- बिहार के अख्तर इमाम ने अपनी जायदाद अपने दो हाथियों के नाम कर दी
- इन दो हाथियों का नाम मोती और रानी है जिसे अख्तर बेतहाशा प्यार करते हैं
- अख्तर के इस कदम के बाद उनका अपना ही परिवार उनका दुश्मन हो गया है
निकेश सिंह/पटना: इन दिनों पूरे देश मे केरल में हाथी को पटाखों से भरा अनानास खिलाने का मामला चर्चा में है तो वहीं बिहार का ऐसा शख्स है जिसने अपनी जायदाद अपनी दो हाथियों मोती और रानी के नाम कर दी है। इस शख्स का नाम अख्तर ईमान है। अख्तर की माने तो इस कारण उनका परिवार उनका दुश्मन बन गया है। अख्तर बताते हैं कि उनके हाथियों ने उनकी जान बचाई है।
अख्तर बताते हैं कि एक बार उन पर जानलेवा हमला करने का प्रयास हुआ था उसी दौरान उनके हाथी ने उनकी जान बचाई, बदमाश जब पिस्तौल हाथ मे लेकर उनके कमरे की तरफ बढ़ रहा था तो उनके हाथी ने देख लिया और चिंघाड़ने लगा जिससे उनकी आंख खुल गई। फिर उन्होंने शोर मचाया और बदमाश भाग गए।
अख्तर बताते हैं कि जबसे मैंने अपनी जायदाद अपने हाथियों के नाम की है तबसे मेरा बड़ा बेटा मेरा दुश्मन हो गया है। उसने एक बार उसने मुझे अपनी प्रेमिका के दुष्कर्म के आरोप में जेल भी भिजवाया जहां जांच में बात ग़लत साबित हुई और में बरी हो गया।पटना से सटे जानीपुर निवासी और एरावत संस्था के मुख्य प्रबंधक 50 वर्षीय अख्तर इमाम ने अपने हाथी मोती और रानी के नाम सारी प्रॉपर्टी लिख दी है।
5 करोड़ रुपए की जायदाद खेत खलिहान मकान सभी दोनों हाथियों के नाम किया
एरावत संस्था के प्रमुख अख्तर बताते हैं कि वह 12 साल की उम्र से ही हाथियों की सेवा कर रहे हैं। पारिवारिक विवाद होने की वजह से आज से 10 साल पहले उनकी पत्नी दो बेटे और बेटी के साथ घर से मायके चली गई थी उन्होंने अपने बड़े बेटे मेराज उर्फ रिंकू के दुर्व्यवहार और गलत रास्ते पर जाते देख उन्होंने उसे जायदाद से वंचित कर दिया।
पत्नी को आधी जायदाद लिख दी और अपने हिस्से की लगभग 5 करोड़ रुपए की जायदाद खेत खलिहान मकान बैंक बैलेंस सभी दोनों हाथियों के नाम कर दिया है। अख्तर का कहना है कि अगर दोनों हाथियों की मौत हो जाती है तो यह जायदाद एरावत संस्था को चली जाएगी।
दोनों हाथी मोती और रानी पर अख्तर जान छिड़कते हैं
पटना से सटे फुलवारीशरीफ (जानीपुर) के रहने वाले मोहम्मद अख्तर इमाम के पास दो हाथी हैं, जिनकी उम्र क्रमश: 20 और 15 साल है। इन्होंने इनका नाम मोती और रानी रखा है।ये दोनों हाथी उनके साथ ही रहते हैं। पशुप्रेमी 50 वर्षीय अख्तर इमाम कहते हैं कि हाथी उन्हें विरासत में मिले थे, उसी की ये दोनों संतानें हैं। उन्होंने कहा कि वे बचपन से ही हाथियों के साथ रहे हैं। आज भी ये दो हाथी उनके परिवार के सदस्य हैं।केरल में एक गर्भवती जंगली हाथी की मौत की खबरों की बीच ऐसे पशुप्रेमी की खबर काफी राहत देने वाली है। अख्तर कहते हैं कि अभी भी कई ऐसे कई लोग हैं, जो पालने के लिए उन्हें हाथी देना चाहते हैं।
(लेखक टाइम्स नाउ में रिपोर्टर हैं)