Mysterious Forts In India MP tourism travel story : भारत के विभिन्न हिस्सों में प्राचीनकाल में बनाए गए किले आज भी राजा, महाराजाओं, नवाबों की याद दिलाते हैं और भारतीय संस्कृति और सभ्यता को समेटे खड़े हैं। यह अपने समय की प्रचलित संस्कृति, सभ्यता और भवन कला से रूबरू कराते हैं, जो आज भी इनमें मौजूद हैं। इनमें से कुछ किले ऐसे हैं जो आज भी देश दुनिया के पर्यटकों के आकर्षण का प्रमुख केंद्र है। यह किले बेहद खूबसूरत हैं औऱ अपने खतरनाक औऱ खौफनाक कहानियों के लिए देश दुनिया में शुमार हैं। कुछ किलों को लेकर मानना है कि इन किलों के अंदर जाने पर व्यक्ति बाहर नहीं आता। टाइम्स नाऊ के इस लेख के माध्यम से आज हम आपको भारत के ऐसे ही रहस्यमयी किलों से रूबरू कराएंगे। जिनके बारे में आपने ना कभी सुना होगा और ना ही कभी देखा होगा। तो आइए जानते हैं।
बंधावगढ़ का किला
मध्य प्रदेश के उमड़िया जिले में स्थित बंधावगढ़ का किला भारत के अद्भुत औऱ रहस्यमयी किलों में से एक है। इस किले में भगवान विष्णु की स्वैन मुद्रा में पत्थरों से बनी एक विशालकाय मूर्ती स्थापित है। यह मूर्ती अपने अंदर लगभगल 2000 साल का रहस्यमयी इतिहास समेटे हुए है। यह किला बंधावगढ़ पहाड़ी पर स्थित है, इसका निर्माण करीब 2000 साल पहले करवाया गया था। आपको बता दें यह किला ही नहीं बल्कि यह पूरा पहाड़ ही रहस्यमयी औऱ अद्भुत है। इस किले और पहाड़ का उल्लेख नारद पंच और शिव पुरांण में भी मिलता है।
इस किले के अंदर जाने के लिए सिर्फ एक ही रास्ता है जो घने जंगलों से हो कर गुजरता है। इसके अंदर एक सुरंग बनी हुई है जो सीधे रीवा निकलती है। राजा गुलाब सिंह औऱ उनके पिता मार्तण्डं सिंह इस किले का इस्तेमाल खूफिया किले के रूप में करते थे। किले का इतिहास टीपू सुल्तान से बी जुड़ा हुआ है, कहा जाता है कि 6 माह के लगातार प्रयास के बाद भी वह इस किले पर विजय हासिल नहीं कर सका था। किले के अंदर सात ऐसे तालाब हैं जो अब तक सूखे नहीं हैं, इन तालाबों में भीषण गर्मी के बाद भी पानी लबालब भरा रहता है। किले के आसपास कई खतरनाक जंगली जानवर घूमते हैं। घने जंगल औऱ दुर्गम रास्तों के कारण प्रशासन द्वारा यहां आने पर रोक लगा दी गई है, इसकी देखभाल प्रशासन द्वारा की जाती है।
गढ़कुंडार का किला
उत्तरप्रदेश के झांसी से लगभग 50 किलोमीट की दूरी पर स्थित इस किले के बारे में बहुत कम लोग जानते होंगे। इस किले का निर्माण 11वीं शताब्दी में करवाया गया था। यह किला पांच मंजिल का है, जिसकी दो मंजिल जमीन के अंदर है। किला दूर से देखने में भव्य औऱ सुंदर लगता है, लेकिन पास आने पर ऐसा प्रतीत होता है कि इस में अंदर जाने का कोई रास्ता ही नहीं है। स्थानीय लोगों द्वारा कहा जाता है कि सालों पहले इस किले में घूमने के लिए लगभग 50 की संख्या में आए बाराती गए थे। लेकिन अब तक उनका कोई पता नहीं चला। वह अंदर जाने के बाद गायब हो गए। आज भी इस किले का खौफनाक रहस्य बरकरार है।
भानगढ़ किला
