- बिहार कांग्रेस में कमेटी गठन पर तकरार कायम, प्रभारी और राज्य स्तरीय नेताओं की एक राय नहीं
- पार्टी के वरिष्ठ नेता किसी भी तरह की गुटबाजी से कर रहे हैं इनकार
- राज्य कांग्रेस का दावा कोई विवाद नही, विचारों में भिन्नता का मतलब गुटबाजी नहीं
कांग्रेस जहां सत्ता में है वहां तो अंतर्कलह और गुटबाजी से जूझ ही रही है, लेकिन जहां पार्टी तीन दशक से विपक्ष में है वहां भी पार्टी फैसला नही ले पा रही है। बिहार जैसा प्रदेश जहां कांग्रेस का जनाधार नाम मात्र का बचा है,पार्टी नेतृत्व पिछले दो महीने से प्रदेश अध्यक्ष और संगठनात्मक बदलाव नही पा रही है। सूत्रों के मुताबिक बिहार के प्रभारी भक्त चरण दास अपनी तरफ से तीन बार कमिटी की सिफारिश कांग्रेस आलाकमान को कर चुके है, लेकिन बड़े नेताओं की नाराजगी की वजह से कमिटी पर फैसला बार-बार टल रहा है।
बिहार के प्रभारी और प्रदेश के बड़े नेताओं के बीच नही बनती
सूत्रों के मुताबिक बिहार कांग्रेस के ज्यादातर बड़े नेता प्रभारी भक्त चरण दास की कार्यशैली से नाराज है। इन मे से कई बड़े नेताओं ने आलाकमान से प्रभारी की शिकायत ये कहते हुए किया है कि प्रभारी बदलाव के नाम पर वरिष्ठ नेताओं को अपमानित करना चाहते हैं। साथ ही कुछ नेताओं की शिकायत है कि प्रभारी एक जाति विशेष के नेता को अध्यक्ष बनाना चाहते हैं। प्रभारी और बड़े नेताओं की इसी रस्साकशी की वजह से फैसला नही हो पा रहा है।
प्रभारी, जम्बो कमिटी चाहते है लेकिन बड़े नेता इसके खिलाफ है
सूत्रों के मुताबिक प्रभारी भक्त चरण दास ने कई बार बिहार दौड़े के बाद एक जम्बो कमिटी बनाने का फैसला किया। सूत्रों के मुताबिक इस बाबत उन्होंने दिल्ली दरबार से पहले ही अनुमति ले ली थी। लेकिन जैसे ही प्रभारी ने एक जम्बो कमिटी जिसमे एक अध्यक्ष के साथ 9 कार्यकारी अध्यक्ष की लिस्ट कांग्रेस आलाकमान को भेजी। बड़े नेताओं ने इस पर आपत्ति जतानी शुरू कर दी।
बड़े नेताओं का तर्क है कि इस से गलत संदेश जाएगा। जबकि प्रभारी का मानना है कि वो बड़ी कमिटी बना सबको संतुष्ट करना चाहते है। बिहार कांग्रेस के वरिष्ठ नेता तारिक अनवर ने कहा कि,बिहार प्रभारी को बिहार की राजनीतिक स्थिति पता है। जातीय समीकरण को भी देखना होगा प्रदेश कमिटी में। हमें उम्मीद है जल्दी ही सभी लोगों को संतुष्ट करने वाली कमिटी बन जाएगी।