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Must Visit Places in Kanyakumari: रोमांच और रहस्यों से भरा शहर है कन्‍याकुमारी, एक बार जरूर करें सैर

Updated Apr 02, 2021 | 14:34 IST

तमिलनाडु के तट पर बसा कन्या कुमारी हिन्द महासागर, बंगाल की खाड़ी और अरब सागर का संगम स्थल कहलाता है। भारतीय संस्कृति और खूबसूरती को लेपेटे खड़ा यह शहर भारत की आन बान शान को प्रकट करता है।

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Kanyakumari

Top 10 Tourist places of Kanyakumari: भारत की खूबसूरती और भारतीय संस्कृति और सभ्यता का वर्णन जब भी किया जाता है तो कश्मीर से कन्याकुमारी का नाम सबसे पहले जुबां पर होता है। कश्मीर भारत माता का मस्तिष्क है तो कन्यकुमारी भारत माता का चरण। जी हां भारत के आखिरी छोर पर स्थित कन्याकुमारी समुद्र की नीली परत से घिरा हुआ है, जहां तक नजरें पहुंचती हैं वहां तक ऐसा लगता है कि मानो नीली रेशम की चादरें सिलवटों में सिमटी हुई है!

समुद्र की कलकलाहट सुकून और आनंद का अनुभव कराती है। तमिलनाडु के तट पर बसा कन्याकुमारी हिन्द महासागर, बंगाल की खाड़ी और अरब सागर का संगम स्थल कहलाता है। ऐसे में इस लेख के माध्यम से आज हम आपके लिए भारत के आखि‍री छोर पर स्थित भारतीय संस्कृति और खूबसूरती को लेपेटे कन्याकुमारी के शानदार पर्यटन स्थलों की सूची लेकर आए हैं।

विवेकानंद रॉक मेमोरियल

विवेकानंद रॉक मेमोरियल ना केवल ऐतिहासिक है बल्कि कन्याकुमारी के इस शानदार पर्यटन स्थल का दीदार करना पर्यटक बेहद पसंद करते हैं। यह पर्यटकों के आकर्षण का प्रमुख केंद्र है। आपको बता दें यह मेमोरियल स्वामी विवेकनंद को समर्पित है, कहा जाता है कि सन् 1892 में स्वामी विवेकानंद कन्याकुमारी के भ्रमण पर आए थे। इस सूनसान स्थान पर साधना के बाद विवेकानंद को अपने जीवन के लक्ष्य की प्राप्ति हुई थी और विवेकानंद के इस अनुभव का लाभ पूरे विश्व को मिला। क्योंकि इसके कुछ ही दिनों बाद वह शिकागो सम्मेलन में सम्मिलित हुए थे।

स्वामी विवेकानंद के अमर संदेशों को साकार रूप देने के लिए 1970 में इस विशाल शिला पर एक भव्य स्मृति भवन का निर्माण किया गया। समुद्र के बीचोबीच स्थित इस स्मृति भवन पर पहुंचने के लिए आप कस्तियों का सहारा लेकते हैं। वास्तव में समुद्र की कलकलाहट से गुजरती कस्तियों में बैठकर प्रकृति की खूबसूरती का नजारा देखने लायक होगा।
 
तिरुवल्लुवर मूर्ती

भारत की आन बान शान को प्रकट करता भारत की सबसे ऊंची प्रतिमाओं में से एक तिरुवल्लुवर मूर्ती की ऊंचाई लगभग 133 फीट है और इसका वजन 200 टन है। यह मूर्ती मशहूर संत और कवि तिरुवल्लुवर का है, इस मूर्ती का निर्माण लगभग 500 कारीगरों ने मिलकर किया था। यहां पर विवेकानंद मेमोरियल से कस्तियों द्वारा पहुंचा जा सकता है। समुद्र के बीचोबीच स्थित इस मूर्ती को देखने के लिए देश दुनिया से पर्यटक आते हैं।

व्यू टावर

यदि आप सूर्योदय औऱ सूर्यास्त का शानदार नजारा देखना चाहते हैं तो व्यू टावर सबसे शानदार पर्यटन स्थल है। यहां से आप अरब सागर, हिंन्द महासागर औऱ बंगाल की खाड़ी के शानदार नजारे का लुत्फ उठा सकते हैं, वास्तव में यह दृश्य आपका मनमोह लेगा। कन्याकुमारी की यह शानदार जगह विवेकानंद मेमोरियल औऱ तिरुवल्लुवर मूर्ती से कुछ ही दूरी पर स्थित है। इस स्थान पर हर साल लाखों की संख्या में पर्यटक व सैलानी घूमने के लिए आते हैं।

कन्याकुमारी मंदिर

भारत के आखरी छोर पर स्थित कन्याकुमारी का नाम मां कन्याकुमारी के नाम से दिया गया है। इस शहर में मां कन्याकुमारी का प्रसिद्ध मंदिर है। मान्यता है कि इस मंदिर के दर्शनोपरांत भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं और एक विशेष फल की प्राप्ति होती है। यहां पर देश विदेश के पर्यटकों का तांता लगता है।

