केंद्रीय मंत्री और बिहार की राजनीति के कद्दावर नेता राम विलास पासवान का गुरुवार की रात निधन हो गया। लम्बे समय से बीमार चल रहे पासवान ने दिल्ली एक अस्पताल में अपनी आखिरी सांस ली। दलित और पिछड़े वर्ग के मसीहा के तौर पर पासवान को लोग जानते थे। राज्य की राजनीति छोड़ वो केंद्र में इसीलिए आगे बढ़े ताकि वो बिहार और देश के पिछड़े वर्ग के लिए खास तरह से काम कर सकें। राम विलास की मृत्यु से न सिर्फ उनके परिवार और बिहार की राजनीति को हानि पहुंची है, बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर देश को क्षति हुई है। अज आपको बताते हैं पिछड़े वर्ग के नेता राम विलास पासवान की वो बातें, जो आप नहीं जानते।
14 साल की उम्र में की पहली शादी
बहुत कम लोग ही जानते हैं कि राम विलास पासवान की दो शादियां हुई थीं। उनकी पहली शादी महज 14 साल की उम्र में हो गई थी। 1960 में कम उम्र में ही वो शादी के बंधन में बंध गए। पहली पत्नी का नाम राजकुमारी देवी था। पहली पत्नी से राम विलास पासवान की दो बेटियां हुईं। उषा और आशा नाम है। इनसे लगभग 21 साल पासवान रिश्ते में रहे। 1981 में पासवान ने अपनी पहली पत्नी को तलाक दे दिया और दूसरी शादी 1983 में रीना शर्मा से की।
एयरहोस्टेस रीना से हुई मोहब्बत फिर की शादी
राम विलास पासवान को जीवन में दोबारा मोहब्बत तब हुई जब वो हवाई यात्रा कर रहे थे। फ्लाइट में एक एयर होस्टेस से उन्हें मोहब्बत हो गई। दोनों ने इस शादी के पवित्र बंधन में बांध दिया। रीना शर्मा से राम विलास के दो बच्चे हुए। एक चिराग पासवान और बेटी निशा।
जब फिल्में देखने के लिए घर का अनाज बेचा
चिराग पासवान का फिल्मों की ओर रुझान होना यूँ ही नहीं था। चिराग के खून में फिल्मों की तरफ खिंचाव था। दिवंगत नेता राम विलास पासवान को भी फिल्मों का बहुत शौक था। हॉस्टल में रहते हुए उन्हें फिल्में देखने का शौक चढ़ा था। घर से जो अनाज आता था, उसका कुछ हिस्सा बेचकर राम विलास पासवान फिल्में देखते थे।
पुलिस में नौकरी की
बहुत कम लोग जानते हैं कि राजनीति में एक मुकाम हासिल करने वाले राम विलास पासवान ने अपने करियर की शुरुआत पुलिस में नौकरी करके की थी। शुरुआत में उन्होंने दरोगा के लिए परीक्षा दी, लेकिन उनका चयन नहीं हुआ बाद में वो DSP के पद पर तैनात हुए और नौकरी की।
इस वजह से गिनीज बुक में है नाम
राजनीति में अब तक कोई इतने मतों से जीत हासिल नहीं किया, जितना राम विलास पासवान ने किया था। 1977 में पासवान जनता पार्टी की सदस्यता ग्रहण कर हाजीपुर लोकसभा सीट से रिकॉर्ड मतों से जीते थे।
भले ही राम विलास पासवान दुनिया को अलविदा कह गए, लेकिन हमेशा वो लोगों के जेहन में स्मृति बनकर रहेंगे। एक तरफ बिहार की राजनीति खालीपन महसूस कर रही है, तो दूसरी ओर उनके बेटे चिराग पासवान आज अपने पिता की कमी को महसूस कर रहे होंगे। सीनियर पासवान का यूं असमय जाना न सिर्फ उनके परिवार, पार्टी कार्यकर्ता को खल रहा है, बल्कि पूरे देश को खल रहा है।