- निजी अस्पताल में प्रसूता की मौत हो गई
- लोगों ने डेड बॉडी सड़क पर रख कर जाम लगा दिया
- प्रदर्शन कर रही महिलाओं पर पुलिस ने बरसाए डंडे
Patna Police Action: राजधानी पटना में खाकी की तालीबानी कार्रवाई सामने आई है। एक महिला व बच्चे की प्रसव के दौरान हुई मौत के विरोध में निजी अस्पताल के खिलाफ महिलाओं का रोष जताना शायद पुलिस को रास नहीं आया। मौके पर आई पुलिस ने महिलाओं को जमकर पीटा। महिलाओं पर लातों व तमाचों की बारिश कर दी। परिजनों पर भी लाठियां भांजी। दरअसल हुआ यूं कि, राजधानी के एक निजी अस्पताल में प्रसव के दौरान महिला व नवजात की मौत हो गई।
इस पर नाराज परिजनों ने अस्पताल के लोगों पर लापरवाही का आरोप लगाया व जमकर हंगामा किया। इसके बाद गुस्साए लोगों ने हॉपिस्टल में तोड़ फोड़ की। नाराज लोगों ने अस्पताल के स्टॉफ के साथ भी मारपीट की। इसके बाद मृतका की डेड बॉडी को सड़क पर रखकर जाम लगा दिया। सड़क के दोनों ओर वाहनों की लंबी कतारें लग गई। सूचना के बाद मौके पर आई शास्त्रीनगर व एयरपोर्ट पुलिस ने भीड़ पर लाठियां भांजी व महिलाओं को लातों व थप्पड़ों की बारिश कर मौके से भगाया। घटना में कई लोग घायल हो गए।
ये था मामला
मृतका के परिजनों ने पुलिस को बताया कि, गांव पोठही निवासी शोभा को प्रसव पीड़ा होने के बाद इस हॉस्पिटल में भर्ती करवाया गया। इसके बाद जानकारी मिली की शोभा की मौत हो गई। मृतका का पति सुरेंद्रराम राजा सफाई का कार्य करता है। इस मामले को लेकर मृतका की बहन गुंजा ने आरोप लगाया कि, हॉस्पिटल के चिकित्सकों की मांग पर 2 लाख रूपए भी जमा करवा दिए थे। जिसका हमें कोई रसीद नहीं दी गई। डाक्टर्स की सलाह पर दो युनिट रक्त भी दिया गया। परिजनों के मुताबिक बार-बार शोभा व बच्चे को बचाने की गुहार लगा रहे थे। मगर अस्पताल में कोई सुनवाई नहीं हुई, बस पैसे जमा करवाने का राग अलापते रहे। शोभा तड़पती रही मगर उसे किसी ने नहीं संभाला। मृतका के पति ने बताया कि, बड़ी मन्नतों के बाद तो 11 साल बाद शोभा मां बनने जा रही थी। मगर सारे सपने टूट गए, पत्नी भी नहीं बची।
बच्चा गर्भ में मर चुका था
निजी अस्पताल के मेडिकल अधिकारी डॉ संजीव ने सभी आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि, यहां लाने से पूर्व ही बच्चे की मौत मां के गर्भ में हो गई थी। इसके बाद मृतका के परिजनों को बता दिया गया था कि, ऑपरेशन में खतरा है। इसके बाद लिखित में परिजनों की परमिशन भी ली गई थी। इलाज मे लापरवाही के आरोप निराधार हैं। मृतका के परिजनों को अस्पताल में भुगतान की गई रकम की सभी रसीदें दी गई थीं।