मां कन्याकुमारी मंदिर को लेकर कई पौराणिक कथाएं मौजूद हैं। इसके अनुसार भगवान शिव ने बलसाली राक्षस बांणासुर को यह वरदान दिया था कि उसका वध किसी कुंवारी लड़की से होगा। इस दौरान माहाराजा भारत का शासन भारत पर था, महाराजा भारत की आठ पुत्रियां और 1 पुत्र था। महाराज भारत ने भारत का विभाजन कर उसे आठ राज्यो में बांट दिया और प्रत्येक राज्य अपने बच्चों को सौंप दिया। दक्षिण का हिस्सा देवी कुमारी को दिया गया, मां कन्याकुमारी माता पार्वती का रूप थी।

देवी कुमारी भगवान शिव से विवाह करना चाहती थी, यज्ञ और तपस्या से भगवान शिव ने भी देवी के इस प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया। लेकिन नारद मुनि का कहना था कि देवी कुमारी को पहले बांणासुर का वध करना होगा, बांणासुर भी देवी के पास विवाह का प्रस्ताव लेकर पहुंचा। लेकिन देवी का कहना था कि यदि वह उन्हें युद्ध में पराजित कर देता है तो वह उसके विवाह के प्रस्ताव को स्वीकार कर लेंगी। परंतु देवी पार्वती का रूप मां कन्याकुमारी ने बांणासुर को युद्ध में पराजित कर उसका वध कर डाला। देवी कुमारी का यह मंदिर प्रसिद्ध तीर्थ स्थान है।

उदयगिरी का किला

माहाराजा मार्तंड द्वारा निर्मित उदयगिरी के किले को डे लेनॉय किले के नाम से भी जाना जाता है। इस किले में डे लेनॉय और उनकी पत्नी औऱ बेटे की समाधि देखी जा सकती है। किले के अंदर मौजूद ऐसा खूबसूरत पार्क आपने शायद ही कभी देखा होगा। इस पार्क हिरण, बत्तख और अन्य पक्षियों सहित 100 से भी अधिक किस्मों के पेड़ मौजूद हैं। वास्तव में किले का यह शानदार नजारा आपका मनमोह लेगा। ऐसे में यदि आप इतिहास में रुचि रखते हैं साथ ही प्रकृति के शानदार नजारे का भी आनंद लेना चाहते हैं तो उदयगिली किले को अपनी सूची में अवश्य शामिल करें।

पद्मापुरम् पैलेस

भारत की आन बान शान को प्रकट करता पद्मापुरम् महल दुनिया के शीर्ष दस महलों में से एक है। इस महल की खूबसूरती का दीदार करने के लिए लाखों की संख्या में देश दुनिया के पर्यटक इस स्थान पर आते हैं। तकरीबन 6 एकड़ में फैले इस पैलेस का निर्माण 17वीं शताब्दी में ईराविप्ल्लई इराविवर्मा कुलशेर पेरुमल ने करवाया था। इस महल का निर्माण में आप लकड़ी के प्रयोग को अधिक देखेंगे।

मायापुरी वंडरवैक्स

मायापुरी वंडरवैक्स कन्याकुमारी के सबसे शानदार जगहों में से एक है। यह कन्याकुमारी रेलवे स्टेशन से कुछ ही दूरी पर स्थित है। राष्ट्रीय औऱ अंतर्राष्ट्रीय स्तर के कई लोकरप्रिय लोगों के स्टैचू मौजूद हैं। यह स्थान मनोरंजन औऱ ज्ञान दोनों से परिपूर्ण है। इसलिए यह बच्चों के लिए खास जगह है। यह सुबह 8 बजे से राज 8 बजे तक खुला रहता है और रविवार के दिन यह बंद रहता है। ऐसे में यदि आप परिवार के साथ कन्याकुमारी घूमने के लिए जाते हैं तो मायापुरी वंडरवैक्स का भ्रमण अवश्य करें।

तिरपरअप्पू वाटरफॉल्स

कन्याकुमारी में मौजूद यह प्रकृति प्रेमियों के लिए सबसे शानदार जगह है। साथ ही यह कन्याकुमारी का सबसे लोकप्रिय पिकनिक स्पॉट भी है। इसकी खूबसूरती को लफ्जों में बयां कर पाना नामुमकिन है। ऐसे में यदि आप वाटरफॉल्स का लुत्फ उठाना चाहते हैं तो आपके लिए यह जगह बेहद खास होगी।

गांधी मंडपम

गांधी मंडपम, गांधी जी को समर्पित है। इस मेमोरियल की ऊंचाई लगभग 79 फीट रखी गई है, जो महात्मा गांधी के जीवन आयु को दर्शाती है और इस स्मारक को ऐसी तकनीक के साथ बनाया गया है कि हर साल 2 अक्टूबर को सूर्य की किरण उसी स्मारक पर पड़ती है। ऐसे में यदि आप महात्मा गांधी के जीवन से जुड़ी खास बातों और ऐसी रोचक तकनीक को देखना चाहते हैं तो इस स्थान का भ्रमण अवश्य करें।

नागराज मंदिर

कन्याकुमारी में नागराज का प्रसिद्ध मंदिर है। इस मंदिर का निर्माण बुद्ध कारीगरी की याद दिलाता है। यह मंदिर नागदेव को समर्पित है।