- 840 वर्ष पूर्व यानि 12वीं में राजपूत राजवंश द्वारा की गई थी जैसलमेर शहर की स्थापना
- पीले बलुआ पत्थरों से बने जैसलमेर किले को स्वर्ण किला भी कहा जाता है
- अक्टूबर से मार्च का समय जैसलमेर की सैर के लिए बेहद शानदार है
जैसलमेर को राजस्थान का गोल्डन सिटी कहा जाता है। पाकिस्तान सीमा के करीब स्थित यह शहर भारत की आन बान शान को प्रकट करता है। राजस्थान का यह शहर ऐतिहासिक विरासत, संस्कृति और रोमांच का एक शानदार संगम है। जैसलमेर को स्वर्ण नगरी भी कहा जाता है। आज भी इस शहर की गाथाएं इतिहास में दोहराई जाती हैं, इस शहर की स्थापना राजपूत महाराजा जायसला द्वारा साल 1153 त्रिकूट पहाड़ियों के ऊपर की गई थी। यह स्थान देश विदेश के पर्यटकों का प्रमुख आकर्षण केंद्र है। मध्ययुगीन काल में यह भारत के सबसे महत्वपूर्ण रियासतो में एक हुआ करता था। राजस्थान का यह शहर राजस्थानी लोकगीत, नृत्य के लिए प्रसिद्ध है, जिसे वैश्विक मंच पर काफी सराहा जाता है।
यह शहर अपने ऐतिहासिक और सांसकृतिक विरासत के लिए भी मशहूर है। इस शहर की खूबसूरती में चार चांद लगाता है स्वर्ण किला। स्वर्ण किला वास्तव में इस शहर की खूबसूरती को और भी बढ़ा देता है। पीले बलुआ पत्थरों से बने इस किले पर जब सूरज की रोशनी पड़ती है तो यो बिल्कुल सोने की तरह चमकता। जो देश विदेश के पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करता है। इसलिए इस किले को स्वर्ण किले के नाम से भी संबोधित किया जाता है। अपनी खास बनावट और खूबसूरती की वजह से इस किले को वर्ल्ड हेरिटेज साइट की सूची में भी शामिल किया गया है। ऐसे में यदि आप राजस्थान में घूमने की योजना बना रहे हैं तो जयपुर से 557 किलोमीटर की दूर पर स्थित इस शहर को अपनी सूची में शामिल करना ना भूलें। यह शहर राजस्थान के ऐतिहासिक और धार्मिक स्थलों का जीता जागता नमूना है। आइए जानते हैं जैसलमेर का इतिहास वातावरण और यहां पर कैसे पहुंचे...
जैसलमेर का इतिहास
जैसलमेर का इतिहास अपने आप में अद्भुत है, राजस्थान के अन्य सभी शहरों की तरह जैसलमेर का भी अपना गौरवशाली अतीत है। राजस्थान के इस शहर की स्थापना लगभग 840 वर्ष पूर्व यानि 12वीं शताब्दी में राजपूत राजा रावल जैसल द्वारा की गई थी। जैसलमेर को पहले वल्ल मण्डल के नाम से भी जाना जाता था और इसकी राजधानी लौद्रवी थी, यहां पर पंवार राजा का शासन था।
किले का इतिहास
जैसलमेर के किले का निर्माण 1156 में किया गया था और यह राजस्थान का दूसरा सबसे पुराना शहर है। ढाई सौ फीट ऊंचा और सेंट स्टोन के विशाल खंडो से निर्मित 30 फीट ऊंची दीवार वाले इस किले में 99 प्राचीर हैं, जिनमें 92 का निर्माण 1633 औऱ 1647 के बीच करवाया गया था। इस स्थान पर अनेक सुंदर हवेलियां और जैन मंदिरों के समूह हैं। जो 12वीं से 15वीं शताब्दी के बीच बनवाए गए थे।
जैसलमेर पहुंचने के लिए सड़क मार्ग, रेल मार्ग और हवाई मार्ग उपलब्ध हैं। यह शहर जयपुर से लगभग 557 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है यानि आप जयपुर से जैसलमेर लगभग 10 घंटे में पहुंच सकते हैं। ऐसे में आइए जानते हैं दिल्ली से जैसलमेर की दूरी और यहां पर कैसे पहुंचे।
सड़क मार्ग
दिल्ली से जैसलमेर की दूरी लगभग 766 किलोमीटर है यानि कि सड़क मार्ग द्वारा यहां पर आप 14 से 15 घंटे में पहुंच सकते हैं। जयपुर के लिए बस सेवाएं उपलब्ध हैं, यहां से आप टैक्सी या लोकल बस सेवा के माध्यम से जैसलमेर पहुंच सकते हैं।
रेल मार्ग
जैसलमेर पहुंचने के लिए आप रेल मार्ग का सहारा भी ले सकते हैं। यहां पहुंचने के लिए रेल सेवाएं उपलब्ध हैं। रेल मार्ग द्वारा दिल्ली से जोधपुर आप 17 से 18 घंटे में पहुंच सकते हैं। यहां से जैसलमेर पहुंचने के लिए टैक्सी और बस सेवाएं उपलब्ध हैं।
हवाई मार्ग
आपको बता दें जैसलमेर से सबसे निकट हवाई अड्डा जोधपुर है। यहां पर आप हवाई मार्ग द्वारा भी पहुंच सकते हैं। यह हवाई अड्डा जैसलमेर से लगभग 300 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। जोधपुर से जैसलमेर पहुंचने के लिए टैक्सी सेवाएं उपलब्ध हैं।
राजस्थान पहुंचने का उचित समय
यदि आप राजस्थान घूमने की जना बना रहे हैं तो अक्टूबर से मार्च का समय घूमने के लिए बेहद शानदार है। इस समय बहुत ज्यादा गर्मी नहीं होती, जिससे यात्री बिना गर्मी से परेशान हुए यहां के शाननदार नजारे का लुत्फ उठा सकते हैं।