- देवबंद में एटीएस सेंटर खोलेगी उत्तर प्रदेश सरकार
- यूपी सरकार के फैसले पर विरोध शुरू
- कांग्रेस का बयान, आम समस्या से ध्यान हटाने की कवायद
देवबंद में योगी आदित्यनाथ सरकार मे एटीएस सेंटर स्थापित करने का फैसला किया है। इस संबंध में सीएम के सूचना सलाहकार शलभमणि त्रिपाठी ने ट्वीट भी किया। इस सेंटर में करीब 18 अफसरों की तैनाती भी की जाएगी हालांकि इसका दबी जुबां विरोध भी हो रहा है। मौलाना सुफियान निजामी सरकार के फैसले से इत्तेफाक तो रखते हैं लेकिन उनका कहना है कि इस सेंटर के जरिए निर्दोषों को फंसाने की कोशिश नहीं होनी चाहिए।
10 जिलों मेरठ, अलीगढ़, श्रावस्ती, बहराइच, ग्रेटर नोएडा, आजमगढ़, कानपुर, मिर्जापुर और देवबंद में एटीएस यूनिट के लिए भूमि आवंटित की गई, जबकि वाराणसी और झांसी के लिए जल्द ही होगी भूमि आवंटित।
यूपी सरकार पर कांग्रेस ने साधा निशाना
कांग्रेस प्रवक्ता सुरेंद्र राजपूत ने देवबंद में एटीएस कमांडो सेंटर के गठन पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि पश्चिम यूपी में विकास की कमी, बेरोजगारी और गन्ने के बकाए का भुगतान न करने जैसे वास्तविक मुद्दों से लोगों का ध्यान हटाने के प्रयास के लिए योगी सरकार की खिंचाई की।
समाजवादी पार्टी ने साधा निशाना
समाजवादी पार्टी के विवेक सिलास ने देवबंद में एटीएस सेंटर खोले जाने पर यह बीजेपी की सांप्रदायिक और समाज को बांटने की कोशिश है। अगर आप आतंकी वारदातों की बात करते हैं तो बीजेपी के कार्यकाल में कई ऐसे मामले सामने आए हैं जिस पर आजतक किसी नतीजे पर नहीं पहुंचा जा सका है।
विवाद की जड़
अब विवाद की वजह क्या है, दरअसल देवबंद इस्लामिक शिक्षा का बड़ा केंद्र है, अगर पिछले कुल वर्षों को देखा जाए तो देशविरोधी ताकतों को गिरफ्तारियों का संबंध किसी ना किसी रूप में दारुल उलूम से आया। 2019 में एटीएस ने दो आतंकियों को गिरफ्तार किया था जिनका संबंध जैश ए मोहम्मद से था। इसके अलावा आईएसआई एजेंट के साथ बांग्लादेशी एजेंट भी गिरफ्तार किए गए।
वसीम रिजवी बोले- सही फैसला
इस संबंध में वसीम रिजवी कहते हैं कि यह अच्छी खबर है कि एटीएस सेंटर स्थापित होने जा रहा है अगर पीछे के इतिहास को देखें तो ये और जरूरी हो जाता है। एटीएस सेंटर से समाज विरोधी, देश विरोधी ताकतों पर नकेल कसी जा सकेगी। उन्होंने कहा कि दुख की बात यह है कि आतंकवाद और देश विरोधी हरकतों के खिलाफ जो आवाज उठाने की बात करता है उसे खास रंग के चश्मे से देखा जाता है। यूपी सरकार के फैसले को सियासी चश्मे से नहीं देखना चाहिए।