- मुजफ्फरपुर शेल्टर होम केस के दोषी बृजेश ठाकुर ने दिल्ली हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया
- ट्रायल कोर्ट के द्वारा सुनाई गई उम्रकैद की सजा को चुनौती दे रहा है
- बृजेश ठाकुर का कहना है कि ट्रायल कोर्ट ने जल्दबाजी में उसके खिलाफ सुनाया फैसला
बिहार के मुजफ्फरपुर शेल्टर होम केस मामले के दोषी बृजेश ठाकुर ने अपने खिलाफ ट्रायल कोर्ट के द्वारा उम्रकैद के फैसले को चुनौती देने के लिए दिल्ली उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया है। उस पर बिहार के मुजफ्फरपुर जिले में शेल्टर होम में 40 लड़कियों के शारीरिक व मानसिक शोषण का आरोप है। इसी संबंध में सुनवाई करते हुए ट्रायल कोर्ट ने उसे उम्रकैद की सजा सुनाई है।
सुनवाई अदालत ने मामले में ठाकुर को दोषी ठहराते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनायी है। उच्च न्यायालय इसी सप्ताह उसकी अपील पर सुनवाई कर सकता है। अपील में उसने सुनवाई अदालत के फैसले को खारिज करने का अनुरोध किया है। सुनवाई अदालत ने 20 जनवरी को उसे मामले में दोषी ठहराया था और 11 फरवरी को उसे अंतिम सांस तक उम्रकैद की सजा सुनाई थी।
अदालत ने ठाकुर पर 32.20 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया था। इस मामले में अदालत ने ठाकुर के अलावा अन्य अभियुक्तों को भी आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। सुनवाई अदालत में ठाकुर का प्रतिनिधित्व करने वाले वकील प्रमोद कुमार दुबे ने पुष्टि की कि ठाकुर की ओर से अपील दायर की गयी है।
ठाकुर ने अपनी अपील में दलील दी है कि अदालत द्वारा 'जल्दबाजी में' सुनवाई की गयी जो संविधान के तहत प्रदत्त स्वतंत्र और निष्पक्ष सुनवाई के उसके अधिकार का उल्लंघन है।
आपको बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने इस केस को बिहार से उठाकर दिल्ली हाई कोर्ट को ट्रांसफर कर दिया था साथ ही ये आदेश दिए थे कि इस मामले की 6 महीने के अंदर जांच कर सुनवाई की जाए। इसके बाद ट्रायल कोर्ट का गठन किया गया जिसने बृजेश ठाकुर और अन्य 20 के खिलाफ चार्ज फाइल किया था।
क्या था मामला
2018 में सामने आया बेहार का मुजफ्फरपुर शेल्टर होम केस बहद चर्चा में रहा था। यह शेल्टर होम बिहार पीपुल्स पार्टी (BPP) के पूर्व विधायक बृजेश ठाकुर द्वारा संचालित था। इस हाई प्रोफाइल क्राइम केस ने बिहार से लेकर दिल्ली तक सुर्खियां बटोरी थी।
रिपोर्ट के मुताबिक मुजफ्फरपुर के इस शेल्टर होम में बच्चियों के साथ न केवल बलात्कार हुआ था बल्कि यहां लड़कियां प्रेग्नेंट भी हुईं। नीतीश सरकार की मंत्री मंजू वर्मा का नाम आने के बाद उन्हें मंत्री पद से इस्तीफा भी देना पड़ा था।
इसके अलावा उन पर ये भी आरोप थे कि शेल्टर होम में कई लड़कियों की मौत भी हुई थी और उन्हें वहीं परिसर में दफना दिया गया था हालांकि जांच में ये बात सही नहीं साबित हुई।