- 69 हज़ार शिक्षक भर्ती मामले में 37339 पदों की भर्ती को लेकर सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला
- सुप्रीम कोर्ट ने यूपी शिक्षा मित्र एसोसिएशन द्वारा दायर अपील को खारिज कर दिया है
- कोर्ट ने कहा कि इन शिक्षा मित्रों को भर्ती का और मौका अगली भर्ती में दिया जाए
नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश में 69 हज़ार शिक्षक भर्ती मामले में 37339 पदों पर नियुक्ति को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला दिया है। कोर्ट ने राज्य की योगी सरकार की मौजूदा कट ऑफ लिस्ट को सही ठहराया है। सुप्रीम कोर्ट ने भर्ती से संबंधित मामले में यूपी शिक्षा मित्र एसोसिएशन द्वारा दायर अपील को खारिज कर दिया है। कोर्ट ने कहा कि इन शिक्षा मित्रों को भर्ती का और मौका अगली भर्ती में दिया जाए।
न्यायमूर्ति यू यू ललित की अगुवाई वाली पीठ ने यूपी सरकार द्वारा मौजूदा कट ऑफ अंक बरकरार रखने के इलाहाबाद उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती देने वाली ‘उत्तर प्रदेश प्राथमिक शिक्षा मित्र संघ’ की याचिका समेत अन्य याचिकाओं को खारिज कर दिया। इस फैसले से अब कुल 69000 अभ्यर्थियों की नियुक्ति का रास्ता साफ हो गया है। इनमें से 31,277 पदों पर अभ्यर्थियों को नियुक्ति दी जा चुकी है। अब 37,339 पदों पर शिक्षकों की नियुक्ति और होगी।
‘उत्तर प्रदेश प्राथमिक शिक्षा मित्र संघ’ ने योगी सरकार के सात जनवरी, 2019 के आदेश को चुनौती देते हुए याचिका दायर की थी। इस आदेश में कहा गया था कि सहायक शिक्षक भर्ती परीक्षा 2019 में पास होने के लिए सामान्य श्रेणी के उम्मीदवारों को कम से कम 65 अंक और आरक्षित वर्ग के उम्मीदवारों के लिए 60 अंक हासिल करने होंगे। सर्वोच्च आदालत ने 24 जुलाई को अपना फैसला सुरक्षित रखा था। शीर्ष कोर्ट के आदेश से 31277 पदों की चयन सूची विवाद पर भी विराम लगेगा और 69 हजार शिक्षकों की भर्ती में शेष बचे 37339 पदों पर जल्द नियुक्ति हो सकेगी।
सीएम योगी ने किया था वादा पूरा
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 31,277 शिक्षकों को खुद ऑफर लेटर सौंपकर अपना वादा पूरा किया था। मुख्यमंत्री ने 16 अक्टूबर को अपने सरकारी आवास पर नव नियुक्त 31,277 सहायक शिक्षकों की नियुक्ति-पत्र वितरण समारोह को ऑनलाइन संबोधित भी किया था। बहुप्रतीक्षित भर्ती प्रक्रिया की सुखद पूर्णाहुति करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा था कि जो भी नियुक्ति हुई है, उसका आधार सिर्फ मेरिट हैं। शुचिता और पारदर्शिता के साथ नियुक्ति प्रक्रिया पूरी कर उत्तर प्रदेश ने अन्य राज्यों के समक्ष एक नजीर प्रस्तुत की गई है।
न्यायालय ने राज्य सरकार से यह बताने को कहा था कि उसने सामान्य श्रेणी के लिए 45 और आरक्षित वर्ग के लिए 40 प्रतिशत कट-ऑफ अंक हासिल करने की पूर्ववर्ती अहर्ता में बदलाव क्यों किया।राज्य ने अपने जवाब में कहा कि सबसे अच्छे उम्मीदवारों को चुनने के लिए कट-ऑफ अंक बढ़ाए गए और इस फैसले में कुछ भी गैर-कानूनी नहीं है।इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने सहायक बेसिक शिक्षकों की भर्ती की प्रक्रिया पूरी करने को हरी झंडी दे दी थी। अदालत ने राज्य सरकार को आदेश दिया था कि वह आगामी तीन महीने में प्रक्रिया पूरी करे।
25 जुलाई 2017 को शीर्ष अदालत ने राज्य सरकार से कहा था कि वह अध्यापक योग्यता परीक्षा (टीईटी) के जरिए की गयी 1,37,517 भर्तियों को रद्द करे लेकिन भर्ती प्रक्रिया में अनुभव का लाभ दे । सरकार ने छह महीने बाद 17 जनवरी, 2018 को 69,000 सहायक अध्यापकों की भर्ती के लिए पहली बार लिखित परीक्षा का आदेश जारी किया था।