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तो क्या सही हैं ओवैसी पर विपक्ष के आरोप, साक्षी महाराज के बयान से मिले संकेत  

Updated Jan 14, 2021 | 11:21 IST

गत 10 नवंबर को आए बिहार विधानसभा चुनाव के नतीजों में एआईएमआईएम को बड़ी सफलता मिली। इस राज्य में ओवैसी ने छोटे दलों के साथ गठबंधन कर सीमांचल इलाके में चुनाव लड़ा था।

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साक्षी महाराज का कहना है कि चुनावों में ओवैसी भाजपा की मदद करते हैं।
मुख्य बातें
  • साक्षी महाराज ने कहा है कि चुनाव में ओवैसी भाजपा को फायदा पहुंचाते हैं
  • भाजपा सांसद का कहना है कि यूपी, बंगाल के चुनाव में भी भाजपा को मिलेगा लाभ
  • विपक्ष ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम पर भाजपा की बी टीम होने का आरोप लगाता है

लखनऊ : भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सांसद साक्षी महाराज ने ऑल इंडिया मजलिस ए इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) के सुप्रीम को लेकर बड़ा बयान दिया है। उनके इस बयान के बाद विपक्ष ओवैसी और भाजपा पर अपना हमला और तेज कर सकता है। दरअसल, उन्नाव के सांसद ने कहा है कि ओवैसी की वजह से भाजपा को चुनावों में फायदा मिलता है और उन्हें उम्मीद है क पश्चिम बंगाल और उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनावों में भी भाजपा को जीत दिलाने में एआईएमआईएम मदद करेगी। विपक्ष ओवैसी की पार्टी को भाजपा की 'बी टीम' होने का आरोप लगाता आया है जबकि ओवैसी और भाजपा दोनों इस आरोप को खारिज करते आए हैं।  

बंगाल और यूपी में भी मिलेगा फायदा-साक्षी महाराज
मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक साक्षी महाराज ने कहा कि बंगाल में ओवैसी के चुनाव लड़ने से भाजपा को इस राज्य में जीत दर्ज करने में मदद मिलेगी। उत्तर प्रदेश में ओवैसी के चुनाव लड़ने के सवाल पर भाजपा सांसद ने कहा, 'यह ईश्वर की कृपा है। भगवान उन्हें और ताकत दें। उन्होंने बिहार में हमारी मदद की। वह हमें उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल में भी फायदा पहुंचाएंगे।' इस बयान के बाद सोशल मीडिया पर लोग सवाल पूछने लगे हैं कि क्या सच में एआईएमआईएम भाजपा की बी टीम है। 

ओवैसी पर भाजपा की बी टीम होने का आरोप
विपक्ष ओवैसी पर भाजपा की 'बी टीम' होने का आरोप लगाता है। कांग्रेस सहित विपक्ष का मानना है कि ओवैसी चुनाव में भाजपा को फायदा पहुंचाते हैं क्योंकि उनके चुनाव लड़ने से मुस्लिम और हिंदू वोटों का ध्रुवीकरण होता है जिसका सीधा फायदा भाजपा उठाती है। चुनाव रणनीतिकारों का भी कहना है कि विपक्ष के परंपरागत मुस्लिम वोट बैंक में ओवैसी सेंधमारी करते हैं जिससे विपक्ष कमजोर होता है और इसका लाभ भाजपा को मिलता है। बिहार के चुनाव नतीजे विपक्ष के आरोपों को बहुत हद तक सही भी ठहराते हैं। 

ओवैसी ने बिहार में जीती हैं 5 सीटें
गत 10 नवंबर को आए बिहार विधानसभा चुनाव के नतीजों में एआईएमआईएम को बड़ी सफलता मिली। इस राज्य में ओवैसी ने छोटे दलों के साथ गठबंधन कर सीमांचल इलाके में चुनाव लड़ा था। यहां से उनकी पार्टी पांच सीटें जीतने में सफल हुई। इसके अलावा वह करीब दर्जन भर सीटों पर दूसरे स्थान पर आई। सीमांचल मुस्लिम बहुल इलाका है और यहां की कई सीटों के नतीजे मुस्लिम मतदाता तय करते हैं। ओवैसी की पार्टी ने जिन पांच साटों पर जीत दर्ज की है उस पर अब तक महागठबंधन के उम्मीदवार चुनाव जीतते आए थे। सीमांचल में ओवैसी के चुनाव लड़ने का फायदा भाजपा को मिला और नुकसान कांग्रेस और राजद को हुआ। 

यूपी का भी चुनाव लड़ेगी AIMIM 
बिहार चुनाव के नतीजों से उत्साहित ओवैसी ने कहा है कि वह बंगाल और फिर यूपी का विधानसभा चुनाव लड़ेंगी। इन चुनावों की तैयारी में ओवैसी अभी से जुट गए हैं। बंगाल में अप्रैल-मई में चुनाव होने हैं। यहां वह फुरफुरा शरीफ के धार्मिक नेता अब्बास सिद्दिकी के साथ मिलकर चुनाव लड़ना चाहते हैं। फुरफुरा शरीफ का साउथ एवं नॉर्थ 24 परगना जिलों में प्रभाव माना जाता है। यहां ओवैसी 60 से 80 सीटों पर चुनाव लड़ सकते हैं। जबकि उत्तर प्रदेश में उन्होंने ओम प्रकाश राजभर के साथ मोर्चा बनाया है। 

मुस्लिम वोटबैंक में सेंध लगाते हैं ओवैसी
चुनाव रणनीतिकार मानते हैं कि बंगाल और यूपी दोनों जगहों पर ओवैसी मुस्लिम मतदाता को अपनी तरफ आकर्षित कर विपक्ष के मुस्लिम वोट बैंक को कमजोर कर सकते हैं। इन दोनों राज्यों में मुस्लिम वोटर विपक्ष की मजबूती हैं। जबकि भाजपा की रणनीति मुस्लिम वोटों के बंटवारे की होती है जिसमें कहीं न कहीं ओवैसी उसकी मदद करते हैं।

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