- ज्यादातर एग्जिट पोल में महागठबंधन को बहुमत मिलता दिख रहा है
- नीतीश कुमार की पार्टी JDU को भारी नुकसान का अनुमान है
- तेजस्वी यादव महागठबंधन के मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार हैं
नई दिल्ली: क्या बिहार में आज से नई सरकार का राज होगा? या नीतीश कुमार की सत्ता चलती रहेगी? इन सवालों के जवाब आज मिल जाएंगे। सुबह 8 बजे से मतगणना शुरू होगी, थोड़ी देर बाद रुझान आने शुरू हो जाएंगे। संभव है कि दोपहर तक स्थिति साफ हो जाए। राज्य में मतगणना 38 जिलों के 55 मतगणना केंद्रों पर होगी। बिहार विधानसभा चुनाव में 3 चरणों में वोटिंग हुई और अब नतीजे आने हैं। विधानसभा की 243 सीटों पर तीन चरणों में 28 अक्टूबर, 3 नवंबर और 7 नवंबर को मतदान हुआ।
7 नवंबर को आखिरी चरण का मतदान हुआ और इसके बाद आए एग्जिट पोल। अधिकांश एग्जिट पोल में राष्ट्रीय जनता दल (RJD) नेता तेजस्वी यादव के नेतृत्व में महागठबंधन की जीत का पूर्वानुमान व्यक्त किया गया। वहीं एक्जिट पोल से सामने आया कि 15 साल से सत्ता पर काबिज नीतीश कुमार की अब विदाई हो सकती है।
EC ने किए पुख्ता इंतजाम
चुनाव आयोग ने मतगणना सुचारू रूप से कराने के लिए पुख्ता प्रबंध किया है और इस बात का ध्यान रखा है कि मतों की गिनती की प्रक्रिया में कोई बाधा नहीं आए। मुख्य निर्वाचन अधिकारी एच आर श्रीनिवास ने बताया कि मतदान होने के बाद जिन कक्षों (स्ट्रांग रूम) में ईवीएम मशीनों को रखा गया है, वहां पर केंद्रीय अर्द्ध सैनिक बलों को तैनात किया गया है और मंगलवार को डाक मतपत्रों की गिनती के बाद इसे खोला जाएगा।
अगर तेजस्वी बने मुख्यमंत्री तो...
अगर महागठबंधन को जीत मिलती है तो 31 साल के तेजस्वी यादव बिहार के अगले मुख्यमंत्री होंगे। उनके पिता लालू प्रसाद यादव और मां राबड़ी देवी राज्य की मुख्यमंत्री रह चुकी है। अपने परिवार से वो तीसरे मुख्यमंत्री होंगे। तेजस्वी के मुख्यमंत्री बनते ही लालू प्रसाद यादव का परिवार ऐसा दूसरा परिवार बन जाएगा, जिसने तीन मुख्यमंत्री दिए हैं। शेख अब्दुल्ला कई बार जम्मू एवं कश्मीर के मुख्यमंत्री रह चुके हैं। इसके बाद फारूक अब्दुल्ला को मुख्यमंत्री की कुर्सी अपने पिता से विरासत में मिली और वे 1982 से कई बार मुख्यमंत्री बने। इसके बाद फारूक अब्दुल्ला के बेटे उमर अब्दुल्ला ने भी 2009 से 2015 के बीच जम्मू एवं कश्मीर के मुख्यमंत्री की कुर्सी संभाली।
वहीं अगर एनडीए को जीत हासिल होती है तो एक बार फिर नीतीश कुमार के हाथों में कमान होगी। एग्जिट पोल में जेडीयू के सीटों में भले ही बड़ी गिरावट दिखाई गई हो, लेकिन उन्होंने उम्मीद अभी नहीं छोड़ी है।