- अजीत सिंह मर्डर केस में धनंजय सिंह का नाम उछला था
- लखनऊ पुलिस ने पूर्व सांसद धनंजय सिंह पर रखा था 25 हजार का इनाम
- गिरफ्तारी से बचने के लिए वकील के भेष में उन्होंने सरेंडर किया
प्रयागराज: धनंजय सिंह किसी परिचय के मोहताज नहीं हैं। वो माननीय रहे हैं तो उसके साथ आपराधिक इतिहास भी है। धनंजय सिंह का नाम एकाएक चर्चा में तब आया जब लखनऊ के विभूतिखंड इलाके में मऊ जिले के एक शख्स अजीत प्रताप सिंह की हत्या कर दी गई। धनंजय सिंह पर आरोप है कि उन्होंने साजिश रची थी। परिवार वालों की शिकायत के बाद उनके ऊपर जब पुलिस ने शिकंजा कसा तो वो फरार हो गए। लेकिन जब लखनऊ पुलिस की तरफ से 25 हजार का इनाम रखा गया तो उनके पास और कोई चारा नहीं बचा। उन्होंने वकील के भेष में प्रयागराज की अदालत में पुलिस के सामने ही सरेंडर कर दिया और पुलिस देखती रह गई।
धनंजय सिंह पर था 25 हजार का इनाम
करीब दो महीने पहले लखनऊ के विभूति खंड में रात के समय अजीत प्रताप सिंह की हत्या की गई थी। उस हत्याकांड में उनका एक खास सहयोगी भी घायल हुआ था हालांकि वो बचने में कामयाब रहा। लेकिन उसने जो बयान दिया उसके बाद शक की सूई जौनपुर से पूर्व सांसद रहे धनंजय सिंह पर जाकर टिक गई। इस मामले में जांच की रफ्तार जब तेज हुई तो धनंजय सिंह की गिरफ्तारी के लिए यूपी पुलिस सक्रिय हो गई। लेकिन कामयाबी ना मिलने पर उन पर 25 हजार का इनाम रखा गया।
पुलिस तमाशबीन बन गई
यूपी पुलिस द्वारा 25 हजार का इनामी घोषित होने के बाद धनंजय सिंह के सामने सरेंडर के सिवाय कोई और चारा नहीं था। इसलिए उन्होंने अपने भेष को बदला और प्रयागराज की अदालत में जज साहब के सामने पेश हो गए और पुलिस तमाशबीन बन कर रह गई। सरेंडर के बाद उन्होंने कहा कि अजीत सिंह हत्याकांड से उनका लेना देना नहीं है। साजिशन उन्हें फंसाया जा रहा है। बता दें कि इस केस में मुख्य शूटर रहे गिरधारी विश्वकर्मा उर्फ डॉक्टर को मुठभेड़ में मार गिराया गया है।