- बिहार विधानसभा चुनाव के नतीजे मंगलवार को आएंगे
- राज्य में मुख्य मुकाबला एनडीए और महागठबंधन के बीच
- तेजस्वी यादव हैं महागठबंधन की ओर से सीएम पद के उम्मीदवार
पटना : बिहार की चुनावी तस्वीर मंगलवार को साफ हो जाएगी। सभी की निगाहें मंगलवार को आने वाले चुनाव नतीजों पर टिकी हैं। बिहार चुनावों पर सात तारीख को आए एग्जिट पोल ने चुनाव नतीजों को दिलचस्प बना दिया है। ओपिनियन पोल्स में जहां राज्य में अगली सरकार एनडीए की बनने एवं नीतीश कुमार की वापसी का अनुमान जताया गया, वहीं सात तारीख को आए एग्जिट पोल्स ने कुछ अलग कहानी पेश की। एक एग्जिट पोल को छोड़कर बाकी सभी में महागठबंधन की जीत की बात कही गई है। ऐसे में मंगलवार को आन वाले चुनाव नतीजों को जानने की दिलचस्पी लोगों में ज्यादा बढ़ गई है। महागठबंधन की ओर से तेजस्वी यादव मुख्यमंत्री पद का चेहरा हैं।
एग्जिट पोल में महागठबंधन की जीत
जाहिर है कि महागठबंधन की सरकार बनने पर तेजस्वी राज्य के मुख्यमंत्री बनेंगे। पोल ऑफ पोल्स में भी महागठबंधन की सरकार बनने की बात कही गई है। तेजस्वी यादव के सिर पर मुख्यमंत्री का सेहरा बंधन पर वह सीएम बनने वाले देश के सबसे युवा सीएम होंगे। राष्ट्रीय जनता दल (राजद) सुप्रीमो लालू यादव के छोटे बेटे तेजस्वी 8 नवंबर को 31 साल के हो गए। देश के सबसे युवा सीएम होने का रिकॉर्ड हसन फारूख के नाम है। हसन 29 साल की उम्र में पुडुचेरी के सीएम बने थे लेकिन पुडुचेरी राज्य नहीं बल्कि केंद्र शासित प्रदेश है।
तो क्या नीतीश पर भारी पड़ गए तेजस्वी
सवाल है कि क्या 31 साल के तेजस्वी चुनावी समर में 69 साल के नीतीश कुमार पर भारी पड़ गए। इसकी कई वजहें हो सकती हैं। एग्जिट पोल के अनुमान यदि सही साबित होते हैं तो उससे यही संदेश जाएगा कि बिहार के लोगों को तेजस्वी के रूप में अपना नया नेता मिल गया है। लालू यादव की छाया से निकलते हुए और अपने पिता की गैर-मौजूदगी में तेजस्वी ने जिस तरह 'नया बिहार' का सपना दिखाया है उस पर लोगों ने भरोसा किया है। 'जंगलराज' का टैग रखते हुए भी उन्होंने एनडीए को शिकस्त दी है। चुनावी मोर्चे में एनडीए के खिलाफ वह अकेले खड़े थे लेकिन जनता ने उनका साथ दिया।
तेजस्वी के सामने होगी चुनौती
बिहार का मुख्यमंत्री बनने के बाद तेजस्वी की राह आसान नहीं होगी। बिहार एक बड़ा राज्य है। इतने बड़े राज्य को संभालना आसान काम नहीं है। तेजस्वी के सामने सबसी बड़ी चुनौती अपने चुनावी वादों को पूरा करने की होगी जिसमें सबसे बड़ा वादा 10 लाख सरकारी नौकरियां देने का है। तेजस्वी ने कहा है कि वह अपनी पहली बैठक में राज्य में 10 लाख नौकरियां से जुड़ी फाइल पर हस्ताक्षर करेंगे। राजद नेता के इस वादे पर नीतीश सहित एनडीए के नेताओं ने उन पर तंज कसा। हालांकि तेजस्वी खुद कहते हैं कि नौकरी देने का उनका वादा हवाहवाई नहीं है। इसके पीछे उनका होमवर्क है और लोग निरशा नहीं होंगे।
तेजस्वी में लोगों को नया नेता मिला
एनडीए की अगर हार होती है तो उसके पीछे कई वजहें होंगी जिनमें कोरोना संकट के दौरान दूसरे राज्यों से पहुंचे करीब 30 लाख लोगों के सामने रोजगार का संकट, राज्य में बाढ़ की विभीषका, कोरोना महामारी, रोजगार, भ्रष्टाचार जैसे मुद्दे अहम होंगे। नीतीश कुमार राज्य में पिछले 15 सालों से सत्ता में हैं। इन 15 सालों की सत्ता विरोध लहर ने भी उन्हें नुकसान पहुंचाया होगा। नीतीश सरकार के खिलाफ नाराजगी को तेजस्वी ने बेहतर तरीके से भुनाया है। बिहार के लोग बदलाव चाहते थे और तेजस्वी में उन्हें अपना नेता दिखा है।