- युवक की चार पुलिसकर्मियों द्वारा कथित तौर पर पीटे जाने से मौत हो गई थी
- बॉम्बे हाई कोर्ट ने एसआईटी गठित करने का आदेश दिया
- सीसीटीवी फुटेज के अनुसार युवक को चार कांस्टेबलों ने पीटा था
नई दिल्ली: मुंबई के जुहू के 4 पुलिसकर्मियों ने कथित तौर पर 22 साल के एक युवक की 29 मई को पीट-पीटकर हत्या कर दी और फिर इस घटना को मॉब लिंचिंग बनाने का प्रयास किया। हालांकि, आंतरिक जांच में अब पता चला है कि देवेंद्र के रूप में पहचाने जाने वाले मृतक युवक की चार कांस्टेबलों- अंकुश पालवे, दिगंबर चव्हाण, संतोष देसाई और आनंद गायकवाड़ द्वारा पिटाई की गई थी। सभी चारों आरोपियों को निलंबित कर दिया गया है।
वकील फिरदौस ईरानी ने बॉम्बे हाई कोर्ट में याचिका दायर की जिसमें पुलिस पर लॉकडाउन के दौरान ज्यादती करने का आरोप लगाया गया था। अपनी याचिका में उन्होंने देवेंद्र की मृत्यु और कुछ अन्य उदाहरणों का उल्लेख किया। पुलिस ने हाई कोर्ट को बताया कि भीड़ ने देवेंद्र को चोरी के संदेह में मार डाला।
हालांकि, मृतक व्यक्ति के परिवार ने कहा कि वे 29 मई को अपने रिश्तेदार के घर गए थे तब कुछ पुलिसकर्मियों ने उनका पीछा किया। उन्होंने देवेंद्र को पकड़ा और परिवार को बताया कि वे उससे जुहू पुलिस स्टेशन में बात कर रहे थे। अगली सुबह पुलिस ने परिवार को बताया कि देवेंद्र अचेत अवस्था में पड़ा था। उसे एक अस्पताल ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया।
वहीं, पिछले महीने महाराष्ट्र सरकार ने हाई कोर्ट को बताया था कि सीसीटीवी फुटेज के अनुसार राजू को चार कांस्टेबलों ने पीटा था। बंबई उच्च न्यायालय ने इस मामले की जांच के लिए मुंबई पुलिस आयुक्त को विशेष जांच दल (SIT) गठित करने का निर्देश दिया है। मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्त और न्यायमूर्ति अनुजा प्रभुदेसाई की खंडपीठ ने कहा कि एसआई में दो वरिष्ठ अधिकारी शामिल होने चाहिए और जांच तेजी से होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि हम उम्मीद करते हैं कि नया जांच दल एक महीने के अंदर आरोपपत्र दाखिल कर देगा।