- मायावती ने इस बार दागी उम्मीदवारों को टिकट नहीं देने का फैसला किया है
- बसपा इस बार मऊ सीट से बाहुबली मुख्तार अंसारी को टिकट नहीं देगी
- भ्रष्टाचार-अपराध की छवि से पार्टी को दूर रखना चाहती हैं बसपा सुप्रीमो
लखनऊ : उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए बहुजन समाज पार्टी (BSP) खुद में बड़ा बदलाव करती दिख रही है। बसपा सुप्रीमो मायावती ने शुक्रवार को कहा कि वह इस चुनाव में माफियाओं-बाहुबलियों को टिकट नहीं देगी। उन्होंने कहा कि पार्टी इस बार मऊ विधानसभा सीट से मुख्तार अंसारी को भी टिकट नहीं देगी बल्कि उनकी जगह प्रदेश अध्यक्ष भीम राजभर को उतारेगी। बसपा सुप्रीमो ने पार्टी के प्रभारियों से साफ-सुथरी छवि वाले उम्मीदवारों का चयन करने का निर्देश दिया है। इससे पहले 'प्रबुद्ध सम्मेलन' के दौरान मायावती ने कहा कि सूबे में उनकी सरकार बनने पर वह 'स्मारकों-पार्कों' का निर्माण नहीं कराएंगी बल्कि उनकी प्राथमिकता प्रदेश का विकास करने की होगी। यूपी के चुनावी इतिहास को देखते हुए मायावती का यह बड़ा फैसला है।
फिर सोशल इंजीनियरिंग पर भरोसा
यूपी चुनाव के लिए बसपा अपनी रणनीति के साथ आगे बढ़ रही है। बसपा सुप्रीमो एक बार फिर अपने सोशल इंजीनियरिंग के जरिए सत्ता के गलियारे तक पहुंचना चाहती हैं। इसके लिए वह ब्राह्मण समुदाय को अपनी तरफ आकर्षित करने में जुटी हैं। वह चाहती हैं कि जिस तरह से 2007 के विधानसभा चुनाव में ब्राह्मण समुदाय का उन्हें साथ मिला, वैसा ही समर्थन इस बार के चुनाव में भी मिले। पार्टी ने अपने 'प्रबुद्ध सम्मेलनों' के जरिए ब्राह्मणों को जोड़ने की कोशिश की है। ब्राह्मण समुदाय को सभी पार्टियां अपने साथ लाने में जुटी हैं।
भ्रष्टाचार-अपराध की छवि दूर रखना चाहती हैं
मायावती के शासन पर भ्रष्टाचार-अपराध के आरोप लगे थे। बसपा सुप्रीम की कोशिश इस छवि से पार्टी को दूर रखना है। माफियाओं एवं बाहुबलियों को टिकट न देने का फैसला, उनकी इसी सोच का परिणाम है। बसपा विधानसभा चुनाव में दागी और बाहुबलियों को टिकट देती आई है लेकिन ऐसा लगता है कि समय की मांग को देखते हुए उन्होंने इन दागी नेताओं से किनारा करने का फैसला किया है।
बूथ स्तर पर पार्टी की तैयारियों की समीक्षा की
मायावती ने बुधवार को पार्टी की बूथ स्तर की तैयारियों की समीक्षा की। उन्होंने पार्टी नेताओं से 'सर्व समाज' के बीच पार्टी का विस्तार करने के लिए युद्धस्तर पर काम करने का निर्देश दिया है। मायावती को यह पता है कि सत्ता तक पहुंचने के लिए उन्हें सवर्ण जातियों का समर्थन चाहिए। विशेष रूप से ब्राह्मण समुदाय के वोट बैंक के जरिए ही वह 2017 में सीएम की कुर्सी तक पहुंची। इस चुनाव में बसपा को 206 सीटों पर जीत मिली।