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Contract Service in UP: पांच साल तक संविदा पर नौकरी पर यू टर्न! डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य बोले- महज अफवाह

Updated Sep 19, 2020 | 00:37 IST

यूपी में पांच वर्ष तक संविदा पर नौकरी के संबंध में डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने अहम बयान दिया है। उन्होंने कहा कि विपक्षी दल सिर्फ अफवाह फैला रहे हैं।

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केशव प्रसाद मौर्य, डिप्टी सीएम, उत्तर प्रदेश
मुख्य बातें
  • पांच साल तक संविदा पर नौकरी के प्रस्ताव वाली खबर महज अफवाह
  • विपक्ष के पास काम नहीं लिहाजा इस तरह की बात हो रही है
  • सरकार के किसी भी स्तर पर न तो प्रस्ताव और न ही फैसला

प्रयागराज: यूपी की सियासत में इन दिनों सरकारी नौकरियों में पांच साल संविदा के साथ साथ पचास साल पर रिटायरमेंट का मुद्दा छाया हुआ है। हाल ही में समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा था कि अगर 2022 में सपा की सरकार बनी तो पहली कैबिनेट मीटिंग में योगी सरकार के फैसले को पलट देंगे, हालांकि इस संबंध में किसी तरह का निर्णय नहीं हुआ है। यह बात अलग है कि बीजेपी के कुछ विधायक सियासी फिजां में तैर रहे इस प्रस्ताव के समर्थन में नहीं है। लेकिन इस विषय पर डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने चुप्पी तोड़ी है।

संविदा पर नौकरी पर सिर्फ अफवाह
केशव प्रसाद मौर्य ने मीडिया से बातचीत में इसे महज अफवाह बताया। उन्होंने कहा कि इस तरह का प्रस्ताव शासन या किसी भी स्तर पर नहीं है। यह सब ख्याल उन दलों का है जिसे जनता ने ठुकरा दिया और अब वो हाशिये पर हैं। किसी तरह से जनता में स्वीकार्यता बनाए रखने के लिए कुचक्र रच रहे हैं। उन्होंने कहा कि समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव का तो बोलने का हक ही नहीं है। किस तरह से उनके समय में खास जाति के लोगों को नौकरी मिलती थी वो किसी सबकी नजर में है।

हताश विपक्ष का अनर्गल आरोप
डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने कहा कि समाजवादी और बहुजन समाज पार्टी के शासनकाल में हर भर्ती भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ जाती थी। यच तो यह है कि लाखों रुपये खर्च करने के बाद ही नौकरी मिलती थी। लेकिन इस सरकार में यह बात नहीं है। प्रदेश में जो योग्य है वो बिना पैसे या सिफारिश के नौकरी पा रहा है। विपक्ष युवाओं को गुमराह कर रहा है, हालांकि उनकी साजिश नाकाम होगी। वो कहते हैं कि योगी सरकार की लोकप्रियता से विपक्ष घबराया हुआ है,ऐसे में विपक्ष से आप इस तरह की मुहिम की ही उम्मीद कर सकते हैं। 



कुछ ऐसा है संविदा प्रस्ताव ?
दरअसल इस तरह की खबरें आ रही थीं कि प्रदेश सरकार की सोच है कि पहले पांच वर्ष नए नियुक्त कर्मचारी संविदा के आधार पर काम करें और हर 6 महीने में उनका मूल्यांकन किया जाएगा। उस मूल्यांकन में एक परीक्षा भी कराई जा सकती है, जिसमें न्यूनतम 60 फीसदी अंक पाना जरूरी होगा। संविदा पर तैनात  जो कर्मचारी 60 फीसद से कम अंक हासिल करेंगे उन्हें बाहर का रास्ता दिखा दिया जाएगा। इस तरह की खबरों पर बीजेपी के कुछ विधायकों को भी ऐतराज है। उनका मानना है कि इससे जनता में गलत संदेश जाएगा। 

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