राजस्थान के अलवर जिले में स्थित भानगढ़ का किला अपने अंदर कई डरावने और खौफनाक रहस्यों को समेटे खड़ा है। अरावली पर्वत पर स्थित इस किले पर जाने से आज भी लोगों की रूह कांप जाती है। इस किले में कोई व्यक्ति अकेले नहीं जाता औऱ शाम के बाद इस किले में जाने से रोक लगा दी जाती है। आपको बता दें इस किले से कई भूतिया किस्से जुड़े हुए हैं। इस किले का दीदार वास्तव में आपके लिए रहस्यों से भरा हो सकता है।
रोहतासगढ़ किला
बिहार के रोहतास जिले में स्थित रोहतासगढ़ किला बिहार का सबसे प्राचीन औऱ रहस्यमयी किलों में से एक है। इस किले का निर्माण राजा महाराजाओं ने युद्ध के दौरान छिपने के लिए करवाया था। आज भी इस किले में लोग रात में जाने से डरते हैं। मानना है कि रात में किले से जोर जोर से चीखने की आवाजें आती है। साथ ही लोग दिन में भी किले के अंदर अकेले नहीं जाते हैं।
गोलकोंडा किला
गोलकोंडा किला भारत और हैदराबाद के सबसे खौफनाक किलों में से एक है। कहा जाता है कि इस किले का निर्माण पहले मिट्टी से करवाया गया था, लेकिन बाद में इसका निर्माण ग्रेनेट पत्थरों से करवाया गया। कहा जाता है कि इस किले से आज भी बेहद डरावनी चीखें गूंजती हैं। कई फिल्म शूटिंग ग्रुप्स और स्थानीय लोगों का मानना है कि यहां पर रात में किसी की परछाई डराती है और अजीबो गरीब डरावनी औऱ खौफनाक आवाज गूंजती है। इसलिए जब भी किले का दीदार करने के लिए जाएं तो एक ग्रुप के साथ जाएं।
रायसेन का किला
पारस से पत्थर भी सोना बन जाता है आज भी इस कहावत को दोहराई जाती है औऱ यह पुरानी मान्यता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि आज भी यह पारस पत्थर भारत के एक किले में मौजूद है। जी हां आपको बता दें यह पत्थर आज भी कहीं औऱ नहीं बल्कि भारत में ही मौजूद है। यह पत्थर मध्यप्रदेश में भोपाल के रायसेन जिले में रायसेन के किले में आज भी मौजूद है। यह किला भोपाल से लगभग 50 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। इस किले को लेकर कई कथाएं इतिहास में मौजूद है और कई रहस्य इस किले में दफन है। कहा जाता है कि इस किले में पारस पत्थर है औऱ इसकी रखवाली कोई मनुष्य नहीं बल्कि जिन्न करते हैं।
बलुआ पत्थर से निर्मित यह किला सदियों पुराना है और आज भी मजबूती से खड़ा है। इस किले को लेकर कहा जाता है कि यहां के राजा रायसेन के पास पारस पत्थर था औऱ इसी पत्थर को लेकर कई युद्ध लड़े गए। लेकिन कोई भी इसे हासिल करने में कामयाब नहीं कर पाया। राजा के युद्ध हारने के बाद भी पारस पत्थर किसी के हांथ नहीं लगा। युद्ध में हार होते देख राजा ने पारस पत्थर तालाब में फेंक दिया था और तभी से यह रहस्यमयी पत्थर किसी को नहीं मिला। राजा रायसेन के साथ ये पारस पत्थर भी गुम हो गया। लेकिन लोगों का ऐसा मानना है कि पारस पत्थर आज भी किले की चारदीवारी के अंदर है। कई लोगों ने इसे ढूंढ़ने के लिए भरसक प्रयास किया। लेकिन जो किले के अंदर जाता है उसका मांसिक संतुलन खराब हो जाता है, वह अपनी याद्दाश्त खो बैठता है।