- उपेंद्र कुशवाहा ने कहा कि सम्राट अशोक की जयंती पर अवकाश की घोषणा वर्ष 2015-16 में हुई थी।
- उन्होंने कहा कि उस वक्त बीजेपी के साथ गठबंधन में सरकार नहीं चल रही थी।
- तत्कालीन नीतीश सरकार ने उस समय सम्राट अशोक की जयंती पर अवकाश की घोषणा की थी।
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के प्रमुख राजनीतिक सहयोगी और जदयू से सीनियर नेता उपेंद्र कुशवाहा ने बीजेपी द्वारा सम्राट अशोक की जयंती मनाकर अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के एक हिस्से को अपने पाले में किए जाने की कोशिशों पर तंज कसा। कुशवाहा ने सम्राट अशोक की जयंती पर सार्वजनिक अवकाश की घोषणा को लेकर बीजेपी द्वारा श्रेय लिए जाने का मजाक उड़ाया।
उपेंद्र कुशवाहा ने कहा कि मैंने कल पढ़ा कि एक राजनीतिक नेता ने दावा किया कि बिहार सरकार द्वारा सार्वजनिक अवकाश ( सम्राट अशोक जयंती पर) एक पार्टी द्वारा अलग-अलग प्रयासों के बाद घोषित किया गया था। पता नहीं वे इसके बारे में जानते भी हैं कि नहीं। जब अशोक जयंती पर अवकाश घोषित किया गया था, तब बीजेपी के साथ गठबंधन में सरकार नहीं चल रही थी। कुशवाहा ने कहा कि जदयू तब एक अलग गठबंधन के तहत सरकार चला रहा था। तत्कालीन सरकार के नेता नीतीश कुमार ने उस समय इसकी घोषणा की थी। अगर कोई इस तरह के बयान देता है, तो उन्हें पता होना चाहिए कि 2015 में जदयू एक अलग गठबंधन में था और यह 2015-16 में घोषित किया गया था।
वह उनकी पार्टी जदयू द्वारा ईसा पूर्व तीसरी सदी के शासक की जयंती मनाने के लिए आयोजित एक कार्यक्रम में बोल रहे थे। सम्राट अशोक ओबीसी में आने वाली जाति कोयरी (कुशवाहा) से आते हैं। कुशवाहा शुक्रवार को पूर्व डिप्टी सीएम सुशील कुमार मोदी द्वारा दिए गए एक भाषण का हवाला दे रहे थे। मोदी ने अशोक जयंती को लेकर बीजेपी द्वारा आयेाजित कार्यक्रम में कहा था कि बीजेपी की पहल से ही अशोक जयंती सार्वजनिक अवकाश घोषित हुई है।
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यह कदम बीजेपी की उस रणनीति के अनुरूप है, जिसे गैर-यादव ओबीसी का दिल जीतने के लिए पड़ोसी उत्तर प्रदेश में सफलतापूर्वक जमीन पर उतारा गया। मंडल कमीशन के आलोक में गैर-यादव ओबीसी मजबूत तो हुआ, लेकिन उसके पास अपनी आकाक्षाओं के प्रकटीकरण के लिए राजनीतिक मंच नहीं है। कोइरी एवं कुर्मी एक ऐसा समीकरण बनाते हैं जिसे राज्य की राजनीतिक लोकोक्ति में ‘लवकुश’ कहा जाता है। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार कुर्मी समुदाय से ही आते हैं। बीजेपी को ऊंची जातियों की पार्टी समझा जाता है लेकिन वह अपने इस दायरे का विस्तार करना चाहती है।
दिलचस्प है कि कुछ ही महीने पहले अशोक को कथित रूप से नीचा दिखाने को लेकर विवाद उत्पन्न हो गया था और बीजेपी पर उत्तर प्रदेश के नाटककार दया प्रकाश सिन्हा को संरक्षण देने का आरोप लगा था। सिन्हा को साहित्य अकादमी पुरस्कार मिल चुका है। जदयू संसदीय दल के प्रमुख उपेंद्र कुशवाहा ने आरोप लगाया था। बीजेपी ने सिन्हा से इस कदर दूरी बना ली कि प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष संजय जायसवाल ने एफआईआर दर्ज कर सिन्हा पर मगध के महान राजा का अपमान करन का आरोप लगाया।