- साल 2016 में केंद्र सरकार ने अंबेडकर सर्किट स्थापित करने के विचार को साझा किया था
- केंद्रीय पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री किशन रेड्डी ने संसद के आगामी बजट में इसे लॉन्च करने की बात कही
- इससे न केवल घरेलू बल्कि अंतरराष्ट्रीय पर्यटन को भी खूब बढ़ावा मिलेगा
Ambedkar Circuit Detail: विकास भी विरासत भी के लक्ष्य की ओर अग्रसर भारत सरकार, लगातार पर्यटन क्षेत्र में नए एवं बड़े कदम उठा रही है। साल 2016 में केंद्र सरकार ने अंबेडकर सर्किट या कहे कि पंचतीर्थ स्थापित करने के विचार को साझा किया था। बीते दिनों केंद्रीय पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री किशन रेड्डी ने संसद के आगामी बजट में से कुछ हिस्सा अंबेडकर सर्किट, राम मंदिर सर्किट और बुद्धिस्ट सर्किट लॉन्च करने के लिए दिए जाने की बात कही है।
साथ ही इस बात को भी साझा किया गया कि देश भर में पर्यटन को सभी के लिए आसान और सुविधाजनक बनाने के उद्देश्य से, कई खास ट्रेनों का संचालन किया जाएगा। जो देश के प्रमुख मंदिरों, ऐतिहासिक धरोहरों तथा अन्य सभी धार्मिक स्थलों को एक दूसरे से जोड़ेगी। इससे न केवल घरेलू बल्कि अंतरराष्ट्रीय पर्यटन को भी खूब बढ़ावा मिलेगा।
क्या है अंबेडकर सर्किट? (What is Ambedkar Circuit)
अंबेडकर सर्किट देश के महान अर्थशास्त्री, राजनीतिज्ञ, समाज सेवक और देश के पहले कानून एवं न्याय मंत्री के रूप में अपनी पहचान स्थापित करने वाले डॉ भीमराव अंबेडकर की स्मृति में बनाया जाएगा। इसके तहत देश भर के चार राज्यों और एक दूसरे देश में स्मृति स्थल का निर्माण किया जाएगा, जहां बाबा साहब ने अपने जीवन का महत्वपूर्ण समय बिताया है।
इसमें से पहला स्थान ‘जन्म भूमि’ के नाम से पहचाना जाएगा, जो मध्य प्रदेश के महू शहर में निर्मित होगा। ये बीआर अंबेडकर का जन्म स्थान है। दूसरी है ‘शिक्षा भूमि’, लंदन में एक एसी जगह जहां उन्होंने अपनी पढ़ाई पूरी की थी। तीसरी होगी नागपूर शहर में ‘दीक्षा भूमि’, जहां उन्होंने बौद्ध धर्म ग्रहण किया था। चौथी है ‘महापरिनिर्वाण भूमि’ जो दिल्ली स्थित होगी, ये उनके निधन का स्थान था। पांचवी और आखिरी है ‘चैत्य भूमि’ जो उनके दाह संस्कार की जगह है, ये मुंबई में स्थित होगी।
अंबेडकर सर्किट को जोड़ेगी खास ट्रेन (Train for Ambedkar Circuit)
उनके जीवन से जुड़ी इन पांच मुख्य जगहों को पंचतीर्थ के नाम से संबोधित किया जा रहा है। और सरकार का देश में मौजूद इन चार मुख्य जगहों को स्पेशल एसी ट्रेन से जोड़ने का सपना है। ट्रेन में यात्रियों के लिए आरामदायक सफर सुनिश्चित करने हेतु खाना, ट्रांसपोर्टेशन और इन स्थानों पर आसानी से एंट्री करने की पूरी सुविधा दी जाएगी।
यही नहीं आपको बता दें कि ये भारत में इस प्रकार से चलने वाली पहली ट्रेन नहीं होगी। देश में रामायण, बुद्धिस्ट और नॉर्थ ईस्ट सर्किट्स एसे तीन सर्किट हैं, जो जनता के लिए पहले से एक्टिव हैं। भारत सरकार की 2014-15 की स्वदेश दर्शन योजना के तहत कुछ 15 पर्यटन केंद्रों की स्थापना की जानी थी। और अंबेडकर सर्किट इस लक्ष्य को पूरा करने की राह में इस तरह का चौथा सर्किट होगा। इसके बाद कोस्टल सर्किट, डेजर्ट सर्किट, ईको सर्किट, हेरिटेज, हिमालयन, सूफी, कृष्णा, ग्रामीण, आदिवासी और तीर्थंकर सर्किट्स स्थापित किए जाने का लक्ष्य है।
इतने दिन का होगा सफर, लगेंगे इतने रुपये
केंद्र पर्यटन मंत्रालय ने भारतीय रेल के लगभग 3000 स्पेशल डिब्बो को इस तरह की सर्किट यात्राओं के लिए पहले से ही रिजर्व कर लिया है। इस साल की शुरुआत में ही एक 14 डिब्बों की खास ट्रेन रामायण सर्किट की यात्रा के लिए चली थी। जिसमें पैंट्री कार, रेस्टोरेंट कार और रेल स्टाफ के लिए अलग कोच था।
बता दें कि यात्रा के लिए प्रति व्यक्ति लगभग 62,000 का खर्चा होगा। साथ ही ये 17 दिन लंबा सफर होगा, जिसके तहत आपको देश भर के अलग अलग कोनों में स्थित सभी पर्यटन स्थल पर ले जाया जाएगा। सरकार इस दिशा में नए मार्ग तलाशने और जनता को आरामदायक अनुभव प्रदान करने के लिए अग्रसर है। अभी तक इन सभी 15 सर्किटों को स्थापित करने के लिए 5,445 करोड़ रुपयों का बजट तय किया गया है।