- उत्तर प्रदेश के सिद्धार्थनगर जिले के गांव अल्लाहपुर का नाम बदलकर हो सकता है महेश योगी
- अल्लाहपुर गांव में 90 फीसदी आबादी हिन्दू तिवारी हैं
- भगवानपुर गांव में मात्र तीन ही परिवार हिंदुओं के हैं
Village Name Change: उत्तर प्रदेश के पूर्वांचल के दो गांव ऐसे हैं जहां पर जिनका नाम अल्लाहपुर और भगवान पुर हैं। लेकिन इन गांवों की आबादी की बात करें तो अल्लाहपुर गांव में 90 फीसदी आबादी हिन्दू हैं और भगवानपुर गांव में मात्र तीन ही हिन्दू परिवार हैं। खास बात यह रही कि आज तक इन गांवों में कभी कोई भी सांप्रदायिक विवाद आज तक देखने को नहीं मिला है। देश मे कैसे भी हालात रहे हो लेकिन आज तक नफरत को कभी इस गांव में लोगों ने नफरत को घुसने नहीं दिया गया है। हालांकि अल्लाहपुर गांव का नाम बदलने की घोषणा भी कर दी गई है। बताया जा रहा है कि उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव का रिजल्ट आने के बाद अल्लाहपुर गांव का नाम बदलकर महेश योगी नाम बदलकर रखने की तैयारी है।
नहीं पता क्यों पड़ा ऐसा नाम
उत्तर प्रदेश के जिले के सिद्धार्थनगर में इन दोनों गांवों का इतिहास खंगालने के बावजूद भी पता नहीं चल पाता कि अल्लाहपुर में 90 फ़ीसदी तिवारी हिंदू तिवारी होने के बाद भी आखिर इसका नाम ऐसा क्यों पड़ा। गांव के कई बुजुर्ग लोगों से पूछने पर भी इसके इतिहास का मालूम नहीं पड़ता है क्योंकि इस गांव में कुछ लोग बुजुर्ग रहते थे और अब वह कोरोना के कारण कहीं और चले गए। यहां पर गांव वालों का कहना है कि अल्लाहपुर नाम से गांव के किसी भी शख्स को कोई दिक्कत नहीं है। रमाकांत त्रिपाठी बताते हैं कि अब गांव का नाम बदलने जा रहा है लेकिन कभी बुजुर्गों ने बताया था कि यहां पर एक ताकतवर व्यक्ति थे साबिल अली उसने ही इस गांव का नाम अल्लाहपुर रखा था लेकिन इस बात के कोई पुख्ता सबूत नहीं हैं। इन गावों का इतिहास जानने के लिए दूर-दूर से लोग आते हैं लेकिन कभी भी किसी को कोई ठोस जानकारी नहीं मिल पाती है।
भगवानपुर में है मुस्लिम आबादी
वहीं भगवानपुर की बात की जाए तो यहां पाए मुस्लिम आबादी रहती है, सिर्फ तीन ही घर हिंदुओं के हैं लेकिन यहां पर आज तक उन्हें भी कोई दिक्कत नहीं है। इस गांव की आबादी 1283 है। इस गांव के इतिहास के को लेकर बुजुर्गों का कहना है कि यहां एल कहानी प्रचलित है। करीब 200 साल पहले यहां एक पंडित जनेऊ ढूंढने आये थे। वो अल्लाहपुर भी गए जहां पर सब तिवारी रहते हैं उन्हें वहां जनेऊ नहीं मिला। लेकिन कब वो भगवानपुर पहुंचे तो उन्हें वहां जनेऊ मिल गया जिसके बाद यहां इस गांव का नाम पंडित ने भगवानपुर रखा। गांव के ही बासित बताते हैं कि उन्हें कभी भी इस नाम से कोई दिक्कत नहीं हुई है। और सभी गांव वालों को इस नाम से प्रेम है। दोनों ही गांव के लोगों का कहना है कि सभी एक दूसरे के घर आते जाते हैं। और आपस मे सभी त्योहार साथ मिलकर मनाते हैं।