल कॉलेज को सेंटर आफ एक्सीलेंस बनाए जाने के भी प्रयास किए जा रहे हैं। इससे सुविधाएं और बढ़ जाएंगी।