- मेधावियों को मिला योगी मंत्र, जिज्ञासु बनें, खुद पर रखें भरोसा
- काम भी जरूरी आराम भी, दिनचर्या में शामिल करें खेलकूद: सीएम
- अभिभावकों को सीएम ने दी बधाई, कहा आपकी मेहनत रंग लाई
लखनऊ: मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मेधावियों को जिज्ञासु बननें की प्रेरणा दी है। उन्होंने कहा है कि कभी भी सवाल पूछने से न हिचकें। पहले अपने मन में सवाल पर विमर्श करें, फिर भी यदि समाधान न मिले तो शिक्षक से पूछें, लेकिन संकोच न करें। सीएम योगी गुरुवार को यूपी बोर्ड के कक्षा 10वीं की परीक्षा में जनपद लखनऊ में शीर्ष स्थान प्राप्तकर्ता बच्चों, उनके अभिभावकों व प्राचार्यों से संवाद कर रहे थे।
सीएम आवास पर हुई इस बातचीत के दौरान मुख्यमंत्री ने मेरिट सूची में शामिल विद्यार्थियों के अभिभावकों को बधाई व शुभकामनाएं देते हुए उत्कृष्टता सूची में बेटियों की सफलता पर विशेष प्रसन्नतता व्यक्त किया। वहीं बच्चों उनके पढ़ने के तौर-तरीकों की जानकारी लेते हुए कहा कि दूसरों के नोट्स के भरोसे कभी तैयारी न करें। खुद अपने नोट्स तैयार करें। नोट्स आपको तात्कालिक सफलता तो दिला सकता है, लेकिन कॉन्सेप्ट अगर क्लियर नहीं होगा तो दीर्घकालिक लक्ष्यों में यह कभी उपयोगी नहीं होगा। उन्होंने सभी को अपने पास एक छोटी डायरी रखने का सुझाव दिया। कहा कि इस डायरी में आपको नई बातों/जरूरी बातों को नोट करना चाहिए।
बच्चों से संवाद करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि कार्य के साथ-साथ आराम भी आवश्यक है। अगर आप नियमित रूप से पढ़ेंगे, नियमित रूप से खेलेंगे, सभी कार्यों को टाइम-टेबल बनाकर करेंगे तो फिर परीक्षा के समय अनावश्यक तनाव नहीं होगा। संयमित दिनचर्या से आप परीक्षा में अच्छे अंक प्राप्त कर सकते हैं। इसलिए टाइम टेबल बनाकर दिनचर्या का पालन करेंगे, तो न केवल आपका पाठ्यक्रम समय से पूरा होगा, बल्कि स्वास्थ्य भी बेहतर होगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि हम सभी को समय पर सोना व जागना चाहिए।
अगर सभी बच्चे रात्रि 10 बजे तक सो जाएं और सुबह 4 बजे उठ जाएं तो यह उनके स्वास्थ्य के लिए अनुकूल होगा। रात्रिभर जागने से दिनभर व्यक्ति को थकान रहती है, स्वास्थ्य पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। उन्होंने खेल-कूद के प्रति भी बच्चों को प्रेरित किया। कहा कि हर बच्चे को खेल के किसी न किसी कार्यक्रम के साथ जुड़ना चाहिए। इससे शारीरिक व मानसिक विकास के साथ-साथ बौद्धिक विकास भी होगा। इससे निर्णय लेने की क्षमता भी बढ़ती है।
समसामयिक घटनाओं से रहें अपडेट, हर दिन पढ़ें अखबार
मुख्यमंत्री ने कहा कि तय स्कूली पाठ्यक्रम के अलावा आपको देश-दुनिया के समसामयिक स्थिति से अपडेट रहना चहिए। इसके लिए अखबार एक अच्छा माध्यम है। दिनचर्या में एक समय अखबार पढ़ने के जरूर रखें। अखबारों के सम्पादकीय पृष्ठ विचारों से परिपूर्ण होते हैं। अलग-अलग विचारों को पढ़कर आप किसी विषय में अपना नजरिया तय कर सकते हैं। यह आगामी प्रतियोगी परीक्षाओं में आपके लिए उपयोगी सिद्ध होगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि हर विद्यार्थी को पुस्तकालय जाने की आदत जरूर डालनी चाहिए।
प्रयास करें कि माह में कम से कम कोई एक पुस्तक जो पाठ्यक्रम से अलग हो, जरूर पढ़ें। सीएम योगी ने मेधावी बच्चों से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के लोकप्रिय रेडियो कार्यक्रम 'मन की बात' पर भी चर्चा की। उन्होंने कहा कि प्रत्येक विद्यार्थी को प्रधानमंत्री जी के 'मन की बात' कार्यक्रम से जुड़ना चाहिए। इससे आपको बहुत सारी रचनात्मक चीजें जानने को मिलेंगी। देश में कहां, कौन से बच्चे ने अच्छा काम किया, प्रगतिशील किसान के अच्छे काम के बारे में, सामाजिक जीवन में कहां, किस व्यक्ति ने अच्छा काम किया है इसकी भी चर्चा प्रधानमंत्री जी अपने 'मन की बात' कार्यक्रम में करते हैं। यह कार्यक्रम देश में हो रहे किसी नवीन अभिकल्प, अभिनव प्रयास, नए बदलाव आदि के बारे में जानकारी से परिपूर्ण होता है। इसे हर बच्चे, अभिभावक को जरूर सुनना चाहिए। सीएम ने बच्चों व अभिभावकों से प्रधानमंत्री जी रचित पुस्तक 'एक्जाम वॉरियर' और बोर्ड परीक्षार्थियों के लिए खास कार्यक्रम 'परीक्षा पे चर्चा' के बारे में भी चर्चा भी की।
कॅरियर के बारे में ली जानकारी, दिए सफलता के टिप्स
मेधावियों से उनके कॅरियर की योजना पर चर्चा करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार अभ्युदय कोचिंग संचालित करती है। यहां नीट, जेईई, यूपीएससी, यूपीपीएससी, एनडीए, सीडीएस सहित विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं की निःशुल्क तैयारी कराई जाती है। इसकी विशेषता यह है कि इसका संचालन उनके द्वारा किया जाता है जिन्होंने सम्बंधित परीक्षा को उत्तीर्ण कर लिया है। जैसे युवा आईएएस, आईपीएस, पीसीएस, पीपीएस अधिकारी, युवा डॉक्टर, नव चयनित इंजीनियर्स आदि। यह अभिनव कोचिंग वर्चुअल और फिजिकल दोनों मोड में चलती है। स्कूलों में बच्चों को इसकी जानकारी दी जानी चाहिए।
स्कूलों को दी बधाई, कहा पुरातन छात्र परिषद बनाएं
सीएम ने मेरिटोरियस बच्चे तैयार करने वाले विद्यालय के प्रधानाचार्यों को बधाई दी और उनके अध्यापन व मूल्यांकन प्रणाली की जानकारी ली। प्राचार्यों से कहा कि शिक्षकों को अभिभावकों के साथ संवाद बनाना चाहिए। अभिभावकों के साथ व्यक्तिगत संवाद नहीं होगा तो इसका असर आपके विद्यालय पर तो पड़ेगा ही, साथ ही अभिभावक को भी पता नहीं चलेगा कि विद्यालय में क्या हो रहा है। अतः ऐसी व्यवस्था बनाई जानी चाहिए जिससे कि माह में एक बार शिक्षक बच्चे के घर जरूर जाएं। अभिभावकों से मिलें।