- समाजवादी पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव ने एनपीआर के मुद्दे पर बीजेपी पर निशाना साधा है
- सरकार पर निशाना साधते हुए अखिलेश यादव बोले- आईसीयू में पहुंच गई है अर्थव्यवस्था
- युवाओं को रोजगार चाहिए, ध्यान भटकाने के लिए लाया जा रहा है एनआरसी और एनपीआर- अखिलेश
लखनऊ: नागरिकता कानून और राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर को लेकर समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने केंद्र सरकार पर निशाना साधा है। अखिलेश यादव ने कहा कि अर्थव्यवस्था की हालत खराब है और देश के युवाओं को एनपीआर-एनआरसी नहीं बल्कि रोजगार चाहिए। उन्होंने कहा कि भाजपा किसी की नागरिकता तय नहीं कर सकती है।
लखनऊ में छात्र नेताओं की एक सभा को संबोधित करते हुए अखिलेश सिंह यादव ने कहा कि समाजवादी संविधान को बचाना चाहते हैं वहीं भाजपा इसे खत्म करना चाहती है। उन्होंने कहा, 'समाजवादी लोग संविधान की रक्षा करना चाहते हैं। दूसरी ओर, भाजपा संविधान को समाप्त करना चाहती है। यह इसलिए किया जाता है तांकि लोगों का ध्यान हटाया जा सके। क्या युवा रोजगार चाहते हैं या राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर)? अगर जरूरत पड़ी, तो मैं एनपीआर फॉर्म नहीं भरूंगा।'
अखिलेश ने कहा, 'अगर जरूरत पड़ी तो मैं पहला ऐसा व्यक्ति होऊंगा, जो किसी भी फॉर्म को नहीं भरेगा, लेकिन सवाल यह है कि आप समर्थन करेंगे या नहीं। हम नहीं भरते एनपीआर, क्या करंगे आप?'
अखिलेश यहीं नहीं रूके, उन्होंने आगे कहा, 'समाजवादी लोग एफआईआर से नहीं डरते हैं। जब मुख्यमंत्री खुद अपने खिलाफ दर्ज मुकदमों को वापस ले लेते हैं, तो समाजवादी सरकार बनने पर आपके खिलाफ दर्ज मुकदमे भी वापस ले लिए जाएंगे।' समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष ने कहा कि वर्तमान आर्थिक संकट के लिए भाजपा जिम्मेदार है।
उन्होंने कहा, 'छोटे व्यवसायों के लिए समस्याएँ उत्पन्न हुईं। उसके बाद जीएसटी लागू होने के कारण रोजगार देने वाले उद्योग धंधे बंद हो रहे हैं। अर्थव्यवस्था आईसीयू तक पहुंच गई है। इस सब के लिए, भाजपा जिम्मेदार है।' अखिलेश यादव ने कहा कि राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) और राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) गरीबों और हर जाति के खिलाफ है। उन्होंने कहा, 'एनआरसी हर गरीब, हर अल्पसंख्यक, हर मुसलमान के खिलाफ है।'
आपको बता दें कि नागरिकता (संशोधन) विधेयक के संसद में पारित होने होने के बाद इसके खिलाफ देश के कई हिस्सों में व्यापक हिंसक विरोध प्रदर्शन हुए जिसमें कई लोगों की मौत भी हुई। उत्तर प्रदेश में सबसे ज्यादा मौतें इस विरोध प्रदर्शनों की वजह से हुई। राज्य सरकार को फर्जी खबरों पर रोक के लिए राज्य के कई हिस्सों में इंटरनेट सेवा तक बंद करनी पड़ी थी।