- बिहार में कथित तौर पर जहरीली शराब से मरने वालों की संख्या 32 हुई
- बेतिया में 15, गोपालगंज में 13 और समस्तीपुर में चार की मौत
- बिहार में शराब से होने वाली मौतों पर सियासत भी गरमाई
बिहार में शराबबंदी है, इसका अर्थ यह है कि शराब की बिक्री नहीं हो सकती है। लेकिन अगर ऐसा होता तो गोपालगंज, बेतिया और समस्तीपुर में मौतें नहीं होतीं। यह बात सच है कि किसी सरकारी ठेके की दुकान से लोगों ने शराब का सेवन नहीं किया था। लेकिन सवाल जरूर है कि नीतीश कुमार सरकार जो अवैध शराब के मुद्दे पर जीरो टॉलरेंस की बात करती है क्या वो जमीन से गायब है क्योंकि अगर ऐसा होता तो लोगों की जिंदगी बच जाती। ऐसे में जेडीयू के अध्यक्ष ललन सिंह ने एक खास बयान दिया।
हत्या पर फांसी का कानून फिर भी होता है अपराध
ललन सिंह का कहना है कि मर्डर के लिए कानून बना हैं लेकिन फिर भी हत्या होती है। उन्होंने कहा कि गोपालगंज लिकर केस में जांच हुई और दोषियों को सजा भी दिलाई गई। कानून तो कानून है,यदि आप गलती करेंगे तो सजा के हकदार होंगे। इसके अलावा बीजेपी के कई नेताओं ने कहा कि ऐसा लगता है लोगों में जागरुकता की कमी हो गई है। उसे दूर करने के लिए अभियान चलाया जाएगा। इसके साथ ही बिहार के सीएम नीतीश कुमार ने शुक्रवार को कहा था कि इस विषय पर जल्द ही समीक्षा बैठक बुलाई जाएगी।
अब तक 32 लोगों की मौत
बिहार में कथित तौर पर मरने वालों की संख्या 32 हो गई है। बेतिया में 15, गोपालगंज में 13 और समस्तीपुर में 4 लोगों की मौत हुई है। बिहार बीजेपी के अध्यक्ष संजय जायसवाल का कहना है कि कानून सख्त है और सख्त नियमों के साथ बनाया गया है, लेकिन हालात बताते हैं कि लोग उतने जागरूक नहीं हैं। सरकार का प्राथमिक काम गांवों में माफिया गिरोहों को रोकना होगा क्योंकि पुलिस नियंत्रण कम है।