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मुख्य बातें
- शकील बदायुनी अपने जमाने के जाने-माने शायर और लिरिसिस्ट थे
- उनका का जन्म 2 अगस्त, 1916 को उत्तर प्रदेश के बदायूं में हुआ थे
- उन्होंने मुशायरों के अलावा फिल्म जगत में भी खूब नाम कमाया था
चौदहवीं का चांद हो या आफताब हो, जो भी हो तुम खुदा की कसम लाजवाब हो। इस शेर को कहने वाले के नाम से तो आप वाकिफ होंगे। जी हां, हम बात कर रहे हैं शकील बदायुनी की, जिन्होंने अपनी शायरी के दम पर खूब वाहवाही बटोरी। मंच से लेकर फिल्मी जगत तक अपना जलवा बिखेरने वाले शकील जिस मुशायरे में जाते, वहां महफिल लूट लेते थे। कद काठी संवरे हुए बाल और चेहरे की आभा से वे शायर कम फिल्मी कलाकार अधिक लगते थे। शकील साहब को मोहब्बत का शायर कहा जाता था। अब भी उनकी शायरी सुनी और गुनगुनाई जाती है। आज हम आपके लिए शकील बदायुनी की कुछ मशहूर शेर लेकर आए हैं।
कल रात जिंदगी से मुलाकात हो गई
लब थरथरा रहे थे मगर बात हो गई- ये दाग, दाग की खातिर मिटा के छोड़ेंगे
नए अदब को फसाना बना के छोडेंगे - वो आंख तो दिल लेने तक बस दिल की साथी होती है,
फिर लेकर रखना क्या जाने दिल लेती है और दिल खोती है - लम्हे उदास उदास फजाएं घुटी घुटी
दुनिया अगर यही है तो दुनिया से बच के चल - इक शहंशाह ने बनवा के हसीं ताजमहल
सारी दुनिया को मोहब्बत की निशानी दी है - यूं तो हर शाम उमीदों में गुजर जाती है
आज कुछ बात है जो शाम पे रोना आया - ऐ इश्क ये सब दुनिया वाले बेकार की बातें करते हैं
पायल के गमों का इल्म नहीं, झंकार की बातें करते हैं - गुलशन हो निगाहों में तो जन्नत न समझना
दम-भर की इनायत को मोहब्बत न समझना - मुझे तो कैद-ए-मोहब्बत अजीज थी लेकिन
किसी ने मुझ को गिरफ्तार कर के छोड़ दिया - ऐ मोहब्बत तिरे अंजाम पे रोना आया
जाने क्यूं आज तिरे नाम पे रोना आया