- बिहार विधानसभा के औपचारिक नतीजों को ऐलान 10 नवंबर को, तीन चरणों में हुए थे चुनाव
- एग्जिट पोल में महागठबंधन, एनडीए से आगे
- बिहार विधानसभा का कार्यकाल 29 नवंबर को हो रहा है समाप्त
पटना। 10 नवंबर को साफ हो जाएगा कि किसका राजतिलक होगा और किस पक्ष को विधासभा में दूसरी तरफ बैठना होगा। लेकिन उससे पहले आरजेडी नेता तेजस्वी यादव को भावी सीएम बनने की बधाइयां मिलनी शुरु हो चुकी हैं। पटना की सड़कों पर उनके समर्थन में पोस्टर लगे हैं और उसकी भाषा से उनके समर्थकों को 100 फीसद भरोसा है कि वो अगले सीएम बनने जा रहे हैं। अब अगर उनके समर्थक ऐसा सोचते हैं तो उसके पीछे एग्जिट पोल के नतीजे वजह हैं, हालांकि एग्जिट पोल कई दफा गलत भी साबित हुए हैं। यहां पर हम बताएंगे कि आखिर ऐसी वो कौन सी वजह है जिसके बाद जेडीयू खेमे को उम्मीद है कि बिहार ने बदलाव नहीं बल्कि नीतीश कुमार में ही भरोसा जताया है।
एनडीए को इस वजह से है उम्मीद
अब सवाल यह है कि आखिर वो कौन सी वजह हो सकती है जिससे इस बात के कयास लगाए जा रहे हैं पासा पलट सकता है। दरअसल इसके पीछे एनडीए और जेडीयू के अपने विचार हैं। एनडीए का कहना है कि जिस तरह से केंद्र की योजनाओं को सीधे सीधे लाभ महिलाओं और जरूरतमंदों को मिला है उसका फायदा एनडीए को मिलेगा। इसके साथ ऐसे वोटर्स जो बहुत मुखर नहीं रहे हैं वो भी चुपचाप एनडीए के पक्ष में वोट किए हैं, लिहाजा तेजस्वी यादव के पक्ष में जिस लहर की बात की जा रही है वो गलत साबित हो सकती है।
जेडीयू को भी है आशा
इसके साथ ही जेडीयू को उम्मीद है कि इस दफा महिलाओं के वोट प्रतिशत में इजाफा हुआ है और उसका सकारात्मत असर मतदान के साथ साथ नतीजों में भी दिखाई देगा। शराबबंदी को जिस तरह से महिलाओं ने 2019 के चुनाव में स्वीकारा और उसका असर नतीजों पर दिखाई दिया। ठीक वैसे ही इस दफा महिला मतदाता नीतीश कुमार को जीत की खुशी से वंचित नहीं करेंगी। इसके अलावा वंचितों के लिए जो योजनाएं बनाई गईं और उनका क्रियान्यवन जमीन पर हुआ उसे नजरंदाज नहीं किया जा सकता है।