मिर्जापुर: कोरोना वायरस संक्रमण के कारण 20 मार्च से बंद विंध्याचल मंदिर को 101 दिनों के बाद 29 जून से खोल दिया जाएगा।मंदिर के पुजारियों ने शुकवार को बताया कि 27 जून को एकदिवसीय अखण्ड कीर्तन के पश्चात 28 जून को आरती होगी। उसके बाद स्थानीय लोगों के लिए मन्दिर खोल दिया जाएगा उन्होंने बताया कि 29 जून की प्रातः मंगला आरती से मन्दिर सभी श्रद्धालुओं के लिए खोल दिया जाएगा।
इससे पूर्व पंडा समाज और नगर विधायक ने जिला प्रशासन के साथ बैठक की और मन्दिर खोलने का फैसला किया गया।बैठक में बनी सहमति के अनुसार मन्दिर में सामाजिक दूरी का पूर्णतया पालन किया जाएगा और विशिष्ट यात्रियों के लिए पण्डा समाज निःशुल्क कूपन जारी करेगा। गर्भ गृह के अंदर एक बार में अधिकतम पाँच लोग ही मौजूद रहेंगे।
जिलाधिकारी सुशील कुमार पटेल ने बताया कि "विंध्याचल में 28 जून तक हॉटस्पॉट खत्म हो जाएगा। ऐसे में अगर विंध्य धाम के पास कोई अन्य कोरोना वायरस संक्रमित व्यक्ति नहीं मिला तो 29 जून को मां विंध्यवासिनी का मंदिर खोल दिया जाएगा, इस दौरान शासन के नियमों का पूरी तरह पालन करते हुए श्रद्धालुओं का दर्शन पूजन कराया जाएगा।
विंध्याचल तीर्थ जहां माँ विंध्यवासिनी निवास करती हैं
भगवती विंध्यवासिनी आद्या महाशक्ति हैं। विन्ध्याचल सदा से उनका निवास-स्थान रहा है। जगदम्बा की नित्य उपस्थिति ने विंध्यगिरिको जाग्रत शक्तिपीठ बना दिया है। महाभारत के विराट पर्व में धर्मराज युधिष्ठिर देवी की स्तुति करते हुए कहते हैं- विन्ध्येचैवनग-श्रेष्ठे तवस्थानंहि शाश्वतम्। हे माता! पर्वतों में श्रेष्ठ विंध्याचलपर आप सदैव विराजमान रहती हैं। पद्मपुराण में विंध्याचल-निवासिनी इन महाशक्ति को विंध्यवासिनी के नाम से संबंधित किया गया है। विंध्याचल नामक तीर्थ है जहां माँ विंध्यवासिनी निवास करती हैं। श्री गंगा जी के तट पर स्थित यह महातीर्थ शास्त्रों के द्वारा सभी शक्तिपीठों में प्रधान घोषित किया गया है। यह महातीर्थ भारत के उन 51 शक्तिपीठों में प्रथम और अंतिम शक्तिपीठ है जो गंगातट पर स्थित है।
विन्ध्याचल उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर जिले का एक धार्मिक दृष्टिकोण से प्रसिद्ध शहर है। यहाँ माँ विन्ध्यवासिनी देवी का मंदिर है। मार्कण्डेय पुराण के अनुसार, माँ विन्ध्यवासिनी ने महिषासुर का वध करने के लिए अवतार लिया था। यह नगर गंगा के किनारे स्थित है। मान्यताओं के अनुसार कहा जाता है कि जो मनुष्य इस स्थान पर तप करता है, उसे अवश्य सिद्दि प्राप्त होती है।