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नीतीश कुमार का आखिरी चुनाव वाला बयान सिर्फ सियासत या हकीकत, तेजस्वी ने साधा निशाना

Updated Nov 05, 2020 | 19:30 IST

Nitish Kumar last election statement: बिहार विधानसभा चुनाव के आखिरी चरण में चुनाव प्रचार के दौरान नीतीश कुमार ने कहा कि यह उनका आखिरी चुनाव होगा। आखिर उनके बयान के सियासी मायने क्या हैं।

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बिहार में दो चरण के चुनाव हो चुके हैं संपन्न
मुख्य बातें
  • बिहार में सात नवंबर को आखिरी चरण का चुनाव
  • पुर्णिया के धमदाहा में बोले नीतीश कुमार यह उनका आखिरी चुनाव
  • तेजस्वी ने कसा तंज, बोले- वो तो पहले ही कह रहे थे कि थक चुके हैं नीतीश कुमार

पटना। पूर्णिया के धमदाहा विधानसभा में सीएम नीतीश कुमार चुनावी रैली को संबोधित कर रहे थे। उस चुनावी सभा में उन्होंने कहा कि यह उनका आखिरी चुनाव है। इस ऐलान के बाद हर कोई एक पल के लिए सन्न रह गया और सियासी हल्के में चर्चा चल पड़ी कि तेजस्वी यादव जो कुछ कह रहे थे क्या वो सही है या नीतीश कुमार ने पंजाब के सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह की तरह इमोशनल कार्ड खेला है। दरअसल नीतीश कुमार के इस ऐलान पर तेजस्वी यादव ने किस तरह प्रतिक्रिया दी उससे पहले 2017 के पंजाब विधानसभा चुनाव की याद ताजा हो जाती है।

कैप्टन अमरिंदर ने भी की थी अपील
2017 में ठीक ऐसे ही कैप्टन अमरिंदर सिंह ने कहा कि यह चुनाव उनका आखिरी चुनाव है और वो प्रकाश सिंह बादल को उनके खुद के गढ़ में परास्त करेंगे। जानकार कहते हैं कि अमरिंदर सिंह के इस चुनावी ऐलान का उन्हें फायदा भी हुआ तो क्या सिर्फ चुनावी फायदे के लिए नीतीश कुमार ने ऐलान किया है या इसके पीछे उनकी साफ नीयत है। 

तेजस्वी बोले- जो कहता था उस पर मुहर लगी
आरजेडी नेता तेजस्वी यादव ने कहा कि हम यह लंबे समय बता रहे हैं कि नीतीश कुमार जी बिगड़ गए हैं और वे बिहार का प्रबंधन नहीं कर पा रहे हैं। अब चुनाव प्रचार के आखिरी दिन, उन्होंने घोषणा की कि वह राजनीति से संन्यास ले रहे हैं, हो सकता है कि उन्होंने जमीनी हकीकत को समझा हो। उन्होंने कहा कि दो चरणों के चुनाव में जिस तरह से बदलाव की बयार बही है उसके बाद नीतीश कुमार जी को इमोशनल कार्ड खेलने पर मजबूर होना पड़ा है।लेकिन जनता सब समझती है, कोरोना काल में प्रवासियों के दर्द को उनका परिवार कैसे भूल सकता है।

क्या कहते हैं जानकार
अब जब नीतीश कुमार ने इस तरह का ऐलान कर ही दिया है तो जानकार क्या कहते हैं कि वो समझना जरूरी है। जानकार कहते हैं कि कभी कभी इस तरह के बयान काम कर जाते हैं, लोगों को लगने लगता है कि जो शख्स बयान दे रहा है अब वो खुद ही सक्रिय राजनीति से अलग होना चाहता है, वो हाथ जोड़कर अपील कर रहा है लिहाजा उसको फायदा मिल सकता है। अगर पंजाब की बात करें तो कैप्टन अमरिंदर सिंह को इसी तरह की भावनात्मक अपील पर फायदा मिला। लेकिन यह नहीं भूलना चाहिए कि वहां सरकार में अकाली थे और उनके खिलाफ लोगों में नाराजगी भी थी। 

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