- भगवान श्रीकृष्ण की हर लीला मनुष्य को देती है बड़ी सीख
- गीता के रूप में उनकी वाणी अनुकरणीय है, वैसे ही जीवन भी
- श्रीकृष्ण ने सिखाया जीवन के उतार-चढ़ाव का कैसे करें सामना
Krishna Janmashtami 2022: महाभारत के महानायक भगवान श्रीकृष्ण मनुष्यता के सबसे बड़े मार्गदर्शक हैं। उनका गीता उपदेश जहां जीवन प्रबंधन की सीख देती है, वहीं इनका व्यक्तित्व व जीवन लीला भी हमें बहुत कुछ सिखाती है। अगर हम चाहें तो इनके जीवन से प्रेरणा लेकर अपने जीवन को सफल, सुखी और सरल बना सकते हैं। भगवान श्रीकृष्ण ने बाल्यकाल में जहां गायें चराते चरवाहे के तौर पर प्रकृति प्रेम का संदेश दिया है तो वहीं युवा अवस्था में सुदामा से मित्रता निभाकर नई मिसाल कायम की। यहां पर हम भगवान कृष्ण के 6 ऐसे अहम सीख के बारे में बता रहे हैं, जिनका अनुसरण कर जीवन को सरल और आनंदमय बना सकते हैं।
1. सीख- जन्म देने और पालन करने वाला बराबर
श्री कृष्ण का जन्म देवकी के गर्भ से हुआ था, वहीं लालन-पालन यशोदा ने किया था। श्री कष्ण ने हमेशा दोनों को एक समान दर्जा देकर बताया कि पालने करने वाला भी जन्म देने वाले के बराबर होता है।
Also Read: Janmashtami 2022 Song: जन्माष्टमी पर सुनें श्रीकृष्ण के ये गीत, आनंद से मनाएं कान्हा का जन्मोत्सव
2. सीख- गुरु का कार्य मार्गदर्शन करना
महाभारत युद्ध में श्रीकृष्ण ने एक गुरु की तरह पांडवों का हमेशा मार्गदर्शन किया, लेकिन इस जीत का श्रेय भीम-अर्जुन को देकर बताया कि एक गुरु को अपने शिक्षा का श्रेय खुद नहीं लेना चाहिए। गुरु को नि:स्वार्थ भाव से मार्गदर्शन करना चाहिए।
3. सीख- महिलाओं का सम्मान करें
द्रौपदी के चीरहरण के समय जब कोई भी उनकी रक्षा करने नहीं आया तो तब श्रीकृष्ण ने उनकी लाज रख बताया कि महिलाओं का सदैव सम्मान करना चाहिए। चाहे वह आपकी परिचित हों या नहीं।
4. सीख- हमेशा शांत रहें
श्रीकृष्ण अपने जीवन से लोगों को हमेशा शांत रहने की सीख देते हैं। श्रीकृष्ण की बुआ के पुत्र शिशुपाल ने उनका 100 बार अपमान किया, लेकिन उन्होंने उसे शांति से सहन किया। दुर्योधन ने भी उनका अपमान किया, लेकिन वे कभी क्रोध नहीं करते।
5. सीख- प्रतिकूल परिस्थिति में भी मुस्कराएं
श्रीकृष्ण का समूचा जीवन संकट और संघर्ष से भरा रहा। उनका जन्म ही कारागार में हुआ। इन्होंने जीवन में आने वाली सभी प्रतिकूल परिस्थिति का सामना मुस्कराते हुए किया।
6. सीख- अच्छे और सच्चे मित्र
श्रीकृष्ण यूं तो सबके मित्र हैं, लेकिन इनकी अर्जुन, उद्धव व सुदामा के साथ मित्रता जगप्रसिद्ध है। इन्होंने अपने मित्रों का साथ कभी नहीं छोड़ा। हर संकट में अपने मित्र के साथ खड़े होकर सहायता करते नजर आए। यह बताता है कि संकट में फंसे मित्र की सहायता करो, भ्रम में मार्गदर्शन और जरूरत पड़ने पर सहयोग।
(डिस्क्लेमर : यह पाठ्य सामग्री आम धारणाओं और इंटरनेट पर मौजूद सामग्री के आधार पर लिखी गई है। टाइम्स नाउ नवभारत इसकी पुष्टि नहीं करता है।)