- राजस्थान में हर जिले में कई दर्शनीय स्थल देखने को मिलते हैं।
- यहां विशेष रूप से दुर्ग हैं जिनकी भव्यता अद्भुत है।
Discover Rajasthan-7 hidden destinations: राजस्थान भारत का एक बहुत ही खास पर्यटन राज्य है जो हर साल अपने आकर्षक पर्यटन स्थलों की वजह से दुनिया भर के पर्यटकों को अपनी तरफ आकर्षित करता है। राजस्थान में हर जिले में कई दर्शनीय स्थल देखने को मिलते है, यहां विशेष रूप से दुर्ग हैं जिनकी भव्यता अद्भुत है। राजस्थान देशीय और अंतर्राष्ट्रीय पर्यटकों, दोनों के लिए एक उचित पर्यटन स्थल है। भारत की सैर करने वाला हर तीसरा विदेशी सैलानी राजस्थान देखने जरूर आता है क्योंकि यह भारत आने वाले पर्यटकों के लिए "गोल्डन ट्रायंगल" का हिस्सा है। जयपुर के महल, उदयपुर की झीलें और जोधपुर, बीकानेर तथा जैसलमेर के भव्य दुर्ग भारतीय और विदेशी सैलानियों को आकर्षित करते हैं। जोधपुर का मेहरानगढ़ दुर्ग ,सवाई माधोपुर का रणथम्भोर दुर्ग एवं चित्तौड़गढ़ दुर्ग काफी प्रसिद्ध है।
राजस्थान टूरिज्म के निदेशक निशांत जैन (आईएएस) कहते हैं कि राजस्थान पर्यटन की दृष्टि से बेहद लोकप्रिय है। यहां रेगिस्तान भी हैं और झीलें भी, महल हैं, क़िले हैं और वाइल्ड लाइफ भी है। पर्यटन की ऐसी विविधता किसी एक राज्य में मिलनी मुश्किल है। राजस्थान में लोकप्रिय टूरिस्ट स्पॉट के अलावा कई अनछुए अद्भुत पर्यटन स्थल भी हैं, जिन्हें आज-कल टूरिस्ट एक्सप्लोर कर रहे हैं। राजस्थान टूरिज्म इस दिशा में लगातार प्रयास कर रहा है। ‘पधारो म्हारे देस’ के साथ राजस्थान आपको अनूठे अनुभव के लिए आमंत्रित करता है।
आइये जानते हैं कि राजस्थान की सात ऐसी जगहों के बारे में जो जन्नत से कम नहीं हैं।
सागर, कुण्ड और बावड़ियों का शहर- बूंदी
सुख, चैन और सु़कून मिला तो नोबेल पुरस्कार विजेता रूडयार्ड किपलिंग ने अपने प्रसिद्ध उपन्यास ‘‘किम’’ का कुछ अंश, बून्दी में बैठकर लिखा। उन्होंने लिखा है - "जयपुर पैलेस, पेरिस के महल से कम नहीं है। लाल चट्टानों पर भूरे रंग के ऊंचे बुर्ज, लगता है किसी जिन्न का काम है परन्तु बूंदी पैलेस दिन के उजाले में भी ऐसा लगता है कि मनुष्य ने अपने अधूरे सपने सजाए हैं। परी कथा और सिन्ड्रेला के जमाने जैसा महल और किला बूंदी का आकर्षण सदियों बाद भी कम नहीं हुआ है। कोटा से 36 किमी. की दूरी पर नवल सागर में प्रतिबिंबित बूंदी का क़िला और महल - ऐसा दृश्य जो सिर्फ सपनों में नजर आता है। ऐसा रमणीय नगर अपनी समृद्ध ऐतिहासिक संपदा से भरपूर है। हरे भरे बड़े बड़े आम के पेड़, अमरूद, अनार, नारंगी और तरह तरह के फल फूलों की लताएं, बा बगीचे, तपती धूप और गर्मी से राहत पाने का सारा सामान यहां है। बूंदी कभी हाड़ा चौहानों द्वारा शासित हाड़ौती साम्राज्य की राजधानी था।
डेजर्ट नेशनल पार्क
थार रेगिस्तान के विभिन्न वन्यजीवों का सबसे अच्छा पार्क है। पार्क में रेत के टीले, यत्र तत्र चट्टानों, नमक झीलों और अंतर मध्यवर्ती क्षेत्रों का गठन किया गया है। जानवरों की विभिन्न प्रजातियां जैसे काले हिरण, चिंकारा और रेगिस्तान में पाई जाने वाली लोमड़ी, ये सब पार्क में विचरण करते हैं। अत्यधिक लुप्तप्रायः ग्रेट इंडियन बस्टर्ड, जो दुनिया का सबसे बड़ी उड़ान भरने वाले पक्षियों में से एक है, उसे भी यहां देखा जा सकता है। सर्दियों में पार्क में विविध जीव जैसे हिमालयी और यूरेपियन ग्रिफोन वाल्टर्स, पूर्वी इंपीरियल ईगल और ’स्केलेर फॉल्कन’ पक्षी यहां विहार करते हैं। यह नैशनल पार्क जैसलमेर से 40 कि.मी. की दूरी पर है तथा पर्यटकों के देखने लायक़ हैं।
