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'वीआरएस लिया लेकिन समीकरण नहीं बन पाया', टिकट नहीं मिलने पर गुप्तेश्वर पांडे का छलका दर्द

Updated Oct 09, 2020 | 09:33 IST

सुशांत सिंह मौत मामले के प्रकरण में पांडे चर्चा का विषय रहे हैं। जांच को लेकर उन्होंने महाराष्ट्र सरकार और मुंबई पुलिस पर सवाल उठाए। इसके बाद पिछले महीने वीआरएस लेकर वह जद-यू में शामिल हो गए।

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तस्वीर साभार:&nbspANI
टिकट नहीं मिलने पर गुप्तेश्वर पांडे का छलका दर्द।
मुख्य बातें
  • पिछले महीने वीआरएस लेकर जद-यू में शामिल हुए डीजीपी गुप्तेश्वर पांडे
  • सुशांत सिंह मौत मामले में मुंबई पुलिस और महाराष्ट्र सरकार पर उठाए सवाल
  • बक्सर से चुनाव लड़ना चाहते थे पांडे लेकिन जद-यू से टिकट नहीं मिल पाया

पटना : बिहार विधानसभा चुनाव में जद-यू से टिकट नहीं मिलने पर राज्य के पूर्व डीजीपी गुप्तेश्वर पांडे ने कहा है कि टिकट पाने के लिए उनका समीकरण नहीं बन पाया। पांडे ने कहा कि वह जेडीयू के निष्ठावान सिपाही हैं और मुख्यमंत्री नीतीश की पार्टी और भाजपा यदि चाहेंगी तो वह चुनाव प्रचार करेंगे। पूर्व पुलिस अधिकारी का कहना है कि अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की मौत मामले में उन्होंने जो स्टैंड लिया वह सही था। 

'सुशांत मामले में कुछ ज्यादा बोल गए पांडे'
'इंडियन एक्सप्रेस' की रिपोर्ट के मुताबिक सूत्रों ने कहा कि 'सुशांत सिंह मौत मामले में पांडे कुछ ज्यादा ही बोल गए। उनका यह बड़बोलापन टिकन मिलने का एक कारण हो सकता है। सुशांत मामले में जितनी आक्रामकता गुप्तेश्वर पांडे ने दिखाई उतना प्रखर होकर बिहार का कोई मंत्री अथवा एनडीए का कोई नेता राज्य सरकार के पक्ष में नहीं बोला। वह एक नेता की तरह बोलने लगे थे। शायद यह बात सीएम को अच्छी नहीं लगी।' एक सेवानिवृत्त आईपीएस अधिकारी ने याद करते हुए बताया कि कैसे उसने 2009 में पांडे को वीआरएस लेने से मना किया था। उस समय पांडे बक्सर से भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ना चाहते थे। 

पांडे बोले-समीकरण नहीं बन पाया
रिपोर्ट के मुताबिक पांडे ने इस तरह की बातों खारिज किया है। उन्होंने कहा, 'यह सही है कि चुनाव लड़ने के लिए मैंने वीआरएस लिया लेकिन समीकरण नहीं बना। मैं जेडीयू का एक निष्ठावान सिपाही हूं। जद-यू और भाजपा यदि चाहें तो मैं चुनाव प्रचार करने के लिए तैयार हूं।' पूर्व डीजीपी ने सुशांत सिंह मौत मामले में अपने रुख का बचाव भी किया। उन्होंने कहा, 'सुशांत सिंह मौत मामले में मैंने जो स्टैंड लिया उस पर मुझे कोई पछतावा नहीं है।' 

बक्सर सीट से चुनाव लड़ना चाहते थे
सुशांत सिंह मौत मामले के प्रकरण में पांडे चर्चा का विषय रहे हैं। जांच को लेकर उन्होंने महाराष्ट्र सरकार और मुंबई पुलिस पर सवाल उठाए। इसके बाद पिछले महीने वीआरएस लेकर वह जद-यू में शामिल हो गए। ऐसी चर्चा थी कि जद-यू उन्हें बक्सर से सीट उम्मीदवार बना सकती है लेकिन यह सीट भाजपा के खाते में चली गई। जद-यू ने अपने 115 उम्मीदवारों की जो सूची जारी की उसमें पांडे का नाम नहीं था। 

जद-यू ने टिकट देने में ज्यादा रुचि नहीं दिखाई
सूत्रों का कहना है कि जद-यू बक्सर सीट की अदला-बदली करने के लिए भाजपा पर ज्यादा जोर नहीं देना चाहती थी। पांडे के लिए न तो जेडीयू ने ज्यादा जोर दिया और न भाजपा पूर्व अधिकारी को लेकर ज्यादा उत्सुक दिखी। हालांकि, जदयू ने पूर्व मंत्री दामोदर रावत के लिए झाझा सीट भाजपा से लिया और उसे जमुई की सीट दी। यही नहीं नीतीश की पार्टी ने राजद से जद-यू में शामिल जयवर्धन यादव के लिए भाजपा से पालीगंज सीट लेने में सफल हुई।    

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