- कानपुर में बंदरों के आतंक से व्यापारी और आमजन परेशान
- व्यापारियों ने पुलिस कमिश्नर से की उत्पाती बंदरों की शिकायत
- जल्द समस्या के समाधान का दिया आश्वासन
Kanpur Monkey Terror: उत्तर प्रदेश के कानपुर जिले में बंदरों का आतंक लगातार बढ़ता जा रहा है। बंदरों के आतंक से परेशान कानपुर उद्योग व्यापार मंडल के पदाधिकारी मंगलवार को पुलिस कमिश्नर के सामने अपनी अनोखी समस्या लेकर पेश हुए। कानपुर के व्यापारी एक अनूठी शिकायत लेकर पुलिस कमिश्नर के पास गए। आपको बता दें कि कलेक्टर गंज के व्यापारी और आसपास के लोग बंदरों के आतंक से काफी परेशान हैं। सैकड़ों की तादाद में बंदर कभी दुकान तो कभी किसी के घर में घुसकर उत्पात मचा रहे हैं, बंदर कई लोगों को काट भी चुके हैं। व्यापारी और आमजन काफी परेशान हैं। मंगलवार को उद्योग व्यापार मंडल के पदाधिकारियों ने पुलिस कमिश्नर विजय सिंह मीणा से मदद की गुहार लगाई है।
पुलिस कमिश्नर विजय सिंह मीणा के पास पहुंचे व्यापारियों ने मांग की है कि बंदरों के आतंक से निजात दिलाई जाए। कोई ऐसा कदम उठाया जाए, जिससे व्यापारी और आम जनता इनके आतंक से भयभीत न हों। मामले में पुलिस कमिश्नर ने व्यापारियों को आश्वस्त किया कि जल्द ही समस्या का समाधान होगा।
पुलिस कमिश्नर ने दिया समस्या का जल्द निस्तारण करने का आश्वासन
पुलिस कमिश्नर ने बताया कि बंदरों के उत्पात से परेशान व्यपारी वर्ग के लोग मुलाकात करने आए थे। यह समस्या मेरे संज्ञान में है, उन्होंने कहा कि हमने वन विभाग को इस पूरे मामले में कार्रवाई के लिए निर्देशित किया है, जल्द इस समस्या का निराकरण किया जाएगा। आपको बता दें कि बंदर पहले कानपुर शहर के गंगा के घाटों या जंगल के इलाकों में रहते थे, लेकिन पिछले कुछ दिनों में बंदर शहर के अलग-अलग हिस्सों में झुंड बनाकर आ जाते हैं। वह आमजन पर हमला करते हैं, साथ ही घर या दुकानों से सामान उठाकर ले जाते हैं। बच्चों में भी बंदरों का भय व्याप्त है।
बांदा में भी एक बंदर से पूरा गांव परेशान
वहीं, बांदा के तिंदवारी थाना इलाके के पिपरगवां गांव में भटक कर पहुंचे बंदर के हमले से लोग परेशान है। एक हफ्ते में बंदर 50 लोगों को काट चुका है। मंगलवार को भी बंदर कौशल (4), राजू (9), देवरती (38), शिवकुमार (50), दीपू (12), सियापति (45), बद्री प्रसाद (63) आदि ग्रामीणों को काटकर घायल कर चुका है। सभी ने पीएचसी और निजी अस्पताल में इलाज कराया। ग्रामीणों का आरोप है कि कई बार वन विभाग रेंजर श्यामलाल को इसकी जानकारी दी, लेकिन उन्होंने अपना ट्रांसफर होने की बात कहकर जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ लिया।