आनंद सागर झील
सुनहरे द्वीपों के शहर बांसवाड़ा के करीब महारावल जगमल सिंह की रानी लंची बाई द्वारा इस झील का निर्माण किया गया था। बाई तालाब के नाम से लोकप्रिय यह मीठे पानी की कृत्रिम झील है। यह झील बांसवाड़ा के पूर्वी भाग में स्थित है तथा यहाँ कल्प वृक्ष भी हैं। कहते हैं, जो भी यहाँ आ कर अपनी इच्छा मांगता है वह पूरी हो जाती है। करीब ही राज्य के शासकों की छतरियाँ व स्मारक भी बने हुए हैं।
अभेड़ा महल
चम्बल नदी के पूर्वी तट पर बसे कोटा शहर में स्थित अभेड़ा महल का निर्माण 18 वीं शताब्दी में कराया गया था। यहां महल शाही आरामगाह की दृष्टि से कोटा से 8 किमी की दूरी पर निर्मित करवाया गया था, जिसमें राजकुमारी धीरदेह द्वारा पानी का कृत्रिम जलाशय निर्मित करवाया गया था, जिससे ज्यादा से ज्यादा वन्य जीव व पक्षी इस ओर आकर्षित हो सकें। महाराव उम्मेदसिंह द्वितीय के शासनकाल में इस जलाशय में मगरमच्छ की विभिन्न प्रजातियों को पाला जाता था तथा अभेड़ा का तालाब इसीके कारण प्रसिद्व था। इसी के करीब दाढ़ देवी मंदिर है। कोटा से करीब 15 कि.मी. की दूरी पर कोटा के शाही परिवार की कुलदेवी का प्राचीन मंदिर है। यह स्थान सघन वन क्षेत्र में स्थित है। यहां पर चैत्र नवरात्र में 9 दिवसीय मेला लगता है।
जल महल
जयपुर के करीब मानसागर झील के बीच में बना अद्भुत जलमहल पानी पर तैरता प्रतीत होता है। इसकी पाल (किनारे) पर रोजाना स्थानीय तथा विदेशी पर्यटक मनमोहक नजारा देखने आते हैं। रात के समय जलमहल रंग बिरंगी रौशनी में परी लोक सा लगता है। महाराजा जयसिंह द्वितीय द्वारा 18वीं सदी में बनवाया गया, ’रोमांटिक महल’ के नाम से भी जाना जाता है। राजा अपनी रानी के साथ इस महल में खास वक्त बिताने आते थे तथा राजसी उत्सव भी यहां मनाए जाते थे। इसके चारों कोनों पर बुर्जियां व छतरियां बनी हैं। बीच में बारादरी, संगमरमर के स्तम्भों पर आधारित है।
सिसोदिया रानी महल और बाग
जयपुर से ८ किलोमीटर की दूरी पर आगरा रोड पर स्थित सिसोदिया रानी महल और बाग़ मुगल शैली से सजा – संवरा है। राधा और कृष्ण की लीलाओं के साथ चित्रित इस बहु-स्तरीय उद्यान में फव्वारे, पानी के झरने और चित्रित मंडप हैं। महाराजा सवाई जय सिंह द्वितीय ने इसे अपनी सिसोदिया रानी के लिए बनाया था।
झालाना सफारी पार्क
जयपुर के करीब लम्बे चौड़े क्षेत्र में फैला, झालाना सफारी पार्क जयपुर का एक सुन्दर पार्क है जो कि विशेषकर तेंदुआ देखने के लिए प्रसिद्ध है। लगभग 1978 हैक्टेयर में फैला यह जंगल, जयपुर शहर के दक्षिण पूर्व में है। सन् 1860 तक यह क्षेत्र सामंतवादी शासन के अधीन था। यह सम्पत्ति जयपुर के पूर्व महाराजा की थी तथा शाही परिवार के लिए क्रीड़ा स्थल था। यहां की सैर करने में नम स्थान, जंगली आगामी वन दिखाई देता है। तेंदुए के साथ ही इस वन क्षेत्र में 15-20 चीते भी घूमते दिखाई पड़ते हैं। झालाना सफारी पार्क में इसके अलावा और भी बहुत से वन्य जीव देखे जा सकते हैं जैसे - धारीदार लकड़बग्घा, जंगली लोमड़ी, सुनहरी गीदड़, चीतल, भारतीय कस्तूरी बिलाव, नील गाय, जंगली बिल्ली आदि। इसके साथ ही यह पार्क पक्षी प्रेमियों के लिए भी स्वर्णिम अवसर प्रदान करता है, क्योंकि यहां पर विविध प्रजाति के पक्षी जिनमें भारतीय पित्रा, काला गिद्ध, उल्लू, छींटेदार छोटे उल्लू, शिकरा (छोटा बाज) और बड़े गिद्ध भी शामिल हैं।