- बिहार में मौजूदा विधानसभा का कार्यकाल नवंबर में समाप्त हा रहा है
- कोरोना संकट के बीच यहां चुनाव टालने की मांग जोर पकड़ रही है
- राज्य में कोरोना के साथ-साथ बाढ़ से भी भीषण तबाही मची हुई है
पटना : बिहार में कोरोना वायरस संक्रमण के गहराते संकट से जहां हाहाकार मचा हुआ है, वहीं राज्य के कई इलाके बाढ़ की चपेट में हैं। कोरोना संकट के बीच लोग यहां बाढ़ की विभीषिका झेलने के लिए मजबूर हैं। इन सबके बीच यहां चुनावी सरगर्मियां भी रह-रहकर कर उफान मार रही हैं। राजधानी पटना सहित राज्य के कई इलाकों में विभिन्न पार्टियों के पोस्टर राजनीतिक दलों में चुनाव की बेचैनी को ही दर्शाते हैं। हालांकि राज्य में इस मौजूदा हालात को देखते हुए चुनाव टालने की मांग भी जोर पकड़ रही है।
नवंबर में खत्म हो रहा विधानसभा का कार्यकाल
बिहार में मौजूदा विधानसभा का कार्यकाल नवंबर में समाप्त हो रहा है और लोकतांत्रिक नियमों के अनुसार इससे पहले चुनाव कराया जाना आवश्यक है। लेकिन कोरोना संकट और बाढ़ के कारण बिहार में जो हालात हैं, उसे लेकर आम लोगों के साथ-साथ कई पार्टियां भी इसे टाले जाने के पक्ष में हैं। इनमें केंद्र की राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) सरकार में साझीदार राम विलास पासवान की पार्टी लोक जनशक्ति पार्टी (LJP) भी शामिल है।
LJP की मांग- उचित समय पर हो चुनाव
एलजेपी ने इस संबंध में चुनाव आयोग को पत्र भी लिखा है और बिहार में विधानसभा चुनाव कोविड-19 के हालात में सुधार के बाद 'उचित समय' पर कराने की मांग की है। पार्टी के नेता अब्दुल खालिक की ओर से चुनाव आयोग को लिखे पत्र में कहा गया गया है कि राज्य कोरोना महामारी से जूझ रहा है। इसके अतिरिक्त राज्य के 13 जिले बाढ़ की चपेट में हैं। ऐसे में राज्य पूरी मशीनरी का इस्तेमाल लोगों को कोरोना संक्रमण से बचाने और हालात को बेहतर करने में इस्तेमाल किया जाना चाहिए, न कि चुनाव कराने में।
'लोकतंत्र के लिए चुनाव जरूरी, पर...'
उन्होंने यह भी कहा कि मौजूदा हालात में कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) और भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) के दिशा-निर्देशों का पालन करते हुए चुनाव कराना बेहद मुश्किल होगा। उन्होंने कहा, 'लोकतंत्र के लिए चुनाव कराना जरूरी है, पर एक बड़ी आबादी को खतरे में डालना गलत होगा। ऐसे में यहां विधानसभा चुनाव उचित समय में कराए जाने चाहिए जब स्थिति सामान्य हो जाए।'
एलजेपी नेता का यह पत्र निर्वाचन आयोग द्वारा बिहार में चुनाव कराए जाने को लेकर राजनीतिक दलों से सुझाव मांगे जाने के बाद आया है। निर्वाचन आयोग ने 17 जुलाई को एक बयान जारी कर विभिन्न पार्टियों ने इस पर सुझाव मांगे